Can Intermittent Fasting Cause Hormonal Imbalance: बढ़ते वजन के कारण कई बीमारियों का खतरा भी अपने आप बढ़ने लगता है। इसलिए हेल्दी वेट मेंटेन करके रखना बहुत जरूरी है। वेट लॉस करने के लिए लोग तरह-तरह की डाइट फॉलो करते हैं। इनमें से ही एक है इंटरमिटेंट फास्टिंग। इंटरमिटेंट फास्टिंग को दो भागों में बांटा जाता है। दिन के कुछ घंटे मील के लिए तय किए जाते हैं। बाकी के समय में फास्टिंग होती है। इससे बॉडी को हील होने का समय मिल पाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। यह मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने और वेट लॉस में मदद करती है। इससे एनर्जी लेवल बूस्ट होता है और कई बीमारियों का खतरा कम होता है। यह फास्टिंग इंटरनल बॉडी को हील करती है। लेकिन क्या इससे हार्मोन्स बैलेंस होने में मदद मिलती है? क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से हार्मोन्स बैलेंस होते हैं? इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए हमने फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ मोहित शर्मा से बात की।
क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से हार्मोन्स बैलेंस होते हैं?
एक्सपर्ट के मुताबिक इंटरमिटेंट फास्टिंग हार्मोन हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होती है। यह फास्टिंग करने से बॉडी में पॉजिटिव चेंजेस आते हैं जिनमें हार्मोन हेल्थ भी शामिल है। लेकिन अगर आप फास्टिंग को बीच-बीच में रोक देते हैं या डाइट पर ध्यान नहीं देते, तो इससे हार्मोन हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर किसी को हार्मोन्स इंबैलेंस की समस्या है, तो वो डॉक्टर की सलाह पर इंटरमिटेंट फास्टिंग कर सकता है।
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हार्मोन हेल्थ के लिए हार्मोन्स के फायदे- Benefits of Intermittent Fasting For Hormone Health
इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होना
फास्टिंग करने से इंसुलिन लेवल कम होता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी इंप्रूव होती है। जिन लोगों को इंसुलिन सेंसिटिविटी रहती है, उनके लिए यह फास्टिंग फायदेमंद होती है। इससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम और टाइप 2 डायबिटीज में भी फायदा होता है।
हंगर हार्मोन्स रेगुलेट होते हैं
हार्मोन्स इंबैलेंस के कारण कुछ लोगों की भूख पर भी फर्क पड़ता है। लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से हंगर हार्मोन्स जैसे घ्रेलिन और लेप्टिन रेगुलेट होते हैं। इससे भूख कंट्रोल रहती है और बार-बार भूख नहीं लगती है। इससे ओवरईटिंग का खतरा भी कम हो जाता है।
ग्रोथ हार्मोन्स बूस्ट होते हैं
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से ग्रोथ हार्मोन बूस्ट होते हैं। यह फास्टिंग करने से ओवरऑल हेल्थ बूस्ट होती है। इंटरमिटेंट फास्टिंग फैट मेटाबॉलिज्म, मसल्स मेंटेन करने और ओवरऑल मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं।
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कोर्टिसोल कम होता है
लंबे समय तक इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से कोर्टिसोल लेवल कम होता है। इससे स्ट्रेस और एंग्जायटी जैसे इमोशंस को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। अगर स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक्स अपनाने के साथ इंटरमिटेंट फास्टिंग की जाए, तो इससे कोर्टिसोल लेवल बैलेंस होने में मदद मिलती है।
सेक्स हार्मोन्स बैलेंस रहते हैं
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से सेक्स हार्मोन्स भी बैलेंस होते हैं। फास्टिंग करने से टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन्स बैलेंस होते हैं। लेकिन वहीं, बहुत ज्यादा फास्टिंग करने से एस्ट्रोजन लेवल और पीरियड्स साइकिल डिस्टर्ब हो सकती है।
सेल्स रिपेयर में मदद मिलती है
फास्टिंग का यह तरीका डैमेज सेल्स को रिपेयर करने में मदद करता है। इससे बॉडी में इंफ्लेमेशन कम होती है और ओवरऑल हार्मोन फंक्शन इंप्रूव होते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- जिन महिलाओं की पीरियड्स साइकिल इर्रेगुरल रहती है या जिन्हें पीसीओएस है, उन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही इंटरमिटेंट फास्टिंग करनी चाहिए।
- जिन लोगों को एड्रनल फटिग या ज्यादा स्ट्रेस रहता है, उन्हें ज्यादा फास्टिंग अवॉइड करनी चाहिए। क्योंकि इससे कोर्टिसोल ट्रिगर हो सकता है।
- ब्लड शुगर और डायबिटीज होने पर भी एक्सपर्ट की सलाह पर इंटरमिटेंट फास्टिंग करनी चाहिए।