Radiations can cause Breast Cancer: जब भी कोई परेशानी होती है, तो तुरंत लोग एक्सरे या सीटी स्कैन कराने लग जाते हैं। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मेडिकल स्कैन कराने से ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकता है? इस बारे में जब हमने पुणे के मणिपाल हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. लखन कश्यप (Dr Lakhan Kashyap, Consultant - Medical Oncology, Manipal Hospital, Baner, Pune) से बात की। उन्होंने बताया कि मेडिकल स्कैन जैसे मैमोग्राफी, एक्स-रे और सीटी स्कैन बीमारियों की शुरुआती पहचान और इलाज में अहम भूमिका निभाते हैं। खासतौर पर ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को शुरुआती स्टेज में पकड़ने के लिए ये जांच कराना बहुत जरूरी हैं।
क्या मेडिकल स्कैन के रेडिएशन ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ा सकते हैं?
इस बारे में डॉ. लखन कहते हैं, “ मेडिकल जांच में इस्तेमाल होने वाला रेडिएशन बहुत सीमित और कंट्रोल मात्रा में होता है। यह मात्रा इतनी कम होती है कि इससे कैंसर होने का खतरा सामान्य तौर पर नहीं बढ़ता। दरअसल, कैंसर के इलाज में सबसे जरूरी है कि कैंसर की समय पर पहचान और उसके लिए मेडिकल स्कैन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ब्रेस्ट कैंसर में मैमोग्राफी जैसे स्कैन से कैंसर को शुरुआती स्टेज पर ही पकड़ा जा सकता है। अगर शुरुआत में ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाए, तो इलाज करना काफी आसान हो जाता है। मैं सभी को सलाह दूंगा कि डॉक्टर की सलाह से करवाए गए स्कैन के फायदे ज्यादा होते हैं।”
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ब्रेस्ट कैंसर में मेडिकल स्कैन कौन से होते हैं?
ब्रेस्ट कैंसर के चेकअप के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन और मैमोग्राफी शरीर के अंदर की तस्वीर लेने के लिए आयोनाइज़िंग रेडिएशन का इस्तेमाल करते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि ये रेडिएशन बहुत ही कंट्रोल तरीके से दी जाती है, ताकि मरीज को ज्यादा नुकसान न हो।
- मैमोग्राफी: महिलाओं के ब्रेस्ट की जांच के लिए के लिए मैमोग्राफी जरूरी होती है, ताकि शुरुआती स्टेज में कैंसर की पहचान हो सके।
- एक्स-रे: इसके जरिए शरीर के अंदर की हड्डियों या अन्य संरचनाओं की जांच होती है।
- सीटी स्कैन: इसमें जांच के दौरान शरीर के विभिन्न अंगों की विस्तार से इमेजिंग की जाती है।
ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कब हो सकता है?
डॉ. लखन कहते हैं कि कई रिसर्च में पाया गया है कि कैंसर का चेकअप करते समय मरीज को कम मात्रा में रेडिएशन दिए जाए और इसके रिस्क से कहीं ज्यादा फायदे हैं। इसलिए मरीज को किसी भी तरह से डरने की जरूरत नहीं है। बस ध्यान देने की बात यह है कि किसी भी तरह के स्कैन कराने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
स्कैन से ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क कब हो सकता है?
डॉ. लखन कहते हैं कि मरीज को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- बार-बार और बिना जरूरत के रेडिएशन वाले स्कैन करवाना सही नहीं है।
- अगर किसी मरीज को किसी बीमारी की वजह से लगातार जांच की जरूरत पड़ रही है, तो डॉक्टर मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और फैमिली हिस्ट्री देखकर ही स्कैन कराने की सलाह देते हैं।
- यंग महिलाओं या हाई रिस्क वाले मरीजों के लिए डॉक्टर कभी-कभी MRI या अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकते हैं।
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डॉक्टर की सलाह है जरूरी
डॉ. लखन कहते हैं कि स्कैन और खासतौर पर रेडिएशन वाले स्कैन सिर्फ ऑन्कोलॉजिस्ट और डॉक्टर की तय करते हैं कि मरीज को इसे कितनी बार और कब कराना है। खुद फैसला नहीं लेना चाहिए क्योंकि बार-बार स्कैन कराना खतरनाक हो सकता है। बार-बार रेडिएशन वाले स्कैन बिना डॉक्टर की सलाह पर कराने से कैंसर जैसी बीमारी के रिस्क को बढ़ा सकते हैं। ऐसे स्कैन हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही कराना चाहिए।
रेडिएशन वाले स्कैन कब कराने चाहिए?
डॉ. लखन ने बताया हैं कि महिलाओं को इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।
- मैमोग्राफी 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को रेगुलर कराने की सलाह दी जाती है।
- जिन परिवारों में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री है, उन्हें डॉक्टर 35 साल के बाद जांच की सलाह दे सकते हैं।
- बिना वजह एक्स-रे या सीटी स्कैन से बचें।
- किसी भी छोटी बीमारी होने पर खुद स्कैन कराने की बजाय डॉक्टर से सलाह लें।
- मार्डन स्कैन मशीनों में रेडिएशन काफी कम मात्रा में होती है, इसलिए मरीज को डरने की जरूरत नहीं है।
निष्कर्ष
डॉ. लखन जोर देते हुए कहते हैं कि आमतौर पर रेडिएशन की वजह से ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क नहीं बढ़ता, बल्कि स्कैन की मदद से कैंसर को शुरुआती स्टेज में पकड़ना आसान होता है। इसलिए स्कैन के कई फायदे हैं, लेकिन इसके साथ महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बिना वजह स्कैन न कराएं। सही जगह से डॉक्टर की सलाह लेकर ही स्कैन कराना सेफ होता है और जरूरत पड़ने पर इन्हें जरूर करवाना चाहिए।
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Current Version
Sep 25, 2025 17:19 IST
Modified By : Aneesh RawatSep 25, 2025 17:17 IST
Published By : Aneesh Rawat