शिशु को ज्यादा गुदगुदी करने से हो सकते हैं ये 4 नुकसान, अंजाने में ये बड़ी गलती करते हैं ज्यादातर लोग

शिशु को हल्की-फुल्की गुदगुदी करने से नुकसान नहीं होता है। पर ज्यादा गुदगुदी करने से उसे दर्द, हिचकी, अहसजता हो सकती है।
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शिशु को ज्यादा गुदगुदी करने से हो सकते हैं ये 4 नुकसान, अंजाने में ये बड़ी गलती करते हैं ज्यादातर लोग


छोटे बच्चों को अक्सर हम उसे हंसाने के लिए गुदगुदी करते हैं। लेकिन गुदगुदी करते समय हम शिशु की हां या न नहीं समझ पाते। कई बार गुदगुदी करने के बाद शिशु रोने लग जाता है। या उसे हिचकियां आने लगती हैं। 4 महीने का बच्चा हंसता नहीं है। उस समय तक उसे हंसी की कोई सेंसेशन महसूस नहीं होती है। तो वहीं, शिशु 6 महीने में हंसना शुरू करता है। ऐसे में जरूरी है कि जब शिशु हंसी को समझने लायक हो जाए तब उसे गुदगुदी की जाए, लेकिन इतनी ज्यादा न करें कि उसे दर्द होने लगे। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि क्या छोटे बच्चों को गुदगुदी करना हानिकारक है? अगर हां, तो कैसे।

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गुदगुदी के प्रकार

नाइस्मिसिस (Knismesis)

नाइस्मिसिस गुदगुदी  अच्छा महसूस कराने वाली होती है। यह हंसी से जु्ड़ी नहीं होती है। इस तरह की गुदगुदी में त्वचा पर हल्का स्पर्श किया जाता है। यह सेंसेशन खुद से महसूस किया जाता है। 

गार्गलेसिस (Gargalesis)

यह गुदगुदी खुद से नहीं होती है। इसमें गुदगुदी वाले क्षेत्र जैसे बगल, हथेली, तलवा आदि पर एक तेज दबाव दिया जाता है, जिस वजह से गुदगुदी होती है और बच्चा हंसता है। इस तरह के दबाव से व्यक्ति हंसता है।

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बच्चों को गुदगुदी करने के नुकसान

1. दर्द का एहसास

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक शोध पत्र में कहा गया है कि शिशु को गुदगुदी करने से उसे दर्द का अनुभव हो सकता है। शिशु कुछ कह नहीं पाता, ऐसे में बार-बार उसे गुदगुदी करना दर्द का अनुभव करा सकता है। साथ ही इतिहास में ऐसी भी घटनाएं देखी हैं कि गुदगुदी की वजह से लोगों की मृत्यु भी हो गई है। हंसी में इँसान कुछ कह नहीं पाता, ऐसे में गुदगुदी करने वाला समझ नहीं पाता। यही वजह है कि अनहोनी हो जाती है। हल्की फुल्की गुदगुदी की जाए तो वह नुकसानदायक नहीं होती है, पर तेज गुदगुदी और लंबे समय तक गुदगुदी शिशु दर्द दे सकती है।

2. परेशान और असहजता

शिशु को बार-बार गुदगुदी करने से वह परेशान हो सकता है। तो वहीं, अगर थोड़ा बच्चा है तो वह असहज भी महसूस कर सकता है। साथ ही बच्चों को गुड टच और बैड टच भी बताना चाहिए। ताकि गुदगुदी के बहाने को कोई उनका शोषण न करे। शिशु को ज्यादा समय तक गुदगुदी करने से उसे परेशानी हो सकती है। वह हंसने के अलावा रो भी सकता है।

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3. गुदगुदी का टॉर्चर

शोध में कहा गया है कि शिशु के अलावा स्कूल के बच्चों को जब गुदगुदी की जाती है, तब वह कई बार टिकलिंग टॉर्चर हो जाता है। बच्चे एक बच्चे को नीचे गिराकर दूसरा उसके ऊपर गिर जाता है, फिर गुदगुदी करता है। जिस वजह से यह सेंसेशन किसी के लिए मजा तो किसी के लिए सजा हो जाती है। इसी तरह अगर आप शिशु को बहुत ज्यादा गुदगुदी कर रहे हैं तो वह उसके लिए भी टॉर्चर बन सकती है।

4. हिचकी आना

ज्यादा गुदगुदी करने से बच्चे को हिचकी भी आ सकती है। आपने घरों में भी यह देखा होगा कि जब आप शिशु को ज्यादा गुदगुदी करते हैं तो उसे बाद में हिचकी आ जाती है। इसलिए माता-पिता और रिश्तेदारों को ध्यान रखना चाहिए कि शिशु को बहुत ज्यादा गुदगुदी न करें। 

शिशु के साथ अच्छा रिश्ता ऐसे बनाएं

  • शिशु के साथ अपना बॉन्ड अच्छा बनाने के लिए आप उसे हल्की-फुल्की गुदगुदी कर सकते हैं।
  • बहुत जोर से शिशु की त्वचा को न दबाएं।
  • शिशु पर प्यार जताने के लिए आप उसकी नाक, हथेली, तलवों पर हल्के से स्पर्श कर सकते हैं। अपनी नाक शिशु की नाक के साथ स्पर्श करा सकते हैं। 

शिशु को हल्की-फुल्की गुदगुदी करने से नुकसान नहीं होता है। पर ज्यादा गुदगुदी करने से उसे दर्द, हिचकी, अहसजता हो सकती है।

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