महिलाओं को पीरियड व अन्य समस्याओं में हार्मोनल बदलाव का सामना करना पड़ता है। हार्मोनल बदलाव की वजह से महिलाओं को मानसिक और शारीरिक बदलाव का सामना करना पड़ सकता है। अनियमित दिनचर्या और कई तरह की स्वास्थ्य स्थितियों के चलते महिलाओं को ओवेरियन कैंसर की समस्या का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को होने वाले कैंसर में इसे एक गंभीर समस्या मानी जाती है। यह महिलाओं की प्रजनन तंत्र को प्रभावित कर सकता है। ओवेरियन कैंसर को साइलेंट कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, इसके लक्षण कई बार सामने नहीं आते हैं। जिसकी वजह से इसको पहचान पाना मुशिकल हो जाता है। कुछ मामलों में ओवेरियन कैंसर की पहचान में सालों का समय लग जाता है। ऐसे में कई महिलाओं के मन में प्रश्न उठता है कि क्या हार्मोनल बदलाव ओवेरियन कैंसर का कारण बन सकता है। इस लेख में साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनक्लॉजिस्ट डॉ विभा बंसल से जानते हैं कि क्या हार्मोनल बदलाव से महिलाओं में ओवेरियन कैंसर की वजह बन सकता है।
हार्मोनल बदलाव और ओवेरियन कैंसर के बीच संबंध हो सकता है? - Connection Between Hormonal Changes And Ovarian Cancer In Hindi
ओवेरियन कैंसर महिलाओं की ओवरी (ovaries) में विकसित होने वाला कैंसर है। महिलाओं के शरीर में ओवरी दो छोटी ग्रंथियां होती हैं, जो एग्स (eggs) और हार्मोन (जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन) बनाती हैं। जब इनमें कोशिकाओं की असामान्य रूप से वृद्धि होने लगती है और यह शरीर के अन्य भागों में फैल जाती है, तो यह स्थिति ओवेरियन कैंसर कहलाती है। हर महिला की स्वास्थ्य स्थिति अलग-अलग होती है, ऐसे में हार्मोनल बदलाव के प्रभाव भी हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ संभावित कारणों की वजह से महिलाओं को हार्मोन बदलाव ओवेरियन कैंसर की वजह बन सकते हैं। आगे जानते हैं कि हार्मोनल बदलाव किस तरह से ओवेरियन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है।
लंबे समय तक एस्ट्रोजन का अधिक स्तर
अगर महिला के शरीर में लंबे समय तक एस्ट्रोजन का स्तर ज्यादा बना रहता है, तो यह ओवरीज की कोशिकाओं को अत्यधिक स्टिम्यूलेट कर सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। जिन महिलाओं को देर से मेनोपॉज होता है या जिनके पीरियड्स जल्दी शुरू हो जाते हैं, उनमें ये जोखिम अधिक देखा गया है।
हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी (HRT)
कुछ महिलाएं मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन या अन्य हार्मोन लेने लगती हैं, ताकि हार्मोनल संतुलन बना रहे। परंतु लंबे समय तक HRT लेने से ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, खासकर अगर सिर्फ एस्ट्रोजन का प्रयोग किया जा रहा हो।
महिलाओं में इंफर्टिलिटी (Infertility) और हार्मोनल दवाएं
महिलाओं में इनफर्टिलिटी के इलाज में दी जाने वाली कुछ हार्मोनल दवाओं का लंबे समय तक उपयोग भी ओवेरियन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है, खासकर अगर किसी महिला को प्रेग्नेसीं नहीं हुई हो।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)
PCOS की स्थिति में महिलाओं में एस्ट्रोजन और अन्य हार्मोन का असंतुलन होता है। इससे न केवल पीरियड्स अनियमित होते हैं, बल्कि लंबे समय तक पीसीओएस रहने पर ओवेरियन कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है।
प्रेग्नेंट न होना
प्रेग्नेंसी के दौरान ओवुलेशन रुक जाता है, जिससे ओवरी को "आराम" मिलता है। जिन महिलाओं को कभी गर्भधारण नहीं हुआ, उनमें लगातार ओवुलेशन होने के कारण कोशिकाओं की बार-बार मरम्मत होती है, जिससे कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है।
इसे भी पढ़ें: महिलाओं में इन 5 कारणों से तेजी से बढ़ रहा है ओवेरियन कैंसर, खुद बता रहे हैं डॉक्टर
हार्मोनल बदलाव महिलाओं के जीवन का एक सामान्य हिस्सा हैं, लेकिन कुछ महिलाओं में हार्मोनल बदलाव की वजह से गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता हैं। इसमें ओवेरियन कैंसर को भी शामिल किया जा सकता है। सही जानकारी, समय पर जांच और जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करके आप कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
FAQ
लड़कियों में हार्मोन बदलने पर क्या होता है?
हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे अनियमित पीरियड्स, मूड स्विंग्स, वजन बढ़ना, बालों का झड़ना, त्वचा की समस्याएं, और कभी-कभी गर्भधारण में भी दिक्कत होती है।ओवेरियन कैंसर के लक्षण क्या होते हैं?
ओवेरियन कैंसर होने पर पेट या पेल्विक क्षेत्र में सूजन, पेट भरा हुआ महसूस, बार-बार पेशाब आना, थकान या ऊर्जा में कमी, पीरियड्स के समय में बदलाव या अनियमितता की समस्या हो सकती है।ओवेरियन कैंसर का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं?
ओेवेरियन कैंसर होने पर इमेजिंग टेस्ट जैसे कि सीटी स्कैन या ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकते हैं।