कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता (पॉइजनिंग) क्या है? डॉक्टर से जानें बचने के उपाय

कार्बन मोनोऑक्साइड एक जहरीली गैस है। इसकी चपेट में आने से कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता देखनो को मिलती है। जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है।
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कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता (पॉइजनिंग) क्या है? डॉक्टर से जानें बचने के उपाय


आपने सर्दी के महीनों में अक्सर खबरें सुनी होंगी कि एक व्यक्ति घर में जलती हुई अंगीठी छोड़कर सो गया। सुबह उसकी मृ्त्यु हो गई। या फिर बरसात के मौसम में बारिश में कार फंसने दम घुटने से किसी की मौत हो गई। ऐसे तमाम उदाहरण आपके पास होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति लकड़ी, कोयला के जलने से क्यों मर जाता है। इसके पीछे वजह है कार्बन मोनोऑक्साइड। कार्बन मोनोऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साडइ की तरह ही एक गैस है। यह गैस तेल, गैसोलीन, केरोसिन, प्रोपेन, कोयला या लकड़ी के जलने से पैदा होती है। कोलंबिया एशिया अस्पताल में जनरल फिजियन डॉ. मंजीता नाथ दास का कहना है कि जब कोयला, लकड़ी, गैस, सिगरेट का धुंआ, कार का ईंजन जैसे ईंधन सही तरीके से नहीं जलाए जाते हैं तब कार्बन मोनोऑक्साइड नामक गैस बनती है। इस गैस की अधिकत मानव शरीर के लिए जहरीली होती है।

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किसी बंद कमरे में अगर वेंटिलेशन ठीक नहीं है तो यह गैस भर जाती है और कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्ततता देखने को मिलती है। डॉ. मंजीता नाथ दास का कहना है कि कार्बन मोनोऑक्साइड को Co कहा जाता है। यह गैस वातावरण में बहुत कम मात्रा में होती है। गाड़ी में एसी चलाकर छोड़ देने, कोयला जलाकर छोड़ देना, रूम हीटर, गैस सिलेंडर जलाना, बंद रूम में लकड़ी जला देना आदि ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से कार्बन मोनोऑक्साइड का प्रोडक्शन होता है। यह एक रंगहीन और गंधहीन गैस है। इसकी चपेट में आने पर व्यक्ति को लक्षण भी समझ नहीं आ पाते और इसकी विषाकत्ता की वजह से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

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कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर को कैसे प्रभावित करती है?

कार्बन मोनोऑक्साइड की अधिकता होने से शरीर में ऑक्सीजन लेवल की कमी होने लगती है। डॉ. मंजीता नाथ दास का कहना है कि ज्यादा देर तक ऐसी कार्बन मोनोऑक्साइड के प्रभाव में रहने से कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त में चला जाता है। हिमोग्लोबीन के साथ जाकर मिल जाता है। यह गैस हिमोग्लोबीन से ऑक्सीन को हटाकर उसकी जगह ले लेती है। हिमोग्लोबीन के जरिए पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचती है। अगर आप बहुत देर तक कार्बन मोनाऑक्साइड लेते हैं तो शरीर में हमोग्लोबीन कार्बन मोनोक्साइड में बदल जाता है। शरीर को ऑक्सीज नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में इंसान सोते-सोते ही मर जाता है। उन्हें मालूम ही नहीं होता है कि हवा में ऐसी गैस है। डॉ. मंजीता नाथ का कहना कि अगर कोई व्यक्ति कम कार्बन मोनोऑक्साइड के संपर्क में आता है तो उसे चक्कर आना, सांस लेने में कठिनाई, उल्टी जैसी परेशानी हो सकती है। लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा शरीर में जाने पर इंसान को कोई लक्षण दिखाई नहीं देता और उसकी मृत्यु हो जाती है। 

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कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता से बचाव

जैसा कि हम जानते हैं कि कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर में आग के धुएं से शरीर में प्रवेश करती है। शरीर में जाने के बाद ऑक्सीजन के प्रवाह को बाधित करती है। इस विषाक्तता से बचाव के निम्न तरीके डॉ. मंजीता नाथ दास ने दिए हैं-

  • अगर सर्दी के मौसम में आग जलाकर घर में रख रहे हैं तो उसे बुझाकर सोएं।
  • बरसात के समय में एसी चलाकर न रखें। लंबे समय तक एसी न चलाएं। अगर आप कार में हैं और शीशे बंद हैं कार का एसी चल रहा है तो उसे बंद कर दें। क्योंकि बारिश में फंसने से अगर गाड़ी के शीशे लॉक हो गए तो एसी से कार्बन मोनोऑक्साइड बनेगा जो व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकता है। 
  • घर के अंदर कोयला, लकड़ी न जलाएं। 
  • घर में अच्छा वेंटिलेशन रखें।
  • कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता के लक्षणों को पहचानें। 
  • सही समय पर पेशेंट को अस्पताल पहुंचाएं। 
  • डॉक्टर मिथाइल ब्लू नामक दवा देकर पेशेंट को रिकवर करते हैं। इसमें मरीज को ऑक्सीजन थेरेपी भी दी जाती है। 

कार्बन मोनोऑक्साइड एक जहरीली गैस है। इसकी चपेट में आने से कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता देखनो को मिलती है। जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है।

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