Does Premature Delivery Affect Baby's Brain Development: प्रीमेच्योर डिलीवरी, यानी समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु, अक्सर शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। आमतौर पर, 37 हफ्ते से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को प्रीमेच्योर कहा जाता है। समय से पहले जन्म लेने के कारण इन बच्चों के अंग और दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं होते, जिससे उनकी न्यूरोलॉजिकल ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। ऐसे शिशुओं को शुरुआती महीनों में खास देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और वे कई स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। हालांकि, सही मेडिकल केयर, पोषण और स्टिमुलेशन तकनीकों की मदद से इन बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास सामान्य बच्चों की तरह हो सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि प्रीमेच्योर डिलीवरी का शिशु के दिमागी विकास पर क्या असर पड़ सकता है और बड़े होने पर वे कैसे पढ़ाई और करियर में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं या नहीं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
क्या प्रीमेच्योर जन्म शिशु के दिमागी विकास को प्रभावित करता है?- Does Premature Birth Affect Brain Development of Newborn
डॉ सलमान ने बताया कि प्रीमेच्योर बच्चों का दिमाग जन्म के समय पूरी तरह से विकसित नहीं होता, जिससे न्यूरोलॉजिकल कनेक्शन कमजोर रह सकते हैं। कुछ मामलों में, ऐसे बच्चों में ध्यान केंद्रित करने, सीखने और याददाश्त से जुड़ी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। हालांकि, समय के साथ सही पोषण और स्टिमुलेशन देने पर इनका ब्रेन डेवलपमेंट तेजी से सुधार सकता है।
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क्या प्रीमेच्योर बेबी बड़े होकर पढ़ाई-करियर में अच्छा कर सकते हैं?- Can Premature Babies Excel in Studies and Career in Future
डॉ सलमान ने बताया कि यह एक मिथक है कि प्रीमेच्योर शिशु आगे चलकर पढ़ाई या करियर में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते। कई वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि समय से पहले जन्मे बच्चे भी बड़े होकर पूरी तरह से सक्षम बन सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें सही देखभाल और पोषण दिया जाए। समय से पहले जन्मे कई बच्चे बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक भी बन चुके हैं, जिससे यह साबित होता है कि प्रारंभिक कठिनाइयों के बावजूद वे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
न्यूरोडेवलपमेंटल सपोर्ट से शिशु का दिमागी विकास होता है- Neurodevelopmental Support Can Improve Brain Growth
प्रीमेच्योर बच्चों के दिमागी विकास को बेहतर बनाने के लिए न्यूरोडेवलपमेंटल सपोर्ट जरूरी होता है। शुरुआती महीनों में माता-पिता को बच्चे से ज्यादा बात करनी चाहिए, विजुअल और ऑडिटरी स्टिमुलेशन देना चाहिए और स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट (कंगारू केयर) बढ़ाना चाहिए। इससे ब्रेन कनेक्शन मजबूत होते हैं।
पोषण और हेल्दी लाइफस्टाइल का महत्व- Importance of Nutrition and a Healthy Lifestyle
दिमागी विकास के लिए सही पोषण जरूरी है। प्रीमेच्योर बच्चों को आयरन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन-डी और प्रोटीन से भरपूर आहार देना चाहिए। इनसे ब्रेन फंक्शन बेहतर होता है और सीखने की क्षमता भी बढ़ती है।
माता-पिता की भूमिका और मोटिवेशन- Role of Parents and Motivation
प्रीमेच्योर बच्चों की सफलता में माता-पिता की भूमिका अहम होती है। उन्हें आत्मविश्वास बढ़ाने वाली एक्टिविटीज में शामिल करना, पॉजिटिव माहौल देना और किसी भी प्रकार की न्यूरोलॉजिकल समस्या का जल्दी इलाज कराना जरूरी होता है। सही मार्गदर्शन से ये बच्चे न केवल पढ़ाई में बल्कि करियर में भी सफलता हासिल कर सकते हैं।
प्रीमेच्योर डिलीवरी के बाद भी बच्चे का मानसिक विकास पूरी तरह से संभव है। सही देखभाल, पोषण और स्टिमुलेशन तकनीकों की मदद से वे पूरी तरह से स्वस्थ और बुद्धिमान बन सकते हैं। माता-पिता का सहयोग और पॉजिटिव वातावरण उनकी सफलता में अहम भूमिका निभाता है।
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