
साइनस एक ऐसी समस्या है, जो आमतौर पर मौसम बदलने पर हावी हो जाती है। इसे साइनोसाइटिस भी कहते हैं। साइनस का मुख्य लक्षण जुकाम, बार-बार छींक आना, ठंड लगना, गला और नाक जाम होना आदि है। जानें साइनस से बचने के तरीके, इलाज और कारण।
मौसम में बदलाव होने पर अक्सर लोग जुकाम-बुखार का शिकार हो जाते हैं, जो कि सामान्य है। मगर कई बार जुकाम -बुखार के साथ-साथ छींक, सिर दर्द औऱ नाक जाम होने जैसी कई समस्याएं भी हो जाती हैं, जो कि साइनस या साइनोसाइटिस का संकेत हैं। कभी-कभी शरीर मौसम के साथ सही से तालमेल नहीं बैठा पाता। ऐसे में साइनस आम समस्या है, जिसके लोग शिकार हो जाते है। हालांकि साइनस कोई गंभीर बीमारी नहीं है, मगर कुछ लोगों को साइनस बहुत परेशान करता है। साइनस के कारण रोजमर्रा के कामों में परेशानी आती है और काम में मन भी नहीं लगता है। आइए आपको बताते हैं इस बीमारी हे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें।
साइनस आखिर क्या है?
नाक हमारे शरीर का महत्वपूर्ण सेन्स आर्गन होता है। जीवन की आधार 'श्वसन क्रिया' भी नाक के माध्यम से ही होती है। साइनोसाइटिस नाक को प्रभावित करता है। वास्तव में साइनस हवा की एक थैली होती है जो नाक के चारों ओर फैली होती है। अंदर ली गई हवा इस थैली से गुजरकर फेफड़ों तक पहुंचती है। यह थैली हवा के प्रदूषित भाग को भीतर जाने से रोकती है और उसे बलगम या विकार के रूप में निकाल देती है। साइनस में जब म्यूक्स का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है तब साइनोसाइटिस की स्थिति पैदा होती है। म्यूक्स में यह अवरोध म्यूक्स में इंफैक्शन तथा साइनस में सूजन आने के कारण होता है। चूंकि साइनस अंदर ली गई हवा को नमी प्रदान करता है जिससे श्वसन तंत्र में अन्य भागों जैसे श्वास नली तथा फेफड़ों को भी नमी मिलती है, इसके प्रभावित होने से शुष्क वातावरण में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
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साइनोसाइटिस का कारण
जब एक व्यक्ति को जुकाम तथा एलर्जी हो, तो साइनस ऊतक अधिक कफ बनाते हैं एवं सूज जाते हैं। साइनस का निकासी तंत्र अवरुद्ध हो जाता है एवं कफ इस साइनस में फँस सकता है। बैक्टीरिया, कवक एवं वायरस वहाँ विकसित हो सकते हैं तथा साइनसाइटिस का कारण हो सकते हैं।
साइनोसाइटिस के लक्षण
- बच्चों को आमतौर से जुकाम जैसे लक्षण होते हैं, जिसमें भरी हुई या बहती नाक तथा मामूली बुखार शामिल हैं। जब बच्चे को सर्दी के लक्षणों की शुरुआत के करीब तीसरे या चौथे दिन के बाद बुखार होता है, तो यह साइनसाइटिस हो सकता है।
- वयस्कों में साइनसाइटिस के अधिकतर लक्षण दिन के समय सूखी खाँसी होना जो सर्दी के लक्षणों, बुखार, खराब पेट, दांत दर्द, कान में दर्द, या चेहरे के ढीलेपन के पहले 7 दिनों के बाद भी कम नहीं होते है।
- साइनसाइटिस होने पर धीरे−धीरे रोगी की आवाज में परिवर्तन आने लगता है।
- सिरदर्द या सिर में भारीपन भी करता है।
- नाक व मुंह से ज्यादा बलगम भी आने लगता है और हल्का बुखार भी होता है।
- रोगी को आंखों में तथा आंखों के पलकों के ऊपर तथा किनारों पर दर्द भी होता है।
- साथ ही छींक आने पर पानी बहने तथा अंदरूनी सतह सूज जाने के कारण सांस लेना मुश्किल हो सकता है, जिस कारण रोगी को मुंह से सांस लेना पड़ सकता है।
साइनसाइटिस का इलाज
- साइनसाइटिस हो जाने पर मरीज को किसी विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श करना चाहिए।
- डॉक्टरों के अनुसार एक्यूट साइनसाइटिस से अस्थाई अवरोध हो तो एंटीबायोटिक तथा डीकन्जेस्टैंट से दूर हो जाता है। परन्तु क्रानिक साइनसाइटिस का उपचार साधारण तरीके से नहीं हो पाता, इस स्थिति में स्थायी अवरोध को दूर करने के लिए साइनस इंडोस्कोपी नामक मशीन से सर्जरी की जाती है।
- बदलते मौसम के अनुसार खान−पान का ध्यान रखना चाहिए।
- तापमान के अत्यधिक उतार−चढ़ाव से गले व नाक को बचाये रखें।
- प्रदूषण, धूल तथा एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्वों से बचना चाहिए।
- साल में एक बार किसी अच्छे नाक−कान व गला रोग विशेषज्ञ से जांच जरूर करवानी चाहिए ताकि पनपने के स्तर पर ही रोग को पकड़ा जा सके।
- अपने वातावरण को साफ रखें साथ ही जिनसे आपको साइनसाइटिस होता हो, उन परिस्थितियों या एलर्जी के कारकों से बचने की कोशिश करें।
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