कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी से दुनिया की जंग लगातार जारी है। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में इस बीमारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन इस बीमारी की वजह से लोगों के अंदर तमाम तरह की अन्य समस्याएं भी जन्म लेने लगी हैं। भारत में कोरोना वायरस के मामले थमने का नाम नही ले रहे हैं। देश के अन्दर कुछ राज्यों में कोरोना के मामलों में अचानक तेजी देखी गयी है और इस बीमारी की वजह से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर देखने को मिल रहा है। कोरोना वायरस महामारी ने एक नए शब्द को जन्म दिया है जिसे लोग "कोरोनाफोबिया" के नाम से जान रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण लोगों के अंदर डर और व्यवहार में परिवर्तन जैसी समस्याओं को कोरोनाफोबिया (Coronavirus Anxiety) का नाम दिया गया है। इसका व्यापक असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। कोरोनाफोबिया को समझने और इससे बचने के तरीकों को लेकर हमने बातचीत की दिल्ली के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. शबीउल्लाह सय्यद से, आइये जानते हैं कोरोनाफोबिया को लेकर उन्होंने क्या बातें बताई।
किस स्थिति को कहते हैं कोरोनाफोबिया (What is Coronaphobia)
COVID-19 वैश्विक महामारी ने दुनियाभर के लोगों को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित किया है। इस महामारी के कारण लोगों में कई तरह का डर और तनाव भी देखा गया है। लोगों में न सिर्फ बीमारी से संक्रमित होने का डर है बल्कि इसकी वजह से उत्पन्न हुई तमाम चुनौतियों का भी डर लोगों में घर कर गया है। हल्की सी खांसी, जुकाम और बुखार की स्थिति में लोग कोरोना से संक्रमित होने का डर ही अपने मन में पाल चुके हैं। अक्सर ऐसा देखा गया है कि मौसम की सामान्य बीमारियों की वजह से भी लोग घबरा जाते हैं, हालांकि कोरोना के सामान्य लक्षण भी खांसी, जुखाम और बुखार ही हैं तो लोगों का डरना लाजिमी है। लेकिन इस डर और चिंता की वजह से लोगों के अन्दर कई दूसरी समस्याएं जैसे तनाव, अनिद्रा और घबराहट आदि का भी जन्म हो रहा है। लोगों के अन्दर कोरोना महामारी की वजह से अवसाद, तनाव और असुरक्षा जैसी भावनाएं पैदा होने के साथ-साथ कोरोना संक्रमण से ग्रसित होने का ख़तरा पैदा हो रहा है, इसी स्थिति को कोरोनाफोबिया नाम दिया गया है।
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कोरोनाफोबिया के लक्षण (Symptoms of Coronaphobia)
कोरोनाफोबिया से ग्रसित लोगों के अंदर कोरोना वायरस संक्रमण का डर और अनिश्चितता की वजह से चिंता और अवसाद की स्थिति देखी जा सकती है। डॉ शबीउल्लाह सय्यद ने बता कि इसको लेकर दुनियाभर में तमाम शोध भी किये गए हैं। COVID-19 की वजह से लोगों के मन में पैदा हुई आशंकाएं डर में बदलने की स्थिति में कोरोनाफोबिया से ग्रसित होने का चांस बढ़ जाता है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के अंदर यह स्थिति ज्यादा देखने को मिली है। किसी भी व्यक्ति के कोरोनाफोबिया से ग्रसित होने के तीन प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं।
- अकेले रहने की आदत का बढ़ना
- सार्वजानिक स्थानों पर जाने से डरना
- अचानक दिल की धड़कन का बढ़ना
- भूख न लगना और चक्कर आना
- ओवरथिंकिंग
- संक्रमित होने का डर
कोरोनाफोबिया के प्रकार (Types of Coronaphobia)
कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों के अंदर कई तरह के व्यावहारिक बदलाव देखे गए हैं। बीमारी से ग्रसित होने का डर, भविष्य की चिंता, बीमारी की अनिश्चितता आदि को लेकर लोगों में कोरोनाफोबिया घर कर गया है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके प्रमुख तीन चरण इस प्रकार से हैं।
फिजियोलॉजिकल
कुछ लोगों के अंदर कोरोना की वजह से उत्पन्न हुई चिंता से पैल्पिटेशन, कंपकंपी, सांस लेने में कठिनाई, चक्कर आना, भूख में बदलाव और नींद न आने जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। इनमें वे लोग भी हो सकते हैं जो पहले से किसी प्रकार की मानसिक या मनोवैज्ञानिक बीमारी से जूझ रहे थे।
अनवश्यक भाव
वायरस के डर लोगों के अंदर तमाम प्रकार के चिंताजनक भाव देखने को मिले हैं। उदहारण के तौर पर लोगों में वायरस से संक्रमित होने का डर, अगर संक्रमण हो गया तो क्या होगा? क्या इस बीमारी का प्रभाव कभी ख़त्म नही होने वाला? नौकरी, व्यापार और कारोबार का क्या होगा? आदि सवाल लोगों के मन में कई तरह की मनोवैज्ञानिक बीमारियों को ट्रिगर करते हैं।
व्यावहारिक समस्या
कुछ लोगों के अंदर यह देखा गया है कि वायरस के डर की वजह से अकेलापन घर कर गया है। ऐसे लोग अकेले रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। लोग सार्वजानिक स्थानों पर नही जाना चाहते, किसी भी चीज़ को छूने से डरते हैं, लोगों से मिलने में झिझक होना आदि लक्षण घर करने पर आगे आने वाले समय में दिक्कत दे सकते हैं।
कोरोनाफोबिया के प्रमुख कारण (Causes of Coronaphobia)
कोरोना वायरस महामारी कई सालों बाद उत्पन्न हुई ऐसी स्थिति है जिसने पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। इस बीमारी की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता, आर्थिक मंदी और संक्रमण के डर ने लोगों के अंदर मनोवैज्ञानिक दिक्कतें पैदा कर दी है। लोगों के भीतर कोरोनाफोबिया होने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं।
- बीमारी की अनिश्चितता
- संक्रमण का डर
- भविष्य की चिंता
- जीवनशैली में परिवर्तन
- अकेलापन
- आर्थिक मंदी
- लोगों के व्यवहार में बदलाव

कोरोनाफोबिया से कैसे बचें (How to Deal with Coronaphobia)
कोरोना वायरस महामारी की अनिश्चितता की वजह से पैदा हुए कोरोनाफोबिया से बचने के लिए डॉ शबीउल्लाह सय्यद ने कई बातें साझा की। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से डर की स्थिति जिसे विशेषज्ञों ने कोरोनाफोबिया का नाम दिया है इससे निपटने के लिए हमें अपने व्यवहार और जीवनशैली में कुछ चीजों को अपनाना होगा। स्वास्थ्य की उचित देखभाल, अकेलेपन से दूर रहने आदि से हम खुद इस स्थिति से बचा सकते हैं। कोरोनाफोबिया से बचने के लिए इन बातों पर अमल करना फायदेमंद साबित होगा।
- योग, मेडिटेशन और व्यायाम करें
- अपने दैनिक कार्यों को पूरे मन से करें
- खुद को व्यस्त रखने की आदत डालें
- कोरोना वायरस के बारे में अधिक न सोचें
- अनावश्यक चिंता से बचें
- कोरोना के डर को मन से दूर करें
- वायरस से बचाव के लिए जो सामान्य तरीका है उसे अपनाएं
- परिवार और करीबियों को समय दें
- ज्यादा दिक्कत होने पर किसी मनोचिकित्सक से इलाज जरूर करवाएं
डॉ सैयद ने बताया कि भले ही अब कोरोना वायरस का टीकाकरण अभियान देश में तेजी से चल रहा है लेकिन हमें न तो लापरवाह होने की जरूरत हैं और न ही चिंता या अवसाद की स्थिति में जाना है। हाथों को जरूरत के हिसाब से नियमित रूप से साफ रखें और खुद की सफाई का ध्यान रखें लेकिन इन सबके बीच यह भी ध्यान रहे की कहीं ये आदतें दिमाग पर हावी तो नही हो रही हैं। खुद के मन को शांत रखने से ही हम कोरोनाफोबिया को मात दे सकते हैं। अगर किसी भी व्यक्ति को गंभीर समस्या है तो उसे किसी मनोचिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए। किसी भी प्रकार का बुखार, खांसी या जुकाम होने पर डरने की बजे चिकित्सक से इसका इलाज जरूर कराएं।
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