चमकी बुखार के ये लक्षण नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी, जानें कैसे बचाएं अपने मासूम की जान

एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को हम भारतीय लोग 'चमकी बुखार' कहते हैं। इस सिंड्रोम के संक्रमण से ग्रस्त मरीज के मस्तिष्क व शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है और उसका शरीर अचानक सख्त होने लगता है।
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चमकी बुखार के ये लक्षण नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी, जानें कैसे बचाएं अपने मासूम की जान


बिहार राज्य का मुजफ्फरपुर क्षेत्र चमकी नाम के बुखार के कारण देशभर में सुर्खिया बटोर रहा है लेकिन वजह वहां होने वाली बच्चों और बच्चियों की मौत है। चमकी बुखार के कारण सैकड़ों मासूम अपनी जान गंवा चुके हैं और आलम ये है कि आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। 'एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम' जिसे हम लोग 'चमकी बुखार' बता रहे हैं वास्तव में एक तरह का मस्तिष्क ज्वर है। यह बीमारी 1 से 8 साल के बीच की उम्र के बच्चों को अधिक प्रभावित करती है क्योंकि उनकी इम्युनिटी बेहद कमजोर होती है, जिस कारण वह उसकी चपेट में आ जाते हैं।

आखिर क्या है 'चमकी' बुखार

एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को हम भारतीय लोग 'चमकी बुखार' कहते हैं। इस सिंड्रोम के संक्रमण से ग्रस्त मरीज के मस्तिष्क व शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है और उसका शरीर अचानक सख्त होने लगता है। चमकी बुखार एक संक्रामक बीमारी है और इसका वायरस शरीर में पहुंचते ही हमारे रक्त में शामिल होकर प्रजनन शुरू कर देता है। जैसे-जैसे इस वायरस की संख्या बढ़ती है तब ये हमारे खून के साथ ही मस्तिष्क तक पहुंच जाता हैं और कोशिकाओं में सूजन शुरूकर देता है। इस बीमारी के कारण शरीर का 'सेंट्रल नर्वस सिस्टम' भी खराब हो जाता है।

लीची बताई जा रही वजह

हालांकि चिकित्सक इस बुखार का सही अंदाजा नहीं लगा पाए हैं लेकिन इसके पीछे कई तरह के कारण सामने आ रहे हैं। कई डॉक्टर इसे भीषण गर्मी से जोड़कर देख रहे हैं तो कई विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी, उमस, गंदगी और कुपोषण बीमारी को बढ़ावा दे रही है। शुरुआत में बच्चों की मौतें लीची खाने से होने की जानकारी सामने आई थी। दरअसल लीची में पाए जाने वाले तत्व hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MPCG) शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़म को बनाने में बाधा डालते हैं। जिसके कारण ब्लड-शुगर का स्तर कम होना शुरू हो जाता है और व्यक्ति को मस्तिष्क संबंधी समस्याएं होने लगती हैं और मरीज को दौरे पड़ने लगते हैं।

चमकी बुखार के लक्षण

  • बच्चे को लगातार तेज बुखार, बदन में ऐंठन और बच्चे अपने दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं। 
  • कमजोरी के कारण बच्चा बार-बार बेहोश होता रहता है। उसका शरीर सुन्न हो जाता है। 
  • बच्चों को मानसिक भटकाव महसूस होता है। 
  • बच्चे को घबराहट महसूस होना।

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बुखार आने पर माता-पिता क्या करें

  • तेज बुखार होने पर बच्चे के शरीर को गीले कपड़े से पोछें, जिससे बुखार उसके सिर पर नहीं चढ़ेगा। 
  • डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही पेरासिटामोल की गोली या सिरप बच्चों को दें। 
  • बच्चे को ORS का घोल पिलाएं, ध्यान रखें की इस घोल का इस्तेमाल 24 घंटे बाद न करें।  
  • बुखार आने पर बच्चे को अस्पताल ले जाएं और उसे दाएं या बाएं लिटाएं।
  •  बच्चे को हमेशा छाया वाले स्थान पर ही लिटाएं।  
  • बुखार आने पर बच्चे की गर्दन सीधी रखें। 
  • बच्चे को धूप और गर्मी से बचाकर रखें। 
  • उसे पोषक आहार खिलाएं और पानी की कमी न होने दें।

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ऐसी स्थिति में क्या न करें

  •  बच्चे को खाली पेट लीची भूलकर भी न खिलाएं।
  •  बच्चे को गर्म कपड़े न पहनाएं।
  •  जब बच्चा बेहोश हो तो उसके मुंह में कुछ भी न डालें।
  •  मरीज के साथ उसके बिस्तर पर न बैठें। 
  •  मरीज के साथ रहने के दौरान उसे बेवजह तंग न करें और न ही शोर मचाएं।

मस्तिष्क रोग में जांच जरूरी

चमकी बुखार के वक्त डॉक्टर एमआरआई या सीटी स्कैन की सलाह देते हैं साथ ही इस बुखार की पहचान के लिए खून या पेशाब की जांच भी कराई जा सकती है। अगर बच्चे में शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं तो रीढ़ की हड्डी से द्रव्य का नमूना लेकर जांच की जाती है।

ये बरतें सावधानियां

  • बच्चों को किसी भी हाल में झूठे और सड़े फल न खिलाएं। 
  • बच्चों को गंदगी से बिल्कुल दूर रखें।
  • खाने से पहले और खाने के बाद हाथ जरूर धुलवाएं।
  • ध्यान रखें बच्चे साफ पानी पिएं।
  • उनके नाखून नहीं बढ़ने दें।
  • गर्मी के मौसम में बच्चों को धूप में खेलने से मना करें। 
  • रात में बच्चे को कुछ खिलाकर ही सोने के लिए भेजें।

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