
देश भर में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान जारी है लेकिन इन सबसे बीच कोरोना के नए म्यूटेशन ने सरकार और वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है
भारत में कोरोना वायरस (COVID 19) के खिलाफ टीकाकरण अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन इन सबसे बीच कोरोना वायरस का कहर थमता नही दिख रहा। कई महीनों तक चले लॉकडाउन के बाद 'न्यू नार्मल' के इस दौर में जब टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई तो लोगों में कोरोना के खिलाफ डर का मौहौल भी कम होने लगा था। लेकिन अब फिर से अचानक बढ़ रहे मामलों ने सरकार और लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है। पिछले 24 घंटे में भारत में कोरोना के कुल नए केस 13,267 सामने आये हैं जो कि पिछले सात दिन में आये हुए मामलों में सबसे ज्यादा है। केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे राज्यों में कोरोना के अधिक नए मामले देखे जा रहे हैं। वहीं इन राज्यों में अब कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के मामले भी सामने आये हैं जिससे वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गयी है। लगभग दो महीने तक मामलों में कमी के बाद अब SARS-CoV-2 के नए वैरिएंट के आने से स्थिति बदलती नजर आ रही हैं। भारत में अब तक कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 1,10,30,176 हो गयी है वहीं कुल एक्टिव केस 1,46,907 हैं।
नए स्ट्रेन का केस बढ़ने से कोई संबंध नहीं: ICMR
भारत में दो ऐसे राज्य केरल और महाराष्ट्र हैं जहां पर वायरस के नए म्यूटेशन सामने आये हैं, इन दो राज्यों में कोरोना के नए म्यूटेशन E484K और N440K पाए गए हैं। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का ये नया म्यूटेशन यूके, दक्षिण अफ्रीकी या ब्राजील में आए नए स्ट्रेन से अलग है। सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने कोरोना के इस नए वैरिएंट का पता जनवरी में लगाया था। इस नए म्यूटेंट को शरीर में कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए बन रही एंटीबॉडी का भी कम असर पड़ता है। कोरोना के नए वैरिएंट के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञों का कहना है कि इसका बढ़ते हुए मामलों से कोई सीधा संबंध नही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी COVID-19 के नए म्यूटेशन और स्पाइक को लेकर कहा है कि, "उपलब्ध जानकारी के मुताबिक कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते हुए मामलों और नए म्यूटेशन E484K और N440K के बीच कोई सीधा संबंध नही है। मंगलवार को ICMR द्वारा मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के नए मामलों में यूके के नए स्ट्रेन वाले लक्षणों के 187 मरीज, 6 लोग दक्षिण अफ्रीकी और 1 ब्राजील के नए स्ट्रेन के लक्षण वाला मरीज मिला है।
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केरल और महाराष्ट्र में आ रहे सबसे ज्यादा मामले (New Corona Epicenter)
स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक देश में दो राज्यों में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। महाराष्ट्र और केरल में देश के कुल एक्टिव मामलों के 75 प्रतिशत मामले हैं। देश में कोरोनाविरुस के कुल सक्रिय मामलों में केरल की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत है और महाराष्ट्र में देश के कुल सक्रिय मामलों का प्रतिशत 37 हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश के कुल सक्रिय मामलों में से कर्नाटक में 4% और तमिलनाडु में 2.78% सक्रिय मामले हैं। इन राज्यों में केंद्र सरकार की तरफ से कोरोना की स्थिति की समीक्षा के लिए कई टीमें भी भेजी गई हैं। कोरोना के मामले भले ही अचानक बढ़ रहे हों लेकिन एक अच्छी खबर यह है कि देश में कोरोना की वजह से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है। इस महीने पहले हफ्ते से ही 100 से कम मृत्यु का रिकॉर्ड प्रतिदिन के हिसाब से बना हुआ है।
बढ़ते मामलों को लेकर दिल्ली सरकार अलर्ट पर (Delhi makes COVID Tests Mandatory for Visitors)
पांच राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार अलर्ट हो गई है। अब राजधानी दिल्ली में एंट्री करने के लिए RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट दिखानी पड़ेगी। देश के पांच राज्य महाराष्ट्र, केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पंजाब जहां कोरोना के मामलों में अचानक उछाल आया है से दिल्ली आने वाले लोगों को RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट दिखानी पड़ेगी। दिल्ली सरकार ने यह नया आदेश कोरोना के मामलों को देखते हुए लिया है, यह आदेश 26 फ़रवरी से 15 मार्च तक के लिए लागू होगा। महाराष्ट्र, केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पंजाब में देश के 86 प्रतिशत कुल नए मामले सामने आये हैं।
42 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्करों (Frontline Workers) का हुआ टीकाकरण
कोरोना के खिलाफ 16 फ़रवरी से शुरू हुआ टीकाकरण अभियान देश में लगातार जारी है। देशभर में 42 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्करों कोरोना का टीका लगाया जा चुका है। 2 फ़रवरी से शुरू हुए इस अभियान के तहत 9 राज्यों के 60 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्करों को कोरोना के टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है। सबसे तेज टीकाकरण करने वाले 10 राज्य और केंद्र शासित हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, तेलंगाना, गुजरात और त्रिपुरा हैं, यहां पर 75 प्रतिशत से अधिक रजिस्टर्ड स्वास्थकर्मियों (Health Workers) और फ्रंटलाइन वर्करों (Frontline Workers) को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है।
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टीकाकरण अभियान में हो सकती है प्राइवेट सेक्टर की एंट्री
कोरोना के टीकाकरण अभियान को और तेजी देने के लिए सरकार हर दिन में लगने वाली वैक्सीन के डोज को बढ़ाने की तैयारी कर रही है। 1 मार्च से देश में 50 साल से अधिक उम्र वाले बीमार लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जाएगी, इसको देखते हुए सरकार ने वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया को और तेज करने की तैयारी की है। जानकारी के मुताबिक अब वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया में प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल किया जा सकता है। टीकाकरण अभियान को गति देने के लिए सरकार यह कदम उठा सकती है। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल के मुताबिक, "स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों के टीकाकरण अभियान में भी प्राइवेट सेक्टर सरकार की मदद कर रहा है। प्रतिदिन लगभग 10 हज़ार अस्पतालों में वैक्सीन लगाई जा रही है जिसमें 2 हज़ार अस्पतालों में वैक्सीन प्राइवेट सेक्टर द्वारा ही लगाई जा रही है। ऐसे में सरकार इस अभियान को तेजी देने के लिए प्राइवेट सेक्टर को भी इसमें शामिल कर सकती है। गौरतलब हो वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया में सरकार का पहला टारगेट 27 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना है, इस टारगेट को पूरा करने के लिए प्राइवेट सेक्टर को इसमें शामिल किये जाने की बात सामने आ रही है।
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