महिलाओं में प्रसवोत्तर अवसाद (Postpartum Depression)के बारे में अक्सर बात होती है लेकिन पुरूषों में इसके बारे में कोई बात नहीं होती है। एक अध्ययन की मानें, तो पुरुष भी प्रसवोत्तर अवसाद (Postpartum Depression) से पीड़ित हो सकते हैं। जबकि प्रसवोत्तर भावनात्मक विकारों में उदासीनता एक मुख्य चीज है, जो आमतौर पर महिलाओं में देखा जाता है। मनोरोग टाइम्स में जेम्स एफ पॉलसन के 2010 के एक लेख में 1-26 प्रतिशत के बीच नए पिता में महत्वपूर्ण अवसाद की घटना का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, कई नए माता-पिता स्वास्थ्य से जुड़े इन मुद्दों के बारे में बहुत जागरूक नहीं होते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे की देखभाल में वो जितनी मेहनत कर रहे हैं इसलिए इस थकान का उनपर असर दिख रहा है। पर असल में बच्चे के आने के बाद की आपकी ये उदासी पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकती है।
पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कारण क्या हैं?
पेरेंटिंग एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और पुरुष हमेशा चुनौती के लिए तैयार नहीं होते हैं। अधिकांश परिवारों के पास आज एक अलग सेटअप है, जहां नए बच्चों को संभालने के लिए लोगों की कमी होती है। इसतरह घर में अन्य वयस्कों की कमी के कारण नए माता-पिता अपने तनाव और बढ़ने लगता है। ऐसे में जब घर में बच्चा आता है, तो पुरुषों को अपनी पत्नियों का सहयोग करते हुए हर चीज में मदद करनी पड़ती है। पर ये एक अल्प और समय के साथ ठीक होने वाला डिप्रेशन हो सकता है। वहीं अगर ये अवसाद गंभीर है, तो पारिवारिक इतिहास की जांच करनी चाहिए। क्योंकि अगर पुरुष में अवसाद का पारिवारिक इतिहास है, तो प्रसवोत्तर अवसाद की संभावना अधिक होती है। वहीं अन्य कारणों की बात करें, तो
- - काम का दबाव
- - कार्य- जीवन में संतुलन बनाए रखने में असमर्थता
- - जरूरत से ज्यादा भागदौड़
- -स्ट्रेस और आराम की कमी
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पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
जागरूकता की कमी के कारण, पुरुषों को हमेशा पता नहीं होता है कि वे प्रसवोत्तर ब्लूज का उन्हें कब अनुभव हुआ या नहीं हुआ है। अधिकांश पुरुष मजबूत बने रहने की कोशिश करते हुए इस मुद्दे पर मुखर नहीं होते हैं। अन्य लोग इसे क्रोध, हताशा और चिड़चिड़ापन के रूप में व्यक्त करते हैं। इसी तरह भागदौड़ भरे जीवन को जीते हुए और घर और ऑफिस को बैलेंस करते हुए उन्हें अपने आप के लिए समय निकालने का मौका नहीं मिलता है, जो इन्हें भीतर ही भीतर परेशान करता है। वहीं इनके अन्य लक्षणों की बात करें, तो इनमें शामिल है-
- - गुस्सा और चिड़चिड़ापन
- - जरूरत से ज्यादा खोया या उदास रहना
- -लोगों से दूर रहना और अकेले समय बिताना
- - अंतर-व्यक्तिगत संबंधों को प्रभावित होना
- - काम में रुचि की कमी
- - नींद न आना इत्यादि
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पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज कैसे करें?
चूंकि पुरुषों में प्रसवोत्तर उदास अक्सर पेरेंटिंग तनाव के साथ सामना करने में असमर्थता से उपजी है, इसके इलाज का आदर्श तरीका परामर्श के माध्यम से है। इसके लिए परिवार के सदस्यों को ऐसे पुरुषों को और प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चे की मां को पिता को पर्याप्त समर्थन देना चाहिए। वास्तव में, नवजात शिशु की देखभाल और पालन-पोषण के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए परामर्श की शुरुआत होनी चाहिए। वहीं अगर चीजें न संभल रही हों, तो अपने माता-पिता या पत्नी के मां-बाप को बुला लें। वहीं आप अपने भाई-बहनों से भी इस काम में मदद ले सकते हैं। कोशिश करें कि कोई अपना ही आपके बच्चे का संभाले। नहीं तो होम हेल्पर्स या दाई की मदद लें। वहीं आप इन कुछ चीजों को भी कर सकते हैं।
- -पहले तो कोशिश करें कि बच्चे के देखभाल से समय निकालकर एक अच्छी नींद लें।
- -नई चीजों से परेशान होकर ज्यादा बैलेंस करने की कोशिश न करें, ये आपको और थका देगा।
- -बच्चे की देखभाल में परिवार वालों की भी मदद लें।
- -खुले मन से बच्चे को अपनाते हुए उसकी रोचक चीजों पर ध्यान दें।
- -बच्चा जब सो जाए, तो अपने लिए वक्त निकालें।
- - ज्यादा परेशानी हो तो काउंसलिंग की मदद लें।
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