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बच्चों को घेर रही हैं मेंटल हेल्थ से जुड़ी ये 5 समस्याएं, पेरेंट्स को जरूर देना चाहिए ध्यान

बच्चों को भी मानसिक समस्या हो सकती है। आगे जानते हैं बच्चों में होने वाली कुछ सामान्य मानसिक विकारों के बारे में।   
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बच्चों को घेर रही हैं मेंटल हेल्थ से जुड़ी ये 5 समस्याएं, पेरेंट्स को जरूर देना चाहिए ध्यान


समय के साथ कई चीजों में बदलाव आया है। आजकल बच्चे अपने ही उम्र के बच्चों के साथ खेलने की जगह घंटों टीवी पर कॉर्टून देखने और वीडियो गेम खेलते हैं। इसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस वजह से आज अधिकतर बच्चों को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मोबाइल और वीडियो गेम का बच्चे के मानसिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से मानसिक समस्या से पीड़ित बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। आगे क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट धीरेंद्र बेदी से जानते हैं ऐसी समस्याएं जो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। 

बच्चों को घेर रही हैं मेंटल हेल्थ से जुड़ी ये 5 समस्याएं - Common Mental Health Problems In Children In Hindi 

एंग्जायटी डिसऑर्डर

एंग्जायटी डिसऑर्डर बच्चों में सबसे प्रचलित मानसिक समस्याओं में से एक है। यह समस्या करीब आठ में से एक बच्चे को प्रभावित कर सकती है। एंग्जायटी डिसऑर्डर वाले बच्चे अत्यधिक चिंता, डर और घबराहट महसूस करते हैं, जो दैनिक कामकाज में बाधा डाल सकते हैं। शारीरिक लक्षणों के रूप में बच्चे को पेट दर्द या सिरदर्द, कुछ स्थितियों से बचना, या स्कूल में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है। 

एडीएचडी (Attention-Deficit/Hyperactivity Disorder -ADHD)

एडीएचडी एक न्यूरोडेवलपमेंटल  डिसऑर्डर है। इसमें बच्चा किसी चीज पर ध्यान न देना और हाइपर एक्टिव हो सकता है। एडीएचडी वाले बच्चों को कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने, निर्देशों का पालन करने या अपने आवेगों को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।  ऐसे में बच्चे को स्कूल और अन्य लोगों के साथ मिलते समय समस्या हो सकती हैं। वहीं, एडीएचडी का सटीक कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है। 

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डिप्रेशन

बच्चों में डिप्रशन वयस्कों की तरह ही होता है। इस दौरान बच्चे को चिड़चिड़ापन या व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती है। डिप्रेशन की वजह से बच्चे नॉर्मल कार्यों से दूर हो सकते हैं। उनके भूख या नींद के पैटर्न में बदलाव हो सकता है। बच्चे के घर, स्कूल व अन्य शारीरिक समस्या के कारण भी डिप्रेशन हो सकता है। 

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी)

एएसडी में बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में देरी हो सकती है। एएसडी में बच्चों को सामाजिक संकेतों को समझने में परेशानी होती है। साथ ही, उनको आंखों से संपर्क बनाए रखने व खुद के विचारों को प्रकट करने में समस्या हो सकती है। इसमें बच्चे को बिहेवरियल थेरेपी, बोलने की थेरेपी आदि दी जाती हैं। 

पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर- पीटीएसडी

कम उम्र में जब बच्चे के साथ दुर्व्यवहार, दुर्घटना व हिंसा होने पर उसको पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर हो सकता है। इस दौरान बच्चे को बुरे सपने आते हैं। वह भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है। इससे बचने के लिए बच्चे को कई थेरेपी दी जा सकती हैं। 

इसे भी पढ़ें : बच्चे भी होते हैं मानसिक समस्याओं के शिकार, समझें डॉ निमेष देसाई से

बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए अभिभावकों को जागरुक होना बेहद आवश्यक होता है। चिंता, तनाव, पीटीएसडी आदि रोगों से बच्चे के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन, समय रहते इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है। 

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