Slow Mind Development In Kids: आमतौर पर बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से प्रतिक्रिया करते हैं। यह पूरी तरह सामान्य होता है। इसे ही सामान्य मानसिक विकास कहा जाता है, लेकिन कई बार आपने नोटिस किया होगा कि कुछ बच्चां में मानसिक विकास हमउम्र बच्चों की तुलना में धीमी गति से होता है। जिन बच्चों का मानिकस विकास धीमी गति से होता है, उन्हें दूसरे बच्चों के साथ सामंजस्य बैठाने, चीजें-सीखने समझने में बहुत समय लगता है। यहां तक कि ऐसे बच्चे अकादमिक स्तर भी अन्य बच्चों से पीछे रह जाते हैं। ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर ऐसे क्या कारण हैं, जिनकी वजह बच्चों का मानसिक विकास धीमी गति से होता है? नोएडा सेक्टर 27 स्थित कैलाश अस्पताल में Sr. Consultant - Paediatrics डॉ. अंकुर चावला से जानें, इसके बड़े कारणों के बारे में।
बच्चों में धीमा मानसिक विकास होने के कारण- What Causes Slow Mind Development In Kids
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर
डॉ. अंकुर चावला के मुताबिक, "कई बच्चों में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे सेरिब्रल पैल्सी और एपीलेप्सी जैसी कंडीशन होती है। इस तरह की कंडीशन इतनी गंभीर होती है, जो कि बच्चों के ब्रेन फंक्शन को प्रभाति करती है। नतीजतन, बच्चों में मानसिक विकास धीमा हो जाता है। ऐसे में बच्चों का कॉग्नीटिव बिहेवियर भी प्रभावित होता है।"
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पुरानी बीमारी
एनसीबीआई के अनुसार, अगर बच्चे को मेटाबॉलिक डिसऑर्डर या हार्ट में डिफेक्ट है, तो भी बच्चों का मानसिक विकास धीमा हो सकता है। असल में, जो बच्चे लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें इमोशनल और सोशल चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है। ऐसे में एंग्जाइटी, डिप्रेशन और साइकोलॉजिकल डिस्ट्रेस बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप बच्चों के विकास पर नेगेटिव असर नजर आने लगता है।
कुपोषण
अगर बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, शरीर में हर तरह के विटामिन और मिनरल्स की कमी होने लगती है। बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि उसे हर उम्रवर्ग में पर्याप्त पोषण मिले। इसकी कमी की वजह से बच्चों का शारीरिक-मानसिक विकास बाधित होता है। ऐसे बच्चों ओवर ऑल ग्रोथ भी धीमी हो जाती है।
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जन्म के समय जटिलताएं
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की मानें, तो डिलीवरी के समय किसी तरह की जटिलताएं सामने आती हैं, तो इसका नेगेटिव असर न सिर्फ महिला के स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि शिशु को ब्रेन इंजुरी हो सकती है। ऐसे में शिशु में केमिकल इंबैलेंस हो सकता है, जो कि उसके ब्रेन डेवेलपमें यानी मानसिक विकास को बाधित कर सकता है।
जेनेटिक डिसऑर्डर
विशेषज्ञों की मानें, तो जो बच्चे जेनेटिकल डिसऑर्डर के साथ जन्मे हैं, उनका भी मानसिक विकास धीमा हो जाता है। इन जेनेटिकल डिसऑर्डर में डाउन सिंड्रोम और फ्रजाइल एक्स सिंड्रोम जैसी समस्याएं शामिल हैं। इनसे बच्चे के कॉग्नीटिव बिहेवियर और फिजिकल डेवेलपमेंट में बाधा आती है।
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पैरेंट्स क्या करें
- पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे समय-समय पर अपने बच्चे का मानसिक विकास की जांच करवाते रहें। विशेषज्ञ की सलाह की मदद से बच्चे का मानसिक विकास बेहतर हो सकता है।
- अगर बच्चे में कोई ऐसी समस्या का पता चले, जिससे उसका विकास बाधित हो रहा है। ऐसे में लापरवाही न करें। उस समय जो भी संभव है, वही करें। डॉक्टर की प्रॉपर मदद लें।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, समझने की बात ये है कि बच्चे के मानसिक विकास पर पैरेंट्स को नजर रखनी चाहिए। अगर बच्चे का विकास जरा भी धीमी नजर आए, वह अपने हमउम्र बच्चों के साथ सामंजस्य न बैठा सके, तो बेहतर है कि आप इसके कारणों के बारे में जानने की कोशिश करें। साथ ही, बच्चे को सही ट्रीटमेंट दिलवाएं।
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FAQ
मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के क्या लक्षण हैं?
मानसिक रूप से जो बच्चे कमजोर होते हैं, उनमें कई तरह के लक्षण नजर आते हैं, जैसे ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत, याद करने में परेशानी, कमजोर याददाश्त, चिंता और अवसाद आदि। ध्यान रखें कि ऐसे बच्चे को विशेष देखभाल और प्यार की जरूरत होती है। इन बच्चों के साथ आप सामान्य बच्चों की तरह पेश आने से बचें। इन्हें हमेशा प्यार और दुलार के साथ पेश आएं।बच्चों के मानसिक विकास को कैसे सुनिश्चित करें?
बच्चों के मानसिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उन्हें आउटडोर गेम्स खेलने के लिए मोटिवेट करें, उन्हें शारीरिक गतिविधियों के प्रोत्साहित करें और हेल्दी डाइट फॉलो करने की सलाह दें। साथ ही, समय-समय पर उन्हें प्रोत्साहन भी दें। यह उनके मानसिक विकास के लिए जरूरी है।बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत कैसे बनाएं?
बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए उन्हें अपनी परेशानियों को खुद सुलझान दें, समय-समय पर उनकी तारीफ करें। इसके अलावा, अपनी समस्याओं से कैसे निपटना है, इस बारे में भी उन्हें समझाएं।
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Oct 06, 2025 19:39 IST
Published By : Meera Tagore