Early Signs Of Heart Valve Issues In Hindi: हृदय में चार वाल्व होते हैं। अगर इनमें से एक भी वाल्व में कोई दिक्कत हो जाए, तो उसे हम हृदय वाल्व रोग के नाम से जानते हैं। आपको बता दें कि हृदय में मौजूद चार वाल्व ब्लड को सही दिशा में फ्लो होने में मदद करते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में देखा जाता है कि एक या अधिक वाल्व ठीक से पंप नहीं होते हैं। नतीजतन शरीर के हर हिस्से तक सही तरह ब्लड फ्लो नहीं हो पाता है। इस तरह की स्थिति शरीर के लिए बिल्कुल सही नहीं है। ऐसी परेशानी आपके साथ न हो, इसके लिए जरूरी है कि आप हार्ट वाल्व से जुड़ी सभी समस्याओं के बारे में जानें। इस संबंध में हमने एक्सपर्ट से बात की और जाना कि आखिर हार्ट वॉल्व डिजीज के शुरुआती लक्षण क्या सकते हैं। इस बारे में हमने गुड़गांव में स्थित मैक्स अस्पताल के प्रिंसिपल डायरेक्टर-कार्डिओलॉजी कर्नल (डॉ.) मनजिंदर सिंह संधू से बात की।
हृदय वाल्व रोग के शुरुआती लक्षण- Symptoms Of Heart Valve Disease in Hindi
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हृदय वाल्व रोग होने पर पीड़ित व्यक्ति को लंबे समय तक इसके किसी तरह के लक्षण नजर नहीं आते हैं। यहां तक कि सालों तक इसके लक्षण अनदेखे रह सजाते हैं। इसके बावजूद, जो शुरुआती लक्षण दिखते हैं, वे इस प्रकार हैं-
छाती से घरघर की आवाज आनाः हृदय वाल्व रोग होने पर छाती से घरघर की आवाज आ सकती है। हालांकि, शुरुआती दिनों में यह आवाज इतनी धीमी होती है कि डॉक्टर उसे स्टेथोस्कोप के जरिए ही सुन सकते हैं।
छाती में दर्द होनाः हृदय वाल्व रोग होने पर मरीज के सीने में दर्द बना रह सकता है। कई तरह के घरेलू उपायों से भी फर्क न पड़े, तो इस सामान्य सर्दी-जुकाम नहीं समझना चाहिए। इसके विपरीत, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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पेट में सूजनः अगर लंबे समय तक हृदय वाल्व रोग अनदेखा रह जाए, तो पेट में सूजन की समस्या होने लगती है। ऐसा खासकर एड्वांस स्टेज में देखने को मिलता है।
थकान होनाः हृदय से जुड़ी किसी भी तरह की बीमारी होने पर थकान सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है। इसी तरह, हृदय वाल्व रोग होने पर भी मरीज थोड़ी-बहुत फिजिकल एक्टिविटी करने से थक जाता है। कई बार सांसें भी उखड़ने लगती है। इस तरह के लोगों के लिए ज्यादा समय तक एनर्जेटिक बने रहना मुश्किल हो जाता है।
पैरों या टखनों में सूजनः हृदय वाल्व रोग होने पर पैरों या टखनो में सूजन भी देखने को मिलती है। हालांकि शुरुआती दिनां में से सामानय सूजन मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। जबकि, ऐसा किया जाना सही नहीं है। पैरों में सूजन दिखे, तो तुरंत अपनी जांच करवाएं।
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चक्कर आना या बेहोशीः हृदय वाल्व रोग होने पर मरीज को थकान होने के साथ-साथ चक्कर आना भी शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकता है। हालांकि, चक्कर आना कई अन्य बीमारियों की ओर भी इशारा करता है। कई बार कमजोरी के कारण भी चक्कर आते हैं। वहीं, अगर आपको चक्कर आने के साथ-साथ अन्य लक्षण भी दिखे, तो लापरवाही करने से बचें।
दिल की अनियमित धड़कनः जब आप बहुत तेज भागते हैं या तेज-तेज कदमों से सीढ़ियां चढ़ते हैं, तो अक्सर दिल की अनियमित धड़कन का असहास करते होंगे। लेकिन, हृदय वाल्व रोग होने पर भी दिल की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं। इसकी अनदेखी करना सही नहीं है। वैसे भी दिल की अनियमित धड़कन अपने आप में एक गंभीर बीमारी है।
हृदय वाल्व रोग का कारण- Causes Of Heart Valve Disease In Hindi
हृदय वाल्व रोग के कई कारण हो सकते हैं। नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट ने जिन कारणों को चिन्हित किया है, वे इस प्रकार हैं-
- जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, तो हृदय वाल्व रोग का रिस्क बढ़ता जाता है। वहीं, अगर व्यक्ति की आदतें भी खराब हैं, तो इस बीमारी होने का रिस्क और भी बढ़ जाता है।
- अगर घर में किसी को इस तरह की समस्या पहले कभी रही हो, तो भवी पीढ़ी को भी हृदय वाल्व रोग हो सकता है। यही नहीं, कोरोनरी हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास भी आपके हृदय वाल्व रोग के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है।
- आपकी खराब आदतें, जैसे अनहेल्दी डाइट, धूम्रपान, मोटापा आदि भी हृदय वाल्व रोग के जोखिम को बढ़ा देती है।
- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ऑटोइम्यून डिजीज जैसी बीमारियां भी हृदय वाल्व रोग के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
- कैंसर के ट्रीटमेंट की वजह से भी हार्ट पर प्रभाव पड़ता है।