महिलाओं के लिए इस दुनिया की सबसे बड़ी खुशी मां बनना होता है। ऐसा कहा जाता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाला दर्द भी मां के लिए बहुत मीठा होता है, क्योंकि इस दर्द को सहने के बाद ही उन्हें बच्चे का मासूम सा चेहरा देखने को मिलेगा। आपने अक्सर देखा होगा कि जैसे ही मां को प्रेग्नेंसी का पता चलता है, वह गर्भ में पल रहे बच्चे से बात करने की कोशिश करती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या गर्भ में पल रहा बच्चा आपकी बातों को सुन सकता है? साथ ही, हम जानेंगे कि क्या गर्भ में पल रहे बच्चे से बात करना सही होता है? इस बारे में हमने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शीबा मित्तल से बात की है। आइए विस्तार से जानते हैं कि गर्भ में पल रहा बच्चा आपकी बातों को सुन सकता है या नहीं।
गर्भ में पल रहा बच्चा सुन सकता है या नहीं?
डॉ. शीबा मित्तल के मुताबिक, प्रेग्नेंसी के 18वें हफ्ते तक बच्चा मां के अंदर की आवाजें सुनने लगता है। जैसे कि दिल की धड़कन और इंटेस्टाइन के मूवमेंट से आने वाली आवाजे सुन पाते हैं। 25वें हफ्ते तक बच्चा बाहर की आवाजों को सुनने लगता है। वहीं, 30वें हफ्ते तक गर्भ में पल रहा शिशु आपकी बातों को भी सुनने लगता है। ऐसे में माताएं बच्चे से जो भी बातें करती हैं, बच्चा उन्हें सुनकर मूवमेंट करता है। इस मूवमेंट को आप उनका जवाब भी समझ सकती हैं।
गर्भ में पल रहे शिशु से बातें करना फायदेमंद क्यों है?
बच्चा आपको पहचानने लगता है
अगर मां गर्भ में पल रहे बच्चे से बातचीत करती है, तो बच्चा आपकी आवाज और स्पर्श को पहचानने लगता है। इससे बच्चा सिर्फ मां को ही नहीं, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी पहचानने लगता है।
View this post on Instagram
भावनात्मक जुड़ाव होता है
जब मां गर्भ में पल रहे बच्चे से बातचीत करती हैं, तो इससे मां और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है। इससे दोनों के बीच का रिश्ता मजबूत होता है। बता दें कि मां की आवाज सुनने से बच्चे को गर्भ में ही सुरक्षा का अनुभव मिलता है।
इसे भी पढ़ें- क्या वाकई बच्चे को पाउडर वाला दूध पिलाने से डायबिटीज का खतरा होता है? जानें डॉक्टर से
बच्चे की बॉडी फंक्शनिंग के लिए है अच्छा
मां गर्भ में पल रहे बच्चे से बात करती है, तो बच्चे के दिमाग का विकास तेजी से होता है। इससे उसकी समझने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही, बच्चे की हार्ट बीट सामान्य होती है और उसमें सकारात्मकता बढ़ती है।
इसे भी पढ़ें- गर्भ में शिशु की मृत्यु हो जाने पर नजर आ सकते हैं ये 5 संकेत, प्रेग्नेंट महिलाएं जरूर दें ध्यान
गर्भ में पल रहे बच्चे से बात करके बच्चे के साथ मां को भी फायदा होता है। इससे मां अकेला महसूस नहीं करती है। उनकी बच्चे से अच्छी बॉन्डिंग हो जाती है। साथ ही, वह बच्चे की मूवमेंट को भी धीरे-धीरे समझने लगती है। इस तरह बात करने से मां और बच्चा दोनों ही खुश और पॉजिटिव रहते हैं। ऐसे में माता-पिता दोनों को ही बच्चे से बात करनी चाहिए और उसके साथ समय बिताना चाहिए। आप प्रेग्नेंसी के 30वें हफ्ते में अपनी बात के जवाब में बच्चे की मूवमेंट देख सकते हैं।
Read Next
पीरियड्स के दौरान परेशानियों (Premenstrual Syndrome) से बचना है, तो अपनाएं डॉक्टर की बताई ये 3 आदतें
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version