Breast Cancer Diagnosis: ब्रेस्ट कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो ब्रेस्ट के टिशूज में शुरू होता है। ब्रेस्ट कैंसर के आम लक्षणों में ब्रेस्ट में गांठ, ब्रेस्ट से असामान्य स्राव (खासकर खून), ब्रेस्ट के आकार में बदलाव, निप्पल या ब्रेस्ट की त्वचा में खिंचाव या गड्ढा आदि। कुछ मामलों में, ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण बहुत कम होते हैं और इसे केवल नियमित जांच जैसे मैमोग्राम की मदद से ही किया जाता है। ब्रेस्ट कैंसर के कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन कई कारक इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इनमें उम्र बढ़ना, परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास, हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, शराब का सेवन, और लंबे समय तक हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना शामिल हैं। ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राफी या अल्ट्रासाउंड दोनों किया जाता है। लेकिन कई लोगों के मन में अक्सर सवाल उठता है ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए दोनों में से क्या ज्यादा प्रभावी है। इसका जवाब हम आगे जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन अस्पताल की वरिष्ठ गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ लिलि सिंह से बात की।
ब्रेस्ट कैंसर के लिए ज्यादा सटीक जांच कौन सी है, मैमोग्राम या अल्ट्रासाउंड?- Breast Cancer Test
ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड दोनों जरूरी तकनीकें हैं, लेकिन दोनों की भूमिका अलग-अलग होती है। सटीकता के संदर्भ में, मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड दोनों का अपना-अपना महत्व है। 40 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए, मैमोग्राम को ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए प्राथमिक जांच विधि माना जाता है, जबकि अल्ट्रासाउंड को वैकल्पिक जांच के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
मैमोग्राम- Mammogram
मैमोग्राम एक विशेष प्रकार की एक्स-रे तकनीक है, जो ब्रेस्ट के भीतर के टिशूज की तस्वीरें लेती है। इसे ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए सबसे सटीक और मानक विधि माना जाता है। मैमोग्राम ब्रेस्ट में सूक्ष्म बदलावों को पकड़ सकता है, जैसे कि छोटे ट्यूमर। 40 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए नियमित मैमोग्राम की सलाह दी जाती है क्योंकि इस उम्र में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मैमोग्राम की सटीकता अच्छी होती है, लेकिन यह घने ब्रेस्ट टिशूज वाली महिलाओं में कभी-कभी सटीक नतीजे नहीं दे पाता।
अल्ट्रासाउंड- Ultrasound
अल्ट्रासाउंड ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करके ब्रेस्ट के भीतर की तस्वीरें बनाता है। अल्ट्रासाउंड ब्रेस्ट के घने टिशूज के मामलों में अधिक कारगर होता है, जहां मैमोग्राम की सटीकता कम हो सकती है। यह तकनीक ब्रेस्ट में मौजूद गांठों की स्थिति को और साफ तरीके से दिखाने में सक्षम है। हालांकि, अल्ट्रासाउंड ब्रेस्ट कैंसर की नियमित स्क्रीनिंग के लिए प्राथमिक विधि नहीं है, इसे मैमोग्राम के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इसे भी पढ़ें- सिर्फ फिजिकल ही नहीं, ब्रेस्ट कैंसर से मेंटल हेल्थ भी होती है प्रभावित? एक्सपर्ट से जानें कैसे
ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि के लिए कौन सी जांच की जाती है?- Breast Cancer Diagnosis
ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि के लिए कई तरह की जांचें की जाती हैं-
1. बायोप्सी- Biopsy
ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि के लिए सबसे सटीक जांच बायोप्सी मानी जाती है। इसमें ब्रेस्ट के टिशूज का एक छोटा सेंपल लिया जाता है और उसे माइक्रोस्कोप की मदद से चेक किया जाता है। बायोप्सी के कई प्रकार होते हैं, जैसे फाइन-नीडल एस्पिरेशन (FNA), कोर-नीडल बायोप्सी और सर्जिकल बायोप्सी। इनकी मदद से यह देखा जाता है कि टिशू कैंसरयुक्त है या नहीं।
2. मैमोग्राम- Mammogram
मैमोग्राम एक विशेष एक्स-रे तकनीक है जो ब्रेस्ट के भीतर की तस्वीरें लेती है। यह जांच ब्रेस्ट में मौजूद गांठों या असामान्यताओं की पहचान करने में मदद करती है। हालांकि, मैमोग्राम आमतौर पर शुरुआती जांच के लिए किया जाता है, इसका इस्तेमाल पुष्टि के लिए नहीं किया जाता।
3. अल्ट्रासाउंड- Ultrasound
अल्ट्रासाउंड ब्रेस्ट के भीतर की तस्वीरें बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। यह जांच घने ब्रेस्ट टिश्यू के मामलों में मददगार हो सकती है और यह देखने में मदद करती है कि गांठ ठोस है या तरल से भरी हुई। हालांकि, यह भी पुष्टि के लिए प्राथमिक जांच नहीं है।
4. एमआरआई- MRI
एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) का इस्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर की ज्यादा सटीक जानकारी के लिए किया जाता है, खासकर अगर मैमोग्राम या अल्ट्रासाउंड के नतीजे स्पष्ट नहीं होते। यह ब्रेस्ट के भीतर के टिशू और कैंसर के फैलाव की जानकारी देता है।
ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि के लिए सबसे जरूरी जांच बायोप्सी है, जबकि मैमोग्राम, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई का इस्तेमाल प्रारंभिक जांच के लिए किया जाता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।