Food Pharmer aka Revant Himatsingka Interview in Hindi: अगर कभी भी फूड लेबल्स को लेकर बात होती है, तो इंस्टाग्राम इंफ्लूयंसर फूड फार्मर यानि कि रेवंत हिमत्सिंगका (Food pharmer Revant Himatsingka) की चर्चा न हो, ये कैसे हो सकता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कई वीडियो पोस्ट किए हैं, जिसमें फूड लेबल को पढ़ने की जानकारी देकर भारत में एक अलग तरह की बहस शुरू कर दी है। उनकी जागरूकता ही नतीजा है कि आज लोग फूड प्रोडक्ट्स खरीदने से पहले लेबल्स पढ़ने लगे हैं और उन्हें प्रोसेस्ड फूड या डिब्बाबंद प्रोडक्ट्स में चीनी, नमक और प्रिजर्वेटिव्स की जानकारी होने लगी है। इसका खामयिजा भी रेवंत को कानूनी रूप से भुगतना पड़ रहा है, इसके बावजूद उन्होंने अपनी इस पहल को रोकने की बजाय और तेज कर दिया है। कोलकता में जन्मे रेवंत ने अमेरिका में एमबीए करने के बाद कुछ समय तक जॉब की और फिर भारत आकर लोगों को बाजार में मिलने वाली फूड कंपनियों के प्रोडक्ट्स पर काम करना शुरू कर दिया था।
हाल ही में दिल्ली में हुए इंडियन हेल्दी स्नैकिंग समिट (IHSS) 2.0 में हमारी मुलाकात रेवंत से हुई, तो हमने उनसे हेल्थ से जुड़े कई मुद्दों पर बात की और उनके नजरिए को समझने की कोशिश की। उन्होंने बच्चों के खानपान से लेकर क्लीन लेबल (Clean Label) और हेल्दी इंटिंग (Healthy Eating)पर खुलकर बातें की।
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सोशल मीडिया ने हमें बुनियादी आदतों से किया दूर
जब हमने रेवंत से पूछा कि क्या सच में हमने अपने खानपान को जटिल कर दिया है, तो उन्होंने कहा, “दरअसल आए दिन सोशल मीडिया पर न्यूट्रिशन और हेल्दी खाने पीने की रील्स में आधी अधूरी जानकारी ने लोगों को कन्फ्यूज कर दिया है। दूसरी तरफ जो मार्किट में प्रोडक्ट्स मिल रहे हैं, वे सब क्लीन लेबल (clean label) नहीं है। मैं खुद न्यूट्रिशनिस्ट हूं और मुझे न्यूट्रिशन की काफी जानकारी है, इसके बावजूद मुझे कई बार लगता है कि सब कुछ मिलावटी है, तो मैं क्या खाऊं। इन सब के बीच आम लोग अपनी बुनियादी आदते वॉकिंग, सही मात्रा में खाना और ज्यादा खाने से बचने जैसी आदतों से दूर होते जा रहे हैं। अगर हम इन आदतों को अपना लें, तो कई बीमारियों से बचा जा सकता है।”
पैरेंट्स बच्चों की सेहत के लिए जिम्मेदार
बच्चों में बढ़ते जंक फूड्स को लेकर रेवंत ने कहा, “पैरेंट्स को अपने बच्चे को स्वाद की लत नहीं लगवानी चाहिए। अब आप देखें कि शरीर बहुत बड़ा है और जीभ उसमें बहुत ही छोटा सा भाग है। शरीर के इस छोटे से भाग के टेस्ट के लिए आप बच्चे के पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा रहे है, इसलिए पैरेंट्स को इन चीज़ों से बचना चाहिए। जैसे आप बाजार की सॉस लेने के बजाय अपने बच्चे को हरी चटनी दें, हालांकि हरी चटनी स्वादिष्ट नहीं होती लेकिन बच्चे की सेहत के लिए अच्छी है। अगर पैरेंट्स बचपन से अपने बच्चे को न्यूट्रिशन की जानकारी दें, तो सेहतमंद खानपान की आदत पड़ जाती है।”
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रेवंत ने फूड लेबल पढ़ने पर दिया जोर
IHSS के दौरान स्टेज पर बोलते हुए रेवंत ने लोगों को लेबल पढ़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अगर आप कुछ भी खरीदते हैं, तो उसका लेबल जरूर पढ़ें और उसमें इस्तेमाल चीज़ों को जरूर चेक करें। क्लीन लेबल वाले प्रोडक्ट्स लेने की कोशिश करें और जिनमें कम से कम चीजों का इस्तेमाल होता है, वे प्रोडक्ट्स काफी हद तक क्लीन लेबल में आते हैं। मैं हमेशा जोर देता हूं कि आप सभी को ऐसे प्रोडक्ट लेने चाहिए, जिसमें लेबल ही न हो। जैसेकि ताजे फल और सब्जियां, मेवे इत्यादि। इन्हें खाकर सेहतमंद रहा जा सकता है।”
“हालांकि आजकल प्रोडक्ट्स ऐसे कई तरीके अपनाते हैं, जिससे ग्राहकों को हर्बल होने का एहसास हो जाए, जैसे कि प्रोडक्ट को हरा रंग देना, ताकि लोगों को वह हर्बल लगे। लेकिन इसके साथ प्रोडक्ट्स ये भी समझ गए हैं कि लोग हेल्थ को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं। इस वजह से उनका पूरा फोकस हेल्थ पर होने लग गया है। जैसे कि स्किन क्रीम सिर्फ गोरा करने पर जोर देती थी, लेकिन अब क्रीम्स नॉन टॉक्सिकन्स पर जोर देती है।”
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रेवंत का लोगों को जागरुक कराने का मिशन
रेवंत ने सेहत पर जोर देते हुए कहा, “हेल्थकेयर का मतलब अस्पताल से सुविधाएं मिलना नहीं होता, बल्कि हेल्थ खाने की मेज से शुरू होती है और अगर खाना सेहतमंद होगा तो हम किसी भी बीमारी को शुरू होने से पहले ही रोक सकते हैं। बीमार होने पर सुविधाएं लेने की बजाय बीमारियों को पहले रोक देना ही असली बदलाव है। इसलिए मेरे जीवन का उद्देश्य है कि भारत में लोग सेहतमंद बने, न्यूट्रिशन के बारे में जानें और अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए प्रोडक्ट्स खरीदें। मैंने महसूस किया है कि लोग शिक्षित तो हैं, लेकिन हेल्थ को लेकर ज्यादा सतर्क नहीं है। इसलिए मैं सभी को हेल्थ से जुड़ी शिक्षा देना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि स्कूली स्तर पर ही बच्चों को हेल्थ और न्यूट्रिशन को विषय के तौर पर पढ़ाना चाहिए ताकि वे सेहत के प्रति जागरुक हो सके।”