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लाइफ के अलग-अलग फेज में महिलाओं के हेल्थ पर हार्मोनल बदलाव का क्या प्रभाव पड़ता है? डॉक्टर से जानें

महिलाओं के जीवन के अलग-अलग पड़ाव में हार्मोन अलग-अलग तरह से प्रभावित होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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लाइफ के अलग-अलग फेज में महिलाओं के हेल्थ पर हार्मोनल बदलाव का क्या प्रभाव पड़ता है? डॉक्टर से जानें


Hormonal Changes in Females Different Stages: एक महिला का जीवन जन्म से लेकर बुढ़ापे तक कई तरह के बदलाव आते हैं, जो महिलाओं के हर अवस्था को अलग-अलग तरह से परिभाषित करते हैं। महिलाओं में पीरियड्स से लेकर, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज हर फेज में स्वास्थ्य से जुड़ी अलग-अलग समस्याएं होती है, जो उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि महिलाओं की लाइफ के अलग-अलग फेज में महिलाओं के स्वास्थ्य पर हार्मोन में बदलाव का क्या असर पड़ता है। अगर आप भी जानना चाहते हैं को आइए गुरुग्राम के नारायणा अस्पताल के ऑब्स्टेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. शैली कपूर से जानते हैं महिलाओं के जीवन में हार्मोनल बदलाव का क्या असर होता है? (what are hormonal changes in females every stage of life)

महिलाओं के हेल्थ पर हार्मोनल बदलाव का प्रभाव - Effects Of Hormonal Changes On Women Health in Different Phases in Hindi

सीनियर कंसल्टेंट डॉ. शैली कपूर के अनुसार, "महिलाओं के जीवन में हार्मोनल बदलाव का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। किशोरावस्था से लेकर गर्भावस्था, मेनोपॉज और वृद्धावस्था तक, शरीर में तरह-तरह के हार्मोन्स में बदलाव होता है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।"

1. किशोरावस्था - Teenage Years

किशोरावस्था यानी टीनेज में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे पीरियड साइकिल शुरू होती है। इस दौरान कई लड़कियों को अनियमित पीरियड्स, एक्ने, मूड स्विंग्स और इमोशनल इंबैलेंस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस उम्र में हार्मोनल बदलाव होने के कारण कुछ लड़कियों में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी समस्याएं भी होती है।

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2. प्रजनन अवस्था - Reproductive Age

प्रजनन अवस्था, 20 से 40 साल तक होती है। इस उम्र में हार्मोन महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को कंट्रोल करते हैं। इस दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कंसीव करने की संभावना को बढ़ाते हैं। इस पीरियड में महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, कंसीव करने और मिसकैरेज जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

3. गर्भावस्था और पोस्टपार्टम - Pregnancy and Postpartum

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG), प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है, जिससे मीड स्विंग्स, थकान और मतली जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डिलीवरी के बाद अचानक हार्मोनल गिरावट के कारण कई महिलाओं को पोस्टपार्टम डिप्रेशन और बाल झड़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

 

4. मेनोपॉज - Menopause

मेनोपॉज महिलाओं में आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र में होती है। इस दौरान जब अंडाशय धीरे-धीरे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन कम कर देते हैं तो इसके कारण महिलाओं को हॉट फ्लैशेज, अनिद्रा, मूड स्विंग्स, हड्डियों की कमजोरी और हार्ट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इस अवस्था में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) और संतुलित आहार की मदद से राहत पाई जा सकती है।

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5. वृद्धावस्था - Old Age

मेनोपॉज के बाद वृद्धावस्था में हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाओं के शरीर की हड्डियों में कमजोरी, जोड़ों में दर्द, भूलने की बीमारी और स्किन में झुर्रियों जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इस दौरान हेल्दी लाइफस्टाइल, नियमित व्यायाम और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट की मदद से शरीर को मजबूत रखा जा सकता है।

निष्कर्ष

महिलाओं के जीवन के अलग-अलग चरणों में हार्मोनल बदलाव की अहम भूमिका होती है। लेकिन, इस अवस्था में सही डाइट, एक्सरसाइज और डॉक्टर की सलाह से सभी अवस्थाओं में हार्मोनल बदलावों के कारण होने वाली समस्याओं को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
Image Credit: Freepik

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