Hemorrhagic Stroke In Children: बच्चों को खेल-कूद करते समय अक्सर चोट लग जाती है। ऐसे में कई बार अभिभावकों को पता भी नहीं होता लेकिन कई बार बच्चों के शरीर में या सिर पर चोट के निशान देखने को मिलते हैं। ऐसे में अभिभावक घबरा जाते हैं। लेकिन, अभिभावकों को छोटे बच्चों की ज्यादा एक्टिविटी पर ध्यान देना चाहिए। कई बार यह छोटी-छोटी चोट या सामान्य लक्षण भी बड़ी समस्या का कारण बन सकते हैं। यदि, बच्चे को चक्कर आने या दौरे पड़ रहे है तो यह किसी तरह की दिमागी समस्या का संकेत हो सकता है। बच्चों के ब्रेन से जुड़ी गंभीर समस्याओं में हेमोरेजिक स्ट्रोक (Hemorrhagic Stroke) को भी शामिल किया जाता है। ऐसा नहीं है कि यह समस्या केवल वयस्कों में ही पाई जाती है, बच्चों में भी यह समस्या हो सकती है। ब्रेन में ब्लड वैसेल्स के फटने की वजह जब ब्रेन में ब्लड फैलने लगता है तो इससे वहां की नर्वस सिस्टम प्रभाविता होता है, तो हेमोरेजिक स्ट्रोक हो सकता है। इस लेख में आगे यशोदा अस्पताल की पीडियाट्रिक्स सीनियर कंस्लटेंट डॉक्टर दीपिका रुस्तगी से जानते हैं कि बच्चों में हेमोरेजिक स्ट्रोक के क्या कारण हो सकते हैं।
बच्चों में हेमोरेजिक स्ट्रोक के कारण - Causes Of Hemorrhagic Stroke In Children In Hindi
बच्चों में हेमोरेजिक स्ट्रोक एक दुर्लभ स्थिति है, लेकिन कुछ बच्चों को इसका जोखिम हो सकता है। फिलहाल, हेमोरेजिक स्ट्रोक के दो प्रकार होते हैं। इसमें इंट्रासेरेब्रल हेमरेज (Intracerebral Hemorrhage) और सबरैक्नॉइड हेमरेज (Subarachnoid Hemorrhage) को शामिल किया जाता है। इसके इंट्रासेरेब्रल हेमरेज में ब्रेन के अंदर की ब्लड वैसल्स यानी नसें फट जाती है और ब्लीडिंग होने लगती है। वहीं दूसरे प्रकार में ब्रेन के चारो ओर बनी झिल्ली प्रभावित होती है और ब्लीडिंग होने लगती है। आगे जानते हैं कि बच्चों में हेमोरेजिक स्ट्रोक होने के क्या कारण हो सकते हैं।
सिर पर चोट लगना (Traumatic Brain Injury)
बच्चों में हेमोरेजिक स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण सिर पर गंभीर चोट हो सकता है। किसी तरह दुर्घटनाएं, गिरने, या खेल-कूद के दौरान लगी चोटें ब्रेन की ब्लड वैसेल्स को डैमेज कर सकती हैं, जिससे ब्लीडिंग हो सकती है।
जन्म से ही रक्त वाहिका से जुड़ा डिसऑर्डर
कुछ बच्चों में जन्म से ही रक्त वाहिकाओं की बनावट में समस्या (Congenital Vascular Disorders) होती है, जिससे उनको ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चों को हेमोरेजिक स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है।
ब्लीडिंग होने पर रक्त ना रूकना
किसी तरह की चोट लगने या अन्य मेडिकल कंडिशन पर कुछ बच्चों को ब्लड क्लॉटिंग नहीं हो पाती है। यह एक तरह का डिसऑर्डर होता है। सामान्यत: कुछ बच्चों में जन्म से ही हीमोफिलिया या थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia) हो सकता है, जो हेमोरेजिक स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
संक्रमण और सूजन
मेनिनजाइटिस (Meningitis) और एन्सेफलाइटिस (Encephalitis) जैसी मस्तिष्क संबंधी संक्रमणों के कारण रक्त वाहिकाएं कमजोर हो सकती हैं और ऐसे में ब्लीडिंग का जोखिम बढ़ा सकती है।
कुछ दवाओं का प्रभाव
कुछ दवाओं विशेष तरह की दवाएं जैसे एंटीप्लेटलेट ड्रग्स (Antiplatelet Drugs) की वजह से बच्चों में ब्लीडिंग की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि, यह बच्चे की मौजूदा स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। वहीं, कैंसर या अन्य गंभीर बीमारी में दी जाने वाली दवाओं से भी ब्रेन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है।
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बच्चों में हेमोरेजिक स्ट्रोक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है। हेमरेजिक स्ट्रोक के लक्षणों में तेज सिरदर्द, उल्टी, कमजोरी, बोलने में कठिनाई होना, दौरे आना, ठीक से खड़ा न हो पाना और बेहोशी जैसे समस्याए देखने को मिल सकती हैं। यदि इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो गंभीरता बढ़ सकती हैं। ऐसे में दिखाई देने वाले लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत बच्चों के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।