कुछ लोगों को अक्सर सीने में तेज या हल्के दर्द की समस्या होती है। यह समस्या अपने आप ही कम हो जाती है। लेकिन, ज्यादातर लोग इसे हृदय से जुड़ी समस्या या हार्ट अटैक का संकेत मान लेते हैं। मगर, आपको बता दें कि सीने में दर्द होना हार्ट अटैक का एक बड़ा संकेत हो सकता है। लेकिन, यह हमेशा हार्ट अटैक की ओर ही इशारा नहीं करता है। लोगों की सीने में दर्द की समस्या से जुड़े इन्हीं सवालों का जवाब इस लेख में दिया जाएगा। इस लेख में जानेंगे कि सीने में दर्द अगर हार्ट अटैक की वजह नहीं होता है, तो वह किन बीमारियों का संकेत हो सकता है। आगे एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पंकज पोहेकर से जानते हैं कि सीने में दर्द किन कारणों से होता है?
सीने में दर्द होने के क्या कारण होते हैं?
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD)
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) एक क्रॉनिक डाइजेशन डिसऑर्डर है, जिसमें पेट का एसिड और बाइल आहार नली की परत में जलन पैदा कर सकते हैं। इस स्थिति के कारण सीने में जलन हो सकती है, जिसे आमतौर पर हार्टबर्न के रूप में जाना जाता है, जिसे अक्सर हार्ट अटैक का संकेत समझ लेते हैं।
कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस (Costochondritis)
कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस होने पर कार्टिलेज में सूजन है , यह सूजन पसलियां यानी ब्रेस्टबोन से जुड़ी होती हैं। इस स्थिति में सीने में दर्द होता है जो छूने से और भी बढ़ जाता है।
पैनिक अटैक और एंग्जाइटी
पैनिक अटैक और एंग्जाइटी से सीने में दर्द हो सकता है, यह हार्ट अटैक के लक्षणों जैसा होता है। इस तरह के सीने में दर्द के साथ अक्सर तनाव और डर से जुड़े कई अन्य लक्षण भी महसूस होते हैं।
फेफड़ों में संक्रमण या नाक बंद होना
फेफड़ों में संक्रमण या रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में रुकावट के कारण होने वाला सीने में दर्द आमतौर पर सांस फूलने, बुखार या घरघराहट की आवाज के साथ होता है। ये लक्षण गहरी सांस लेने या खांसने पर व्यक्ति को ज्यादा परेशानी हो सकती है।
मांसपेशियों में खिंचाव
मांसपेशियों में खिंचाव, खास तौर पर छाती या शरीर के ऊपरी हिस्से में, सीने में दर्द का कारण बन सकता है। इस तरह का दर्द आमतौर पर पसलियों के बीच की मांसपेशियों (इंटरकोस्टल मांसपेशियों) के अत्यधिक उपयोग, चोट या सूजन के कारण होता है।
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हर बार सीने में दर्द हार्ट अटैक का संकेत नहीं होता है। लेकिन इसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। ऐसे में आप तुरंत किसी नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसे में आप लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव कर सकते हैं।