हार्ट अटैक ही नहीं, दिल की अलग-अलग बीमारियों के लक्षण भी हैं अलग, ऐसे पहचानें इन्हें

हार्ट अटैक जैसी दिल की गंभीर बीमारियों के लक्षण सही समय पर न पहचाने जाएं, तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है। जानें अलग-अलग दिल की बीमारियों के लक्षण और संकेतों के बारे में सबकुछ।
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हार्ट अटैक ही नहीं, दिल की अलग-अलग बीमारियों के लक्षण भी हैं अलग, ऐसे पहचानें इन्हें


दिल एक महत्वपूर्ण अंग है। जब तक आपका दिल धड़क रहा है, आपका जीवन है और जब दिल धड़कना बंद हो जाएगा, जीवन समाप्त हो जाएगा। दरअसल धड़कने के माध्यम से दिल शरीर के सभी अंगों तक खून को पंप करता है। इस खून में शरीर के अंगों को लिए पोषक तत्व और जीवन के लिए सबसे जरूरी अवयव 'ऑक्सीजन' होते हैं। अगर किसी अंग तक ये ऑक्सीजनयुक्त खून न पहुंच पाए, तो वो अंग काम करना बंद कर देता है। कई बार दिल तक खून पहुंचाने वाली धमनियों में समस्या होने पर दिल की कोशिकाएं मरने लगती हैं। इसे ही हार्ट अटैक कहते हैं। हार्ट अटैक के अलावा भी तमाम तरह के हृदय रोग होते हैं। जानें इन हृदय रोगों (दिल की बीमारियों) के लक्षण।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज

कोरोनरी आर्टरी डिजीज का सबसे आम लक्षण है एंजाइना या छाती में दर्द। एंजाइना को छाती में भारीपन, असामान्यता, दबाव, दर्द, जलन, ऐंठन या दर्द के अहसास के रूप में पहचाना जा सकता है। कई बार इसे अपच या हार्टबर्न समझने की गलती भी हो जाती है। एंजाइना कंधे, बाहों, गर्दन, गला, जबड़े या पीठ में भी महसूस की जा सकती है। इस बीमारी के दूसरे लक्षण इस प्रकार हैं- छोटी-छोटी सांस आना, धड़कनों का तेज होना, कमजोरी या चक्कर आना, उल्टी आने का अहसास होना, पसीना आना आदि।

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हार्ट अटैक

हार्ट अटैक के दौरान आमतौर पर लक्षण आधे घंटे तक या इससे ज्यादा समय तक रहते हैं और आराम करने या दवा खाने से आराम नहीं मिलता। लक्षणों की शुरुआत मामूली दर्द से होकर गंभीर दर्द तक पहुंच सकती है। कुछ लोगों में हार्ट अटैक का कोई लक्षण सामने नहीं आता, जिसे हम साइलेंट मायोकार्डियल इन्फार्कशन या एमआई कहते हैं। ऐसा आमतौर पर उन मरीजों में होता है जो डायबीटीज से पीड़ित होते हैं।

हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर बिल्कुल देर न करें। फौरन आपातकालीन मदद लें, क्योंकि हार्ट अटैक में फौरन इलाज बेहद जरूरी है। इलाज जितनी जल्दी होगा, मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी। हार्ट अटैक के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं-

  • सीने, बाहों, कुहनी या छाती की हड्डियों में असहजता, दबाव
  • भारीपन या दर्द का अहसास, असहजता का पीठ, जबड़े, गले और बाहों तक फैलना।
  • पेट भरा होने, अपच या हार्टबर्न का अहसास होना।
  • पसीना, उल्टी, मितली या कमजोरी महसूस होना।
  • बहुत ज्यादा कमजोरी, घबराहट या सांस का रुक-रुककर आना।
  • दिल की धड़कनों का तेज या अनियमित होना।

हार्ट वाल्व संबंधी बीमारी के लक्षण

हार्ट वाल्व संबंधी बीमारी के लक्षण हमेशा स्थिति की गंभीरता से संबंधित नहीं होते। कई बार ऐसा भी होता है कि कोई लक्षण सामने नहीं आता, जबकि व्यक्ति को हार्ट वाल्व की गंभीर बीमारी होती है, जिसमें फौरन इलाज की जरूरत होती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लक्षण काफी गंभीर होते हैं, समस्या भी गंभीर होती है, मगर जांच में वाल्व संबंधी मामूली बीमारी का पता लगता है। पूरी सांस न आना, खासतौर से तब, जब आप अपनी सामान्य नियमित दिनचर्या कर रहे हों या बिस्तर पर सीधे लेटे हों। कमजोरी या बेहोशी महसूस होना। सीने में असहजता महसूस होना। कुछ काम करते वक्त या ठंडी हवा में बाहर निकलने पर छाती पर दबाव या भारीपन महसूस होना। पल्पिटेशन (यह दिल की धड़कनों के तेजी से चलने, अनियमित धड़कन, धड़कनों के चूकने आदि के रूप में महसूस हो सकता है)।

दिल संबंधी जन्मजात दोष

ऐसे दोषों का जन्म से पहले, जन्म के फौरन बाद या बचपन में भी पता लगाया जा सकता है। कई बार बड़े होने तक इसका पता नहीं लग पाता। यह भी मुमकिन है कि समस्या का कोई लक्षण सामने आए ही नहीं। ऐसे मामलों में कई बार शारीरिक जांच में दिल की मंद ध्वनि से या ईकेजी या चेस्ट एक्सरे में इसका पता लग जाता है। जिन वयस्कों में जन्मजात दिल की बीमारी के लक्षण मौजूद होते हैं, उनमें ऐसा देखा जाता है:जल्दी-जल्दी सांस लेना। शारीरिक व्यायाम करने की सीमित क्षमता। हार्ट फेलियर या वाल्व संबंधी बीमारी के लक्षण दिखना। नवजात और बच्चों में जन्मजात हृदय संबंधी दोष। साइनोसिस (त्वचा, उंगलियों के नाखूनों और होठों पर हल्का नीला रंग दिखाई देना)।

  • तेज सांस लेना और भूख में कमी।
  • वजन ठीक ढंग से न बढ़ना।
  • फेफड़ों में बार-बार इन्फेक्शन होना।
  • एक्सरसाइज करने में दिक्कत।

हृदय रोगो से बचने का सबसे आसान उपाय है, उन लक्षणों को जानना जो आपके लिए घातक हो सकते हैं । ऐसे ही कुछ सामान्‍य लक्षण हैं, जो जटिल भी हो सकते हैं।


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