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देर से सोने वालों में हार्मोनल असंतुलन का खतरा होता है ज्यादा? जानें इससे सेहत पर क्या असर पड़ता है

जिन लोगों को देर से सोने की आदत होती है, उनमें हार्मोनल असंतुलन का खतरा ज्यादा होता है। लेख में एक्सपर्ट से समझें इस बारे में।
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देर से सोने वालों में हार्मोनल असंतुलन का खतरा होता है ज्यादा? जानें इससे सेहत पर क्या असर पड़ता है


How Sleeping Late Cause Hormonal Imbalance: आपने गौर किया होगा जिस दिन हमारी नींद पूरी नहीं होती है, हम ज्यादा थकावट महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी सेहत स्लीप साइकिल से सीधी तौर पर जुड़ी होती है। इसलिए ही नींद से जुड़ी कोई भी परेशानी होने पर असर सेहत पर नजर आने लगता है। स्लीप एपनिया या नींद से जुड़ा हर विकार शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है। जिन लोगों को देरी से सोने की आदत होती है उनमें हेल्थ इशुज ज्यादा देखे जाते हैं। बिजी लाइफस्टाइल के कारण आजकल ज्यादातर लोगों को देरी से सोने की आदत होती है। लेकिन लंबे समय में यह आदत सेहत को नुकसान कर सकती है। इसके कारण हार्मोन्स हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। इस कारण शरीर में हार्मोन्स भी इंबैलेंस हो सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इसका खतरा देरी से सोने वालों को क्यों ज्यादा होता है? साथ ही, यह हार्मोन हेल्थ से कैसे जुड़ा होता है? इस बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने फरीदाबाद स्थित यथार्थ हॉस्पिटल के ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी सीनियर कंसल्टेंट डॉ चंचल गुप्ता से बात की।

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देर से सोने वालों में हार्मोन्स इंबैलेंस का खतरा ज्यादा क्यों होता है? How Sleeping Late Cause Hormonal Imbalance

देर तक सोने से हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं। इसके कारण बॉडी की सर्कैडियन रिदम डिस्टर्ब हो सकती है। इस कारण हार्मोन प्रोडक्शन रेगुलेट नहीं रह पाता है। इस दौरान शरीर के अलग-अलग हार्मोन्स पर असर पड़ता है। जिस वजह से कई हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकते हैं।

देर से सोने के कारण कौन-कौन से हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकते हैं?

स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होने से शरीर के अलग-अलग हार्मोन्स पर असर पड़ सकता है-

कोर्टिसोल हार्मोन- Cortisol

रात में देरी से सोने के कारण कोर्टिसोल हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकता है। इसके कारण कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ सकता है। इस वजह से स्ट्रेस बढ़ सकता है, एंग्जायटी और बॉडी में इंफ्लेमेशन भी हो सकती है। बॉडी में इंफ्लेमेशन बढ़ने के साथ ही वजन बढ़ सकता है। इस कारण हाई बीपी की समस्या हो सकती है और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर इंबैलेंस हो सकते हैं।

मेलाटोनिन- Melatonin

मेलाटोनिन स्लीप हार्मोन है जो अच्छी नींद के लिए जरूरी है। देर से सोने के कारण मेलाटोनिन हार्मोन का प्रोडक्शन कम हो सकता है। इस कारण नींद आने में परेशानी हो सकती है और स्लीप क्वालिटी खराब हो सकती है। मेलाटोनिन हार्मोन का प्रोडक्शन बिगड़ने के कारण इम्यून सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। इस वजह से बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।

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ग्रोथ हार्मोन- Growth

लेट सोने की आदत ग्रोथ हार्मोन को प्रभावित कर सकती है। इस कारण ग्रोथ हार्मोन का प्रोडक्शन बिगड़ सकता है। यह हार्मोन गहरी नींद के दौरान सेल्स रिपेयर और मसल्स रिकवरी करने में मदद करता है। लेकिन रात में देरी से सोने से ग्रोथ हार्मोन कम हो सकता है। इस कारण मसल्स की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है और ओवरऑल रिकवरी को नुकसान हो सकता है।

इंसुलिन- Insulin

नींद की कमी या अनियमित नींद के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है। इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है और खराब ग्लूकोज का प्रोडक्शन बढ़ने से वजन बढ़ सकता है।

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रिप्रोडक्टिव हार्मोन- Reproductive Hormones

रिप्रोडक्टिव हार्मोन भी स्लीप साइकिल से प्रभावित हो सकता है। अधूरी नींद के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो सकता है और महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन इंबैलेंस हो सकता है। इस कारण पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, रिप्रोडक्टिव हेल्थ में भी परेशानी आ सकती है।

लेख में हमने डॉक्टर से समझा देरी से सोने से हमारी हार्मोन हेल्थ किस तरह प्रभावित होती है। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।

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