कोरोनावायरस के मरीजों में तेजी से बढ़ रही है न्यूरोलॉजिकल परेशानियां, शोध में हुआ खुलासा

शोध की मानें, तो कोरोनावायरस मरीजों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इस तरह ये बीमारी मानसिक रूप से भी लोगों को परेशान कर रही है।
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कोरोनावायरस के मरीजों में तेजी से बढ़ रही है न्यूरोलॉजिकल परेशानियां, शोध में हुआ खुलासा


कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) का कहर लगातार देश और दुनिया में जारी है। वहीं बात सिर्फ भारत की करें, तो भारत में इस महामारी का आंकड़ा 70 के करीब पहुंच गया है। पर राहत की बात ये है कि  पिछले 24 घंटों में 76,737 मरीज ठीक हुए हैं। पर राहत के साथ एक चिंताजनक बात भी सामने आई है। दरअसल हाल ही में आए एक शोध की मानें, तो कोरोनावायरस के हर 5 में से 4 मरीजों में न्यूरोलॉजिकल परेशानियां हो रही हैं। इस शोध के जरिए दुनिया भर में बढ़ते कोविड मामलों के साथ, शोधकर्ता वायरस को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश कर रहे हैं। वो संक्रमण के तमाम शारीरिक लक्षणों के साथ  (Coronavirus Symptoms Study) मरीज की मानसिक स्थिति का भी अध्ययन कर रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने पाया कि कोरोना मरीजों की मानसिक स्थिति भी बाकी लोगों की तरह नॉर्मल नहीं है। 

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क्या कहता है ये शोध?

जर्नल एनल्स ऑफ क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में शिकागो में कोविड-19 अस्पताल में भर्ती  रोगियों में न्यूरोलॉजिक लक्षणों की आवृत्ति और गंभीरता को रेखांकित किया गया। लगभग 500 रोगियों का अध्ययन किया गया।  जिसमें से निष्कर्ष बताते हैं कि हर पांच हॉस्पिटलाइज्ड कोविद -19 रोगियों में से चार कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षण (neurological disorder in corona patient) दिखाते हैं। यहां तक कि जिन लोगों को सांस की हल्की समस्याएं हैं, जो लंबे समय तक नहीं रहता है, पर लोगों को इसके कारण अब भी परेशानियां हो रही हैं। 

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कोविड -19 के न्यूरोलॉजिकल परेशानियां (Neurological disorder in corona patient)

कोविड -19 के कुछ आम न्यूरोलॉजिकल लक्षणों की बात करें, तो सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और चक्कर आना आदि शामिल है। वहीं गंभीर लक्षणों की बात करें, तो हल्के भ्रम से लेकर कोमा तक में ये लक्षण बदल  सकते हैं। शिकागो में नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन में न्यूरो-संक्रामक रोग के प्रमुख इगोर कोरालनिक कहते हैं कि ये परेशानियां आगे चल कर और गंभीर हो सकती है। अध्ययन के अनुसार, मस्तिष्क संबंधी बीमारियों उन लोगों में होने की संभावना ज्यादा जो कि अंदर से इस बीमारी को लेकर डरे रहते हैं। वहीं जिन लोगों की उम्र ज्यादा है, उनमें ये मानसिक बीमारियों के लक्षण और गंभीर हैं। 

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वहीं इस स्थिति वाले मरीजों में उच्च रक्त चाप सहित अन्य विकारों का इतिहास मिला है। अध्ययन किए गए 509 रोगियों में से, 42% को न्यूरोलॉजिकल समस्याएं थीं,  जब वे पहली बार जागरूक हुए कि वे संक्रमित हैं उसके बाद उनकी मानसिक परेशानियों में 82% बढ़ोतरी हुई। चीन में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया कि वहां 36% रोगियों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण थे, जबकि स्पेन में यह दर 57% थी।

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वहीं अभी शोधकर्ताओं को और शोध करने की जरूरत है कि आखिरकार ऐसा क्या है जो इन न्यूरोलॉजिकल स्थितियों को क्या ट्रिगर करता है। रिपोर्ट के लेखक कोरालनिक ने कहना कि यहां तक कि अस्पताल से छुट्टी पाने के बाद भी इन लोगों में मानसिक परेशानियां बनी रही। शोध बताते हैं कि जो इस महामारी से सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं, वे लोग एंजाइटी या डिप्रेशन से पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे में कुछ चीजें हैं जो आज आप कर सकते हैं। जैसे कि इस दौरान लोगों से डिजिटल संपर्क बढ़ाएं और अपने आप को अकेले न रहने दें। साथ ही कोरोना के मरीजों को अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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