Diabetes Cause Stroke: आजकल लाइफस्टाइल के कारण डायबिटीज की समस्या बहुत ज्यादा होने लगी है। जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक और प्रोसेस्ड फूड ज्यादा खाने और कसरत बिल्कुल न करने से डायबिटीज की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। डायबिटीज में इंसुलिन न बन पाना या प्रतिक्रिया न देना रोगी के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ा देता है। अगर रोगी डायबिटीज कंट्रोल नहीं करते, तो पैरों में दर्द, त्वचा में संक्रमण और मसूड़ों की परेशानियां हो सकती हैं।(symptoms of diabetes) इसके साथ, डायबिटीज की वजह से दिमाग की नलियां भी प्रभावित हो सकती हैं। क्या डायबिटीज के कारण दिमाग की नलियों पर इतना ज्यादा असर होता है कि स्ट्रोक तक हो सकता है? इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने फरीदाबाद के एशियन अस्पताल के न्यूरोलॉजी की एसोसिएट डायरेक्टर और हेड डॉ. नेहा कपूर (Dr. Neha Kapoor, Associate Director & Head- Neurology, Asian Hospital, Faridabad) से बात की।
क्या डायबिटीज से स्ट्रोक का खतरा हो सकता है? Can Diabetes Cause Stroke?
डॉ. नेहा कपूर कहती हैं, “जी हां, डायबिटीज से स्ट्रोक का खतरा हो सकता है। जो लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, उन्हें स्ट्रोक होने का रिस्क 1.5 से लेकर 2 गुना तक ज्यादा होता है। इसलिए डायबिटीज में रोगियों को स्ट्रोक होने के चांस बढ़ जाते हैं। जिन लोगों को काफी समय से डायबिटीज है या फिर जो लोग डायबिटीज को कंट्रोल नहीं करते, उनके लिए डायबिटीज माइक्रोवैस्कुलर और मैक्रोवैस्कुलर जटिलताओं को बढ़ा देती है। स्ट्रोक एक मैक्रोवैस्कुलर जटिलताओं में आता है, जिसमें शूगर खून की नलियों को सख्त कर देती है। कोलेस्ट्रॉल और खून की कोशिकाओं के साथ मिलकर खून के थक्के बना देती है। समय के साथ ये थक्के बड़े हो जाते हैं और खून की आर्टरी को बंद कर देते हैं। जब खून की नली बंद हो जाती है, तो वहां ब्लड फ्लो बंद हो जाता है। दिमाग में थक्कों की वजह से खून का प्रवाह बंद होने से स्ट्रोक होने का रिस्क बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।”
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डायबिटीज से जुड़े स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं? What are the symptoms of a diabetic stroke?
डॉ. नेहा कहती हैं कि स्ट्रोक के लक्षण वैसे ही होते हैं, जैसे आमतौर पर होते हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं -
- चेहरे पर कमजोरी
- बोलने में परेशानी होना
- हाथ-पैर में कमजोरी
- देखने में धुंधलापन आना
- पलकों का झुक जाना
- अचानक सिरदर्द होना
- चेहरे, हाथ या पैर का सुन्न होना
- चलने में परेशानी होना
स्ट्रोक का पता करने के लिए कौन से टेस्ट करें? tests of stroke due to diabetes
डॉ. नेहा का कहना है कि ब्रेन का एमआरआई (MRI) किया जाता है। इससे पता चलता है कि ब्रेन में किस जगह थक्के बने हैं। स्ट्रोक दो तरह का होता है, एक तो थक्के होने के कारण खून का जम जाना और दूसरा खून का बहना, जिसे ब्लीडिंग कहते हैं। टेस्ट से पता चलता है कि स्ट्रोक किस प्रकार का है और उसका इलाज कैसे करना है। दोनों ही स्थितियों में इलाज का तरीका बिल्कुल ही अलग होता है। थक्के जमने की स्थिति में ब्लड को पतला करने की दवाइयां दी जाती हैं, जबकि ब्लीडिंग में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। वैसे तो सीटी स्कैन (CT Scan) और एमआरआई दोनों से ही पता चल जाता है, लेकिन MRI से थक्कों की स्थिति और पुराने थक्कों के बारे में भी जानकारी मिलती है। यह भी पता चलता है कि स्ट्रोक साढ़े चार घंटे के अंदर का है या नहीं। अगर स्ट्रोक साढ़े चार घंटे के अंदर हुआ होता है, तो खून को पतला करने के लिए इंजेक्शन्स दिए जाते हैं।
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डायबिटीज में स्ट्रोक के खतरे को कैसे कम करें? How do you manage diabetes and stroke?
डॉ. नेहा का कहती हैं कि डायबिटीज रोगी अपना तीन महीने का औसतन HbA1c 7 या इससे नीचे रखें। इसे मैनेज करने के लिए रोगी इन बातों का ध्यान रखें।
- ब्लड शूगर की दवाइयां समय पर लें।
- घर पर ग्लूकोमीटर से शूगर मॉनीटर करें।
- दवाइयों और शूगर के बारे में डॉक्टर से फॉलोअप लें।
- रोजाना आधा घंटा वॉक जरूर करें।
- स्ट्रेस से बचें। इसके लिए योग और मेडिटेशन जरूर करें।
- मीठी चीजें और मीठे फल नहीं खाने चाहिए।
- जंक फूड से परहेज करें।
- अगर डायबिटीज के साथ कोलेस्ट्रॉल बढ़ा है या ब्लड प्रेशर बढ़ा है, तो भी ध्यान रखें।
- स्मोकिंग और शराब का सेवन बिल्कुल बंद करें। यह खून की नलियों को और अधिक तेजी से प्रभावित करता है।
डायबिटीज के रोगियों को स्ट्रोक का खतरा कम करने के लिए अपनी डाइट और कसरत का ध्यान रखना चाहिए। अगर किसी भी तरह की समस्या हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।