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क्या पुरुषों को भी 'पोस्टपार्टम डिप्रेशन' होता है? जानें इसके कारण और बचाव के तरीके

पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने पर पुरुष निराशा और उदासीनता से घिर जाते हैं। इससे निपटने के लिए उन्हें पार्टनर के सपोर्ट की जरूर होती है।
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क्या पुरुषों को भी 'पोस्टपार्टम डिप्रेशन' होता है? जानें इसके कारण और बचाव के तरीके


आपने अक्सर सुना होगा कि कुछ महिलाओं को डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो जाता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी बच्चे के जन्म के बाद महिला उदासीनता से भर जाती है, उसे कुछ भी करने का मन नहीं करता है और वह अपने बच्चे के साथ अपना गहरा बॉन्ड भी फील नहीं करती है। इसके अलावा, उसके मन में रह-रहक नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती रहती हैं। हाल के दिनों में यह सुनने में आया है कि पुरुषों को भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन होता है। हालांकि, पुरुषों में इस तरह की परेशानी बहुत कम देखने को मिलती है। इसलिए, यहां यह सवाल उठता है, क्या यह सच है? इस संबंध में हमने एक्सपर्ट से बात की है। पेश है, बातचीत के महत्वपूर्ण अंश।

पुरुषों को भी होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Men Can Also Experience Postpartum Depression In Hindi)

postpartum depression in men

हेल्थलाइन वेबसाइट के अनुसार, अमेरिकन जर्नल ऑफ मेंस हेल्थ के एक अध्ययन से पता चलता है कि करीब 13.3 प्रतिशत पुरुष अपनी पत्नी के थर्ड ट्राइमेस्टर के दौरान पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों को अनुभव करने लगते हैं। पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने पर पुरुष, महिलाओं की ही तरह, हताशा, निराशा और चिड़चिड़ापन से भर जाता है। आसनी से तनावग्रस्त हो जाता और छोटी से छोटी चीज भी उसे परेशान करनी लगती है। इसके अलावा, बच्चे के जन्म के बाद पोस्पार्टम डिप्रेशन से गुजर रहे पुरुष अक्सर थकान महसूस करते हैं, किसी तरह का काम करने का मन नहीं करता और दोस्तों-रिश्तेदारों से भी मेल-मिलाप बंद कर देते हैं। हालांकि, ये सब लंबे समय तक नहीं चलता है।

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पुरुष पोस्टपार्टम डिप्रेशन से कैसे निपटें

टॉक थेरेपी ले सकते हैं (Take Talks Therapy)

साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथैरेपिस्ट दीपाली बेदी के अनुसार, "पोस्पार्टम डिप्रेशन होने पर पुरुषों को टॉक थेरेपी करनी चाहिए। असल में, पोस्पार्टम डिप्रेशन होने पर पुरुष अपने मन की बातें किसी से कह नहीं पाते और न ही उन्हें यह समझ आता है कि अपने दिल की बातें किस तरह शेयर की जाएं। ऐसी स्थिति पुरुषों के साथ होने पर उन्हें बिना देरी किए टॉक थेरेपीज लेनी चाहिए। इससे उन्हें अपने मन की बात कहने में मदद मिलेगी और धीरे-धीरे पोस्पार्टम डिप्रेशन के लक्षणों में कमी आने लगेगी।"

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कपल थेरेपी भी है जरूरी (Take Couple Therapy)

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पाल्स की निदेशक, कंसलटेंट क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. दीपाली बत्रा कहती हैं, "पोस्पार्टम डिप्रेशन होने पर पुरुषों को अपनी पत्नी के साथ कपल थेरेपी लेनी चाहिए। दरअसल, पुरुष उस स्थिति में पोस्पार्टम डिप्रेशन का शिकार होता है, जब वह अपनी पत्नी के साथ पर्याप्त समय नहीं बिता पाता, उसके साथ अपने मन की बातें शेयर नहीं कर पता और अंतरंग संबंधों में भी कमी आने लगती है। इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए पुरुषों को कपल थेरेपी की मदद लेनी चाहिए। इससे महिलाओं को भी यह समझ आएगा कि उन्हें अपने पार्टनर की किस तरह मदद करनी है।"

नियमित एक्सरसाइज जरूर करें (Do Regular Exercise)

पोस्पार्टम डिप्रेशन से निपटने का सबसे अच्छा और बेहतरीन तरीका है, नियमित रूप से एक्सरसाइज करना।  पाल्स की निदेशक, कंसलटेंट क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. दीपाली बत्रा बताती हैं, "एक्सरसाइज न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, बल्कि इससे मन भी स्वस्थ रहता है। अगर आपको एक्सरसाइज करना पसंद है, तो इसे छोड़े नहीं, बल्कि जारी रखें। एक्सरसाइज करने से तनाव का स्तर कम होगा और पोस्पार्टम डिप्रेशन से लड़ने की क्षमता बेहतर होगी।"

बच्चे के साथ इंवॉल्व हों (Share Bond With Baby)

पोस्पार्टम डिप्रेशन से निपटने के लिए बहुत जरूरी है कि पुरुष बच्चे के साथ अपने बॉन्ड को बेहतर करे। अगर पुरुष को यह समझ नहीं आ रहा है कि वह ऐसा कैस कर सकता है, तो इसके लिए वह अपने फैमिली की मदद ले सकता है। इसके अलावा, उसे अपने बच्चे के छोटे-छोटे काम करने चाहिए। इसमें बच्चे का डायपर पर बदलना, कभी-भी बोतल में फीड कराना और कभी-कभी उसे अपने साथ टहलाने के लिए ले जाना।

इन्हें भी आजमाएं

डॉ. दीपाली बत्रा कुछ सुझाव देती हैं-

  • अपने दोस्तों का सर्कल बढ़ाएं।
  • घूमने-फिरने जाएं।
  • पार्टनर के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।
  • मन की बात, मन में न रखें।
  • जरूरी हो, तो किसी काउंसलर की मदद लें।

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