कोरोना के चलते एंगजाइटी का शिकार क्यों हो रहे हैं लोग? बीते साल पूरी दुनिया को कोरोना से अपनी चपेट में लिया जिसके चलते लाखों जिंदगी प्रभावित हुई। हालांकि इस वैश्विक महामरी का असर शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्तर पर भी देखा गया। कई महीनों से घरों में बंद लोग अब बाहर निकलने लगे हैं पर पहले जैसी बात नहीं रही। न आप खुलकर लोगों को इकट्ठा कर सकते हैं और न ही मनोरंजन के ज्यादा साधन इस समय उपलब्ध है। सुरक्षा के चलते लगाए गए ये प्रतिबंध हमारी मेंटल हेल्थ पर भी असर डाल रहे हैं। अस्पतालों में लोग मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट के चक्कर काटने लगे हैं वजह है एंग्जाइटी यानी चिंता। आपके मन में भी एंगजाइटी या मेंटल हेल्थ से जुड़े सवाल हैं तो हम इस लेख में 7 सवालों के जवाब आपको बताएंगे जो आपको कोविड के समय चिंता से उबारने में मदद कर सकते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
1. सवाल- कैसे पता चलेगा कि मैं कोराना महामारी के दौरान एंग्जाइटी से गुजर रहा हूं/ रही हूं? (Identifying anxiety during COVID 19 pandemic)
जवाब- कोरोना के चलते पूरा विश्व आर्थिक तंगी से गुजर रहा है जिसके चलते लोग चिंता का शिकार हैं और चिंता कब बीमारी का रूप ले ले ये कहना मुश्किल है। पर लंबे समय से अगर आप दुखी महसूस कर रहे हैं तो समझ जाइए आप बीमार हैं और आपको मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की जरूरत है। अगर आपको दुखी मन के अलावा दिल की धड़कना का बढ़ना, बार-बार सांस फूलना, छाती में खिंचाव महसूस होता है तो आपको एंग्जाइटी हो सकती है। इंसान का दिमाग 'वॉट इफ' सवाल के इर्द-गिर्द घूमता है। जिसका मतलब है अगर ऐसा होता तो। आपको ऐसे कोई लक्षण महसूस होते हैं तो मनोचिकित्सक से मिलें। कोरोना महामारी से आप तभी सुरक्षित रह सकेंगे जब आप मेंटली स्ट्रांग होंगे क्योंकि मेंटल हेल्थ का असर शरीर पर पड़ता है।
2. सवाल- कोविड 19 एंग्जाइटी से बचने के लिए क्या करूं? (Treatment of COVID 19 anxiety)
जवाब- अगर आप 15 से 20 दिनों तक लगातर चिंता के शिकार हैं तो इसे बीमारी कहा जा सकता है। कोविड महामारी के चलते सभी सोशल डिस्टेंट फॉलो कर रहे हैं। दोस्त, रिश्तेदारों से दूर होने के कारण लोग डिप्रेस महसूस करते हैं पर आपको सोशल डिस्टेंसिंग के बजाय फिजिकल डिस्टेंस बनाना है। आप लोगों से फिजिकली दूर रहें पर उनसे वीडियो कॉल पर मिलते रहें, फोन पर बात करें या चैट करें। इससे आप अकेला महसूस नहीं करेंगे। कोविड 19 एंगजाइटी से बचने का सबसे आसान उपाय है अपने विचारों का जर्नल बनाएं। जो भी आप सोच रहे हैं उसे जरूर लिखें। इससे आपकी तकलीफ काफी हद तक दूर हो जाएगी। अपने विचारों को लिखने से मन शांत होता है, गुस्सा कम होता है और आप हल्का महसूस करेंगे।
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3. सवाल- पहले से ही मानसिक रोगी हूं तो क्या कोविड 19 एंग्जाइटी मुझे और बीमार कर सकती है? (COVID 19 anxiety may affect mental patients)
जवाब- अगर आप पहले से ही किसी मानसिक बीमारी का शिकार हैं तो आपको अपना ध्यान रखने की ज्यादा जरूरत है। इस समय ज्यादातर लोग घरों से काम करे हैं बाहर जाने के ज्यादा ऑप्शन मौजूद नहीं है ऐसे में आप घर पर रहकर अपने समय को पूरी तरह से इस्तेमाल करें। घर पर खाली बैठने के बजाय अपना मन किसी काम में लगाएं। आपको साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड किट का इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें आप अपने मन की बात किसी से शेयर करके हल्का महसूस करेंगे। जिस तरह फर्स्ट एड का काम होता है चोट को ठीक करना वैसे ही आप अपनी साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड किट के तहत अपनी बात शेयर करके अच्छा फील करेंगे। आपको हर दिन कम से कम 30 मिनट कसरत या वॉक करना है। अपने मनोचिकित्सक से सलाह लेना न भूलें।
4. सवाल- बच्चों को भी हो सकती है कोराना एंग्जाइटी? (COVID anxiety may also affect kids)
जवाब- घर के माहौल का असर बच्चों पर भी पड़ता है। इस समय ज्यादातर बच्चों की क्लास ऑनलाइन ही चल रही है, दोस्तों से न मिल पाने के कारण उन्हें भी एंग्जाइटी हो सकती हैं। वहीं दूसरी ओर अगर घर में आप एंग्जाइटी का शिकार हैं तो बच्चे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं क्योंकि बच्चे सॉफ्ट टार्गेट होते हैं, अक्सर लोग अपना मन हल्का करने के लिए बच्चों पर गुस्सा निकाल देते हैं। अगर आप ऐसा करेंगे तो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। कोशिश करें कि उनके साथ ही खाना खाएं। उनके सवालों के जवाब दें और कुछ समय उनके मन के काम में साथ दें। इससे न सिर्फ आपका बल्कि बच्चों का मन भी शांत रहेगा।
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5. सवाल- कोविड 19 एंग्जाइटी के चलते गुस्सा बढ़ गया है, क्या करूं? (COVID 19 anxiety leads to anger)
जवाब- जिन लोगों को एंग्जाइटी होती है उन्हें ज्यादा गुस्सा भी आ सकता है। जब हमें गुस्सा आता है तब हमारी फिजिकल एनर्जी बढ़ जाती है। इस एनर्जी को आपको चिल्लाकर या किसी से झगड़कर वेस्ट नहीं करना है। आप इस समय दौड़ें या सफाई करें या कोई ऐसा काम करें जिसमें आपका मन लगता हो। आप देखेंगे कि गुस्सा थोड़े समय में शांत हो जाएगा। डॉ नेहा ने बताया कि कोरोना काल में हमारे पास बहुत से केस आए जिसमें मरीजों ने ये शिकायत बताई कि उनमें गुस्सा बढ़ गया है। आपको इसे कंट्रोल करने के लिए अपने मन की बात लिखकर या किसी से बोलकर उसे बांट लें। मन में बात रखने से गुस्सा बढ़ता है। इसके अलावा रोजाना फाइबर को अपनी डाइट में शामिल करें। आप जो आहार ले रहे हैं उसका असर मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है।
6. सवाल- कोरोना के लक्षणों का डर हर समय रहता है, इसको कैसे ठीक करूं? (Fear of corona symptoms)
जवाब- कोरोना के चलते अगर आपको बीमारी का डर हर समय सताता है तो कोरोना से जुड़ी जानकारी से हर समय घिरे न रहें। इन दिनों सोशल मीडिया पर कोरोना से जुड़ी कई फेक न्यूज वायरल हो रही है आप अगर हर समय इन बातों को पढ़ते रहेंगे तो इससे आपके मन में भय बना रहेगा। केवल जानकारी लें और अफवाहों से दूर रहे। अगर आप डिस्टेंस मेनटेन करेंगे, साफ-सफाई का ध्यान रखें और मास्क पहनने जैसे नियम फॉलो करें तो आप बिना डरे अपना काम कर सकते हैं।
7. सवाल- कोरोना के चलते अकेलापन बढ़ रहा है, क्या करूं? (Loneliness is affecting mental health)
जवाब- आपको ये बात पता होना जरूरी है कि एंग्जाइटी हमेशा साइकोलॉजिकल रिसपौंस देगी यानी आपको अगर एंग्जाइटी हो रही है तो उसका असर आपके शरीर पर भी पड़ेगा। आपको डर लग सकता है, सिर में दर्द या कभी-कभी कंडीशन गंभीर होने पर एंग्जाइटी अटैक भी आ सकते हैं पर ये रेयर केस में होता है। आप परेशानी को पहले ही दूर कर लें। डर का कारण अकेलापन भी हो सकता है। वीडियो कॉलिंग, कॉलिंग, चैट के माध्यम से अपने दोस्त-रिश्तेदारों से जुड़े रहें क्योंकि अकेलेपन में आपको दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं जो आगे चलकर बीमारी का रूप ले लेती है इसलिए अकेलेपन को दूर करने के लिए सबसे जुड़े रहें।
इन सवालों की मदद से आप खुद को कोरोना काल में तनाव मुक्त रख सकेंगे। समस्या ज्यादा बढ़े तो सॉइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
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