आज के समय में लोगों में बढ़ती बीमारी का बड़ा कारण खराब होती लाइफस्टाइल, अनियमित दिनचर्या, खराब खानपान आदि है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज के दौर में हम अपनी संस्कृति व पूर्वजों की सिखाई गई बातों को अनदेखा कर रहे हैं। इस कारण लोगों को कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। आयुर्वेद में वर्षों पहले स्वस्थ जीवन के लिए अहम जानकारी दी गई थी, जिसे आज बहुत कम लोग की मानते हैं। तो आइए इस आर्टिकल में हम जमशेदपुर के साकची में प्रैक्टिस करने वाले आयुर्वेदिक चिकित्सक वैद्य आनंद पाठक से जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन के लिए हमारा डेली रूटीन कैसी होनी चाहिए। वर्षों पहले हमारे बुजुर्गों ने इस बात का जिक्र भी किया था, लेकिन आज अधिकतर लोग उसे नहीं मानते। तो आइए आयुर्वेद के डेली रूटीन को जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
आयुर्वेद में हर चीज को तीन चीजों से जोड़ा है; वात, पित्त, कफ
वैद्य बताते हैं कि आयुर्वेद में हर चीज को तीन दोष से जोड़ा गया है। वात, पित्त और कफ। इसमें होने वाली किसी भी समस्या के कारण हमें उससे संबंधित रोग होते हैं। मनुष्य को किसी प्रकार की बीमारी न हो इसके लिए हमारे पूर्वज आयुर्वेद में दी गई जानकारी के अनुसार के तय रूटीन का पालन किया करते थे। जिस प्रकार धार्मिक नियमों का पालन किया जाता है ठीक उसी प्रकार हमारे पूर्वज इस रूटीन का भी पालन करते थे, जिसका जिक्र उन्होंने आयुर्वेद में भी किया। इसे सभी लोग मानते थे।
हमारा शरीर पंचमहाभूत की खासियत से घिरा रहता है
एक्सपर्ट बताते हैं कि हमारा शरीर आयुर्वेद में जिक्र किए गए पंचहाभूत से बना है। जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी को पंचमहाभूत माना गया है। इन्हीं पांच तत्वों से यह धरती व इसपर जीव-जंतु निवास करते हैं। ऐसे में साइंस के अनुसार जिस प्रकार पृथ्वी सूर्य व चंद्र से प्रभावित होती है, सूर्य व चंद्र की दिशा बदलने पर इसका असर पृथ्वी पर होता है ठीक उसी प्रकार पृथ्वी का हिस्सा होने के कारण हमारा शरीर भी सूर्य व चंद्र से प्रभावित होता है। ऐसे में इससे वात, पित्त और कफ भी प्रभावित होते हैं। सूर्य की रोशनी में शरीर में अलग प्रभाव पड़ता है और रात होने पर अलग प्रभाव पड़ता है।
आयुर्वेद के अनुसार हमारा डेली रूटीन कैसा होना चाहिए
आयुर्वेद में सूर्य व चंद्रमा आदि को ध्यान में रखते हुए हमारे पूर्वजों ने स्वस्थ जीवन शैली के लिए ही डेली रूटीन बनाया है, जिसे हम सभी को मानना चाहिए। जो इसे नहीं मानते हैं उन्हें बीमारी होने का खतरा रहता है। जानिए हमारा डेली रूटीन आयुर्वेद के अनुसार कैसा होना चाहिए;
1. ब्रह्ममूर्त : सुबह उठने का सबसे सही समय
एक्सपर्ट बताते हैं कि आयुर्वेद में इस बात का जिक्र है कि सुबह उठने का सबसे सही समय ब्रह्ममूर्त में होता है। इस समय रात की कालीमा छंटने लगती है व उजाला होने लगता है। करीब 4 से 5.30 बजे के बीच उठना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।
क्यों है ये सही समय
एक्सपर्ट बताते हैं कि सुबह उठने का यह सबसे अच्छा समय इसलिए है क्योंकि यदि कोई नियमित तौर पर इसी समय पर उठेगा तो शरीर में मौजूद कफ दोष कम होंगे। वहीं वात एक्टीवेट होगा। यानि हमारा शरीर और दिमाग दिनभर के कामकाज को करने के लिए एक्टीवेट हो जाते हैं। यही कारण है कि इस समय हम सभी लोगों को उठ जाना चाहिए। आयुर्वेद में इस समय को योगाभ्यास व प्राणायाम करने के लिए सबसे उचित माना गया है। यह ज्ञान बढ़ाने का भी सबसे अच्छा समय होता है। यही वजह है कि हमारे पूर्वज इस समय या फिर घर के बड़े बुजुर्ग ध्यान लगाकर ईश्वर को याद करते थे। इस समय यदि स्टूडेंट्स पढ़ाई करें तो उन्हें अच्छे से याद होगा। इसके अलावा आपने यह महसूस किया होगा कि जब आप सोते हैं व इस समय के दौरान आप जो भी सपने देखते हैं वो आपको याद रहता है। इस समय के दौरान वात एक्टीवेट रहता है।
ब्रह्ममूर्त में इन बातों का रखें ख्याल
- उठने के बाद शौच कर लेना चाहिए
- चेहरे और आंखों को अच्छे से धोना चाहिए
- मुंह धोना चाहिए
- अब व्यायाम व योग करना चाहिए (आयुर्वेद के अनुसार व्यायाम तबतक करना चाहिए जबतक हमारे अंडर आर्म्स में पसीना न आ जाए- ऐसा होने पर शरीर के सभी अंगों में गर्मी व ऊर्जा पहुंच चुकी होती है व सभी अंग एक्टिव होते हैं)
2. योगाभ्यास या व्यायाम करने के आधे घंटे के बाद नहाएं
एक्सपर्ट बताते हैं कि योगाभ्यास या फिर व्यायाम करने के कम से कम आधे घंटे के बाद ही नहाना चाहिए। वैसे लोग जिनका शरीर कफ के प्रकार में आता है उन्हें गर्म पानी से नहाना अच्छा लगता है, पित्त प्रकार की श्रेणी वाले लोगों को ठंडे पानी में नहाना अच्छा लगता है और वात प्रकार के शरीर को गुनगुने या गर्म से थोड़ा अधिक गर्म पानी से नहाना अच्छा लगता है।
ठंडे व सामान्य पानी से नहाना है बेहतर
हमें ठंडे व गर्म पानी से नहाना है यह काफी हद तक बाहर के तापमान पर भी निर्भर करता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार ठंडे व सामान्य रूम टेंप्रेचर वाले पानी से नहाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। पानी को सिर पर डालकर नहाना चाहिए, इससे हमारे शरीर का सारा अंग स्वस्थ रहेगा। गर्म पानी हमारे बालों के लिए अच्छा नहीं होता है। सिर पर गर्म पानी पड़ने से आंखों व दिल के लिए नुकसानदेह होता है। ज्यादा गर्म पानी से नहाने का जिक्र आयुर्वेद में नहीं है।
3. ध्यान के लिए समय निकालें
आयुर्वेद में इस बात का जिक्र है कि नहाने के बाद अब ध्यान के लिए समय निकाला जाए। जिस प्रकार हमारे शरीर को व्यायाम की जरूरत पड़ती है ठीक उसी प्रकार हमारे दिमाग को भी ध्यान की आवश्यकता पड़ती है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस ध्यान को हम भगवान की पूजा कर भी कर सकते हैं। आप चाहें तो अपने सामने ज्योति जलाकर या दीया रखकर उसपर फोकस कर ध्यान लगा सकते हैं। आप नियमित तौर पर ध्यान करेंगे तो दिनभर के कामकाज को आसानी से कर पाएंगे व मेंटली रूप से आप स्वस्थ रहेंगे।
इस बात का रखें ख्याल
हमेशा ध्यान को खाली पेट करना चाहिए। एक्सपर्ट बताते हैं कि भोजन का सेवन करने के बाद हमारे शरीर में डायजेस्टिव सिस्टम एक्टीवेट हो जाता है और खाना पचाने की प्रक्रिया की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में ब्लड सप्लाई दिमाग में सही तरह से जाने की बजाय शरीर के अन्य अंगों में जाने लगती है।
4. अब करें सुबह का नाश्ता
एक्सपर्ट बताते हैं कि हमेशा सूर्य निकलने के बाद ही नाश्ता करना चाहिए। क्योंकि जैसे-जैसे आसमान में सूर्य निकलने लगता है ठीक वैसे ही शरीर में अग्नि तत्व एक्टीवेट होते जाता है। आपने यह गौर किया होगा कि सूर्योदय के पहले यदि आप उठे तो आपको भूख नहीं लगती है। यदि कोई आयुर्वेद की बताई गई दिनचर्या के अनुसार उठे तो उसे सुबह आठ बजे के बाद ही भूख लगेगी। हेल्दी व्यक्ति के शरीर में इस समय तक मेटाबॉलिक एक्टिविटी शुरू हो जाती है, शरीर के अंग भोजन के पोशक तत्वों को हासिल करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
एक्सपर्ट बताते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार हमें सुबह के नाश्ते में हल्का भोजन खाना चाहिए। क्योंकि शरीर का पाचन तंत्र रात भर विश्राम मुद्रा में रहता है। ऐसे में यदि आप काफी ज्यादा भोजन ग्रहण करेंगे तो आपके पाचन क्रिया पर गलत प्रभाव पड़ सकता है।
5. दोपहर एक बजे खाएं खाना
एक्सपर्ट बताते हैं कि नाश्ते के आधे घंटे के बाद आप काम शुरू कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर एक बजे तक आप अच्छे से काम कर सकते हैं। एक बजे तक सूर्य की किरणें काफी तीखीं होती है। इस समय शरीर को काफी ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसे में इस समय हमें अच्छे से भरपेट भोजन ग्रहण करना चाहिए।
6. दोपहर में सोने का नहीं है जिक्र
भारत में आमतौर पर कई लोग दोपहर में घर आकर आराम करते हैं। लेकिन आयुर्वेद में दोपहर में सोने का जिक्र नहीं है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बात का जिक्र है कि गर्मियों में जब तापमान हद से अधिक हो उस स्थिति में थोड़ी देर तक आराम करना चाहिए।
7. शाम में पसंद की काम को करें
एक्सपर्ट बताते हैं कि आयुर्वेद में इस बात जिक्र है कि शाम के लिए लोगों को अपने पसंद के अनुसार गतिविधियों को करना चाहिए। दिनभर में किए काम से अलग हटकर इसे करना चाहिए। कोशिश करें कि अपने इस पसंदीदा एक्टिविटी में अपने परिवार के सदस्यों को शामिल करें, जैसे कि खेलना, गाना गाना, पेंटिंग आदि।
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8. सूर्यास्त होने के बाद ही करें रात का खाना
एक्सपर्ट बताते हैं सूर्यास्त होने के बाद शरीर में खाना पचाने की ताकत काफी धीमी हो जाती है। इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि सूर्यास्त होने के कुछ देर के बाद ही हमें अपना रात का भोजन कर लेना चाहिए। क्योंकि सूर्यास्त के काफी समय के बाद यदि हम भोजन करते हैं तो उसे पचने में काफी समय लगता है।
इस बात का रखें ख्याल
खाना खाने के बाद सोने के बीच कम से कम दो घंटे का अंतर होना ही चाहिए, जिससे हमारे शरीर में हो रहे म्यूकस सीक्रेशन कंट्रोल में रहता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि खाना खाने के बाद तुरंत सोने से मोटापे की समस्या हो सकती है। शरीर में भारीपन के साथ दिमाग पूरी ताकत से सोच नहीं पाता है, शिथिल हो जाता है। इसके अलावा कई अन्य समस्याएं होती हैं।
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9. रात्रिचर्या में इन बातों का रखें ख्याल
एक्सपर्ट बताते हैं कि कई जीव हैं जैसे कि उल्लू वो रात में जगते हैं। लेकिन इंसान उन जीवों में आता है जो रात होने पर सोते हैं। ऐसे में हम सभी को रात में सोना चाहिए। वैसे लोग जो रात में ज्यादा देर तक जगते हैं, सोते नहीं हैं उन्हें बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि वो प्रकृति के विपरित जाकर काम करते हैं। इसके अलावा आयुर्वेद में बेड का भी जिक्र किया है, सोने के लिए बेड की हाइट इंसानों के घुटने से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इस बात का लोगों को ख्याल रखना चाहिए।
इस बात का भी रखें ख्याल
कफ की श्रेणी में आने वाले लोगों को, जिनका बॉडी मास जल्दी बढ़ता है उन्हें कम सोना चाहिए। ताकि शरीर ज्यादा देर तक एक्टिव मोड पर रहे। जिन लोगों का शरीर पित की श्रेणी में आता है उन्हें सात से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए और जिनका शरीर वात की श्रेणी में आता है उन्हें आठ घंटे से अधिक सोना चाहिए।
जमाना बदला है, इसे पालन करने की कोशिश करें
आज के समय में भले ही जमाना बदल गया है। कंपनियों में लोग रात-रात भर काम करते हैं। ऐसे में इस रूटीन को मानना संभव नहीं है। लेकिन बहुत ऐसे लोग हैं जो चाहे तो इस रूटीन को फॉलो कर सकते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि पहले के समय में भी लोग दुकान लगाकर सामान की बिक्री करते थे, खेतों में व सेना के साथ शारिरिक परिश्रम करते थे वहीं आज भी लोग ऑफिस जाते हैं व रोजमर्रा के कामकाज करते हैं। बस जरूरी है कि अच्छी लाइफस्टाइल नहीं अपनाते। पहले के समय में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक थे। यही वजह है कि वो आयुर्वेदिक रूटीन चार्ट को अपनाते थे। लेकिन हम भारतीय अब अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं। वहीं विदेशी लोग, हमारे यहां की योग को अपना रहे हैं।
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