शिशु के जन्म बाद उसका स्वस्थ्य रहना बेहद जरूरी होता है। जन्म के बाद उनका ध्यान न रखा जाए तो उन्हें कई प्रकार की बीमारी हो सकती है। आज के दौर में प्री-मेच्योर डिलीवरी होना आम बात है। ऐसे में प्रीमेच्योर डिलीवरी वाला शिशु न तो ठीक से मां के के दूध का सेवन कर पाता है और न ही सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ रह पाता है। इतना ही नहीं कई माताओं में भी यह समस्या देखने को मिली है कि प्रसव के बाद भी उनका दूध नहीं बनता है। मां का दूध बनना भी प्राकृतिक ही है। यह प्रकृति की ही देन है कि शिशु के जन्म के बाद मां के स्तनों में दूध आ जाता है। यही वजह है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं... कोई भी शिशु अपनी किस्मत और अपना भोजन लेकर आता है।लेकिन कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें प्रसव के बाद भी दूध नहीं बनता है। जबकि शिशु के जन्म के बाद शिशु को मां का गाढ़ा पीला दूध ही पिलाना चाहिए। इससे शिशु और मां दोनों को ही काफी फायदा पहुंचता है। इन तमाम परेशानियों का इलाज कंगारू मदर केयर के जरिए संभव है।
क्या है कंगारू मदर केयर?
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. मृत्युंजय कुमार बताते हैं कि आजकल यह छोटी सिटी में भी कंगारू मदर केयर उपचार काफी सामान्य हो गया है। वहीं यह कई प्रकार की परेशानियों से निजात पाने का प्राकृतिक उपचार है। जैसा कि इसका नाम है, ‘कंगारू मदर केयर’, इसमें जिस प्रकार कंगारू मादा अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखती है, उसे दूध पिलाने के साथ उसका ख्याल रखती है ठीक उसी प्रकार गर्भावस्था के बाद महिलाओं को शिशु की देखभाल करने की सलाह दी जाती है। ऐसा शिशु के जान की रक्षा करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में शिशु को मां की छाती से लगाकर रखने की सलाह दी जाती है। ताकि मां और शिशु के बीच स्किन टु स्किन कॉन्टेक्ट बना रहे। आज के समय में प्री मैच्योर डिलीवरी सामान्य है। कई शिशु का जन्म समय से पहले ही हो जाता है। ऐसे शिशु सामान्य शिशु की तुलना में ज्यादा कमजोर होते हैं, वजन कम होता है। इन्हें ज्यादा देखरेख की जरूरत होती है। यही वजह है कि डॉक्टर इस तकनीक की मदद से शिशु का बेहतर इलाज करते हैं। इसे कैसे करना है और क्यों करना है उसके लिए एक्सपर्ट सुझाव देते हैं। बिना उनके सुझाव के इसे नहीं करना चाहिए।
कंगारू मदर केयर के क्या होते हैं फायदे?
1. स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट से हैं कई फायदे
चाइल्ड स्पेशलिस्ट बताते हैं कि प्री मैच्योर बेबी के केस में हम माताओं को कंगारू मदर केयर की सलाह देते हैं। इसमें स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट होने से न केवल इमोशनली तौर पर मां शिशु के और करीब आती है बल्कि छोटी ही उम्र में शिशु का मां से गहरा लगाव हो जाता है।
2. मां के शरीर से गर्माहट मिलती है
शिशु को मां के शरीर से गर्माहट मिलती है। डॉक्टर बताते हैं कि कई शिशु को जन्म के बाद निमोनिया होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। सर्दियों के समय में यह बीमारी होने की संभावना काफी अधिक रहती है। इसलिए उस समय शिशु को धूप में बैठाने की सलाह देने के साथ कंगारू मदर केयर टिप्स आजमाने की सलाह देते हैं। ऐसा करने से शिशु को मां के शरीर से होने वाले स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट की वजह से गर्माहट मिलती है। ठंड लगने, निमोनिया सहित कई बीमारियों से बचाव होता है।
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3. ज्यादा समय तक कर सकता है ब्रेस्ट फीड
कंगारू मदर केयर में शिशु मां की छाती से चिपका होता है। ऐसे में वो काफी जल्द ही दूध पीने की आदत को सीख जाता है। डॉक्टर बताते हैं कि मां के स्तनों के करीब होने से शिशु को जब भूख लगती है तो जब मन चाहे मां के स्तनों से दूध पी लेता है। इस प्रक्रिया में शिशु और मां की बॉन्डिंग इतनी ज्यादा मजबूत हो जाती है कि दोनों एक दूसरे की जरूरत को बखूबी समझते हैं। ज्यादा से ज्यादा या पर्याप्त मात्रा में मां का दूध पीने की वजह से शिशु के शरीर में ताकत आती है। जिससे न केवल वो प्री मैच्योर डिलीवरी की समस्याओं से ऊबर पाता है बल्कि धीरे-धीरे उसका वजन नियंत्रण में आ जाता है, कई प्रकार की बीमारियों से बचाव हो जाता है व बच्चा खुश व हेल्दी रहता है।
4. मां को भी पहुंचता है फायदा
कंगारू मदर केयर से सिर्फ शिशु को ही फायदा नहीं होता बल्कि माताओं को भी फायदा होता है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. मृत्युंजय बताते हैं कि शिशु के जन्म के बाद माताएं शारिरिक रूप से कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में शिशु को छाती से लगाने पर उन्हें काफी सुखद महसूस होता है, जो सिर्फ एक मां ही महसूस कर सकती है। कहा जाता है जब इंसान खुश होता है तो बड़े बड़े पीड़ा का भी पता नहीं चलता है। इस केस में भी कुछ ऐसा ही है। शिशु को छाती से लगाकर रखने की वजह से माताएं भी जल्द स्वस्थ होती हैं।
5. मां का दूध भी बनता है ज्यादा
देखा गया है कि शिशु को जन्म देने के बाद भी कई माताओं का दूध नहीं बनता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि ऐसी महिलाओं को हम कंगारू मदर केयर की सलाह देते हैं। यह प्राकृतिक तौर पर कारगर भी रहा है। शिशु को छाती से लगाकर रखने की वजह से उन्हें काफी रिलीफ मिलता है। इस कारण कई हार्मोनल बदलाव की वजह से मां के स्तनों में दूध आता है, जिसके बाद वो शिशु को अपना दूध पिला पाती है।
ऐसे किया जाता है कंगारू केयर
एक्सपर्ट बताते हैं कि कंगारू केयर के लिए माताओं को हॉस्पिटल ड्रेस पहनाया जाता है, यदि घर पर हैं तो सामने से खुलने वाला शर्ट या नाइटी पहनने की सलाह दी जाती है। वहीं उन्हें ब्रॉ पहनने को नहीं कहा जाता, इसके बाद शिशु को टोपी व नैपी पहनाकर, सिर के एक तरफ रख मां की छाती के बीचोबीच रखा जाता है। एक बार स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट हो जाने पर शिशु को पीठ के हिस्से को कवर करने को कहा जाता है। ऐसा कर शिशु को गर्माहट दिया जाता है। इस दौरान शिशु के साथ माताओं को आराम करने की सलाह दी जाती है, रिलेक्स होते हुए सांस लेने को कहा जाता है।
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कंगारू केयर के लिए लें डॉक्टरी सलाह
यदि आप भी अपने शिशु के साथ कंगारू केयर को अपनाना चाहते हैं को इसके लिए पहले डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद यह तरीका आजमाने से जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ्य रहते हैं।
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