चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से ठीक हो चुके बच्‍चों के दिव्‍यांग होने की आशंका, जानें कैसे करें बचाव

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मुताबिक चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) के अब तक 800 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 155 बच्‍चों की मौत हो चुकी है, इसके बाद कई पीड़ित बच्चों को बचाया भी गया है।
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चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से ठीक हो चुके बच्‍चों के दिव्‍यांग होने की आशंका, जानें कैसे करें बचाव


पिछले दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर समेत करीब 20 जिलों में फैले चमकी बुखार यानी फैले एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) से कई बच्‍चों की मौत हो गई थी। मामले को बढ़ता देख केंद्र और राज्‍य हरकत में आया और बच्‍चों को बीमारी से बचाने के लिए कई जरूरी कदम उठाए। डॉक्‍टरों की टीम ने कई पीड़ित बच्‍चों का सही समय पर इलाज किया, जिससे उनकी जान बचाई जा सकती। हालांकि अब चमकी से पीड़ित होकर मौत के मुंह से निकल चुके बच्चों के दिव्यांग होने की आशंका जताई जा रही है। 

 

कैसे करें बचाव 

वहीं चमकी बुखार के कारणों की जांच कर रही केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की टीम ने ऐसे बच्‍चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पीड़ित बच्चों के अभिभावकों की काउंसलिंग की जरूरत बताई है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार और जांच टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ एके सिन्हा ने पीड़ित बच्चों के अभिभावकों की काउंसलिंग को सही ठहराते हुए कहा है कि चमकी से उबरे बच्चों के अभिभावकों को इसके प्रति जागरुकता बच्चों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है।  

चमकी बुखार क्‍या है (What is Chamki Fever or Acute Encephalitis Syndrome) 

एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम मस्तिष्क से जुड़ी समस्या है। हमारे मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं, जिनके सहारे शरीर के अंग काम करते हैं। जब इन कोशिकाओं में सूजन आ जाती है, तो इसे ही एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहते हैं। ये एक संक्रामक बीमारी है।

इस बीमारी के वायरस जब शरीर में पहुंचते हैं और खून में शामिल होते हैं, तो इनका प्रजनन शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे ये अपनी संख्या बढ़ाते जाते हैं। खून के साथ बहकर ये वायरस मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं।

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मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन का कारण बनते हैं और शरीर के 'सेंट्रल नर्वस सिस्टम' को खराब कर देते हैं।

Inputs: IANS

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