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क्या वाकई छींक रोकने से कान का पर्दा फट सकता है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

छींक रोकना किसी भी मायने में सही नहीं है। जबरन छींक रोकने की कोशिश करने से कई ऑर्गन पर दबाव बनता है और कान के पर्दे डैमेज होने का रिस्क भी रहता है।
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क्या वाकई छींक रोकने से कान का पर्दा फट सकता है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर


किसी मीटिंग में बैठे हों या कोई गहरी बातचीत चल रही है। इस दौरान अचानक छींक आ जाए, तो व्यक्ति कोशिश करता है कि अपनी छींक रोक ले ताकि चल रही बातचीत पर खलल न पड़े। विशेषज्ञों की मानें, तो छींक रोकना कभी भी सही विकल्प नहीं होता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि छींक रोकने से कान के पर्दे फट सकते हैं। सवाल है, क्या वाकई ऐसा होता है? यानी क्या छींक रोकने से कान के पर्दे फट सकते हैं? आइए, जानते हैं नोएडा सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल में Consultant - ENT डॉ. ओमप्रकाश क्या कहते हैं।

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की मानें, तो जबरन छींक रोकने की कोशिश करना सही नहीं है, क्योंकि ऐसा करने इनर ईयर इंजुरी हो सकती है। कुछ गंभीर मामलों में कान के पर्दे भी फट सकते हैं। इसे विस्तार से डॉक्टर समझाते हैं-

प्रेशर बढ़नाः छींके के दौरान प्रेशर से नाक और मुंह से हवा निकलती है। अगर अप छींक को रोकने या दबाने की कोशिश करते हैं, तो इसकी वजह से रेस्पिरेटरी सिस्टम बनने वाला दबाव शरीर के अंदर ही फंस जाता है। यह दबाव शरीर में ही घूमने लगता है, जो कि सही नहीं है। यह दबाव अधिक तीव्र हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर के कई अन्य अंगों पर नकारात्मक असर पड़ता है। विशेषकर, कान के पर्दे फटने का रिस्क बढ़ जाता है। यहां तक कि ब्लड वेसल्स भी टूट सकती हैं।

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यूस्टेशियन ट्यूबः छींक को दबाने से आपके सिर में अत्यधिक दबाव बनने के कारण यूस्टेशियन ट्यूब फट सकती है। छींक को रोकने से हवा और बलगम नैजल पैसेज से यूस्टेशियन ट्यूबों में वापस आ जाती हैं। यह ट्यूब कान को गले के पीछे से जोड़ती है। अंततः कान का पर्दा फटने का जोखिम बढ़ जाता है। यही नहीं, कान में संक्रमण का रिस्क भी बढ़ जाता है।

कान के अंदरूनी हिस्से में चोटः कुछ मामलों में छींक रोकना और भी खतरनाक हो जाता है। इसकी वजह से व्यक्ति आजीवन काल के लिए बहरा हो सकता है, कान के अंदरूनी हिस्से में गहरी चोट लग सकती है।

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निष्कर्ष

अगर छींक आए, तो उसे रोके नहीं। छींक रोकना काफी रिस्की हो सकता है। खासकर, इसकी वजह से कान में चोट लगना, इनर ईयर में इंजुरी और कान के पर्दे तक फट सकते हैं। विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि कभी-कभी छींक रोकन से कान में इंफेक्शन और वर्टिगो की दिक्कत हो सकती है।

All Image Credit: Freepik

FAQ

  • मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे कान का पर्दा फट गया है?

    कान का पर्दा फटने पर कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे कान से मवाद जैसा तरल पदार्थ का रिसाव, अचानक सुनने की क्षमता में कमी, आवाज सुनने में कठिनाई और कान में घंटी बजने जैसी आवाज निरंतर आना। 
  • कान के परदे का छेद कितने दिन में भर जाता है?

    अगर किसी के कान के पर्दे में छेद हो गया है, तो इसके लिए उन्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए। संभवतः वह मायरिंगोप्लास्टी की मदद से कान के छेद को बंद करते हैं। कान के पर्दे के छेद को बंद करने की सर्जरी कितने दिनों बाद होगी और कब होगी, यह सब डॉक्टर तय करते हैं।
  • क्या कान का पर्दा अपने आप ठीक हो जाता है?

    हां, कई मामलों में यह देखा गया है कि कान के पर्दे में हुआ छेद अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, इसमें कई हफ्ते से लेकर महीनों का समय लगता है। इसके अलावा, कान के पर्दे का छेद कितने दिनों में बंद होगा, यह छेद का आकार और संक्रमण के प्रकार पर निर्भर करता है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Oct 23, 2025 17:56 IST

    Published By : Meera Tagore

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