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जेनेटिक डिसऑर्डर 'लिंच सिंड्रोम' होने पर नजर आते हैं ये 5 लक्षण, न करें नजरअंदाज

लिंच सिंड्रोम एक तरह का अनुवांंशिक रोग है। इसमें व्यक्ति को पेट से संबंधित कैंसर का जोखिम अधिक होता है।   
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जेनेटिक डिसऑर्डर 'लिंच सिंड्रोम' होने पर नजर आते हैं ये 5 लक्षण, न करें नजरअंदाज

लिंच सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है। इस विकार में कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। यह सिंड्रोम आमतौर में बच्चे को जन्म से पहले ही माता-पिता के जीन्स से प्राप्त होता जाता है। शोधकत्ताओं के अनुसार इसके चलते व्यक्ति में आंतों और कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। जबकि, महिलाओं में लिंच सिंड्रोम की वजह से एंडोमेट्रियल या गर्भाशय कैंसर का कारण बन सकता है। हालांकि, लिंच सिंड्रोम सीधे रूप से कैंसर का कारण नहीं बनता है। लेकिन, इसकी वजह से अधिक उम्र में कैंसर का जोखिम अधिक होता है। डिलीवरी से पूर्व जेनेटिक टेस्ट से इस सिंड्रोम का पता लगाया जा सकता है। बच्चे के जन्म के बाद भी इस डिसऑर्डर की जांच की जा सकती है। इस समस्या का पता लगाकर इसे रोकने के प्रयास किए जा सकते हैं। इस लेख में मेडिकवर अस्पताल के ऑनकोलॉजी विभाग के सर्जन डॉक्टर डोनाल्ड जॉन बाबू से आगे जानते हैं कि लिंच सिंड्रोम क्या है और इसके कारण व लक्षण क्या हो सकते हैं? 

लिंच सिंड्रोम के कारण - Causes Of Lynch Syndrome In Hindi 

जेनेटिक्स म्यूटेशन 

लिंच सिंड्रोम मुख्य रूप से जेनेटिक्स म्यूटेशन के कारण होता है। यह डीएनए रिपेयर मैकेनिज्म को प्रभावित करता है। ये म्यूटेशन (बदलाव) आम तौर पर डीएनए में हुए बदलाव के कारण होता है। इसकी वजह से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। 

lynch syndrome

आयु 

लिंच सिंड्रोम को एक अनुवांशिक स्थिति माना जाता है। लेकिन जिस उम्र में लक्षण प्रकट होते हैं वह अलग-अलग हो सकती है। कुछ व्यक्तियों में अपेक्षाकृत कम उम्र में, अक्सर 50 वर्ष की आयु से पहले, लिंच सिंड्रोम से जुड़ा कैंसर विकसित हो सकता है। इसके लक्षणों की शुरुआत किसी भी उम्र में हो सकती है। 

परिवारिक हिस्ट्री

यदि किसी के परिवार में पहले किसी को लिंच सिंड्रोम या संबंधित कैंसर होता है, तो ऐसे में यह सिंड्रोम आने वाली पीढ़ी को भी हो सकता है। अगर, किसी को लिंच सिंड्रोम है तो ऐसे में बच्चों को भी यह होने की संभावान बढ़ जाती है। 

लिंच सिंड्रोम लक्षण - Symptoms Of Lynch Syndrome In Hindi 

कोलोरेक्टल कैंसर

लिंच सिंड्रोम के प्रमुख लक्षणों में से एक कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा अधकि होना है। लिंच सिंड्रोम वाले व्यक्तियों में कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने की संभावना अन्य लोगों की तुलना में काफी अधिक होती है। कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों में आंतों के कार्य में बदलाव, मल में रक्त आना, पेट में दर्द, व तेजी से वजन कम होना शामिल है। 

एंडोमेट्रियल कैंसर

लिंच सिंड्रोम होने पर एंडोमेट्रियल कैंसर (जो गर्भाशय की परत को प्रभावित करता है) होने का जोखिम बढ़ जाता है। इस स्थिति में महिलाओं को ब्लीडिंग, पेल्विक पेन, यूरिन पास करते समय दर्द होना, आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं। 

  • पेट दर्द 
  • कब्ज 
  • थकान
  • कमजोरी बने रहना, आदि। 

इसे भी पढ़ें : कैंसर की पहचान के लिए जेनेटिक टेस्ट कैसे उपयोगी है? डॉक्टर से जानें

इसके अलावा, भी लिंच सिंड्रोम में अधिक आयु होने पर व्यक्ति को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर, ओवरी कैंसर, यूरिनरी ट्रैक्ट कैंसर हो सकता है। इन कैंसर से बचने के लिए आप डॉक्टर से मिलकर नियमित रूप से चांज कराएं। इससे समय रहते स्थिति को काफी हद तक रोका जा सकता है। लिंच सिंड्रोम की जांच करने के बाद आपको सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है। 

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