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क्या प्रेग्नेंसी में टाइफाइड से बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है? डॉक्टर से जानें

प्रेग्नेंसी में महिलाओं को संक्रमण आदि से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। ऐसे में आगे जानते हैं कि क्या प्रेग्नेंसी में टाइफाइड के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे को समस्या हो सकती है?
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क्या प्रेग्नेंसी में टाइफाइड से बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है? डॉक्टर से जानें


गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब महिला का शरीर न केवल अपने लिए, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी जिम्मेदार होता है। इस दौरान किसी भी प्रकार का संक्रमण मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे ही एक संक्रमण का नाम है ज्यादातर लोगों के मन आता है। इसे टाइफाइड (Typhoid fever) के नाम से जाना जाता है। यह एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है, जो यदि गर्भावस्था में हो जाए, तो मां और भ्रूण दोनों के लिए खतरे की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। यह समस्या दूषित जल और भोजन से हो सकती है। इस दौरान महिला को कमजोरी और थकान, सिरदर्द, भूख में कमी, पेट दर्द, दस्त या कभी-कभी कब्ज, उल्टी या मतली जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है। इस लेख में साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉ विभा बंसल से जानते हैं कि टाइफाइड क्या है, गर्भावस्था में इसका क्या असर पड़ सकता है।

टाइफाइड क्या है? - What Is Typhoid In Hindi 

टाइफाइड एक संक्रामक रोग है, जो Salmonella typhi नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह दूषित पानी, खाना या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। यह बैक्टीरिया आंतों में संक्रमण करता है और रक्त में फैलकर कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। यह रोग सामान्य रोगी जैसे बुजुर्ग, बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं को हो सकता है। प्रेग्नेंसी टाइफाइड के लक्षण गंभीर होने पर गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

गर्भावस्था में टाइफाइड कितना खतरनाक है? - How dangerous is typhoid during pregnancy?

गर्भवती महिलाओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) थोड़ी कम हो जाती है, जिससे वे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ सकती हैं। अगर गर्भावस्था के दौरान महिला को टाइफाइड हो (Can Typhoid Affect The Baby During Pregnancy In Hindi) जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। 

प्लेसेंटा तक संक्रमण का पहुंचना

गंभीर मामलों में टाइफाइड बैक्टीरिया प्लेसेंटा तक पहुंच सकते हैं और यह भ्रूण को संक्रमित कर सकते हैं, जिससे नवजात संक्रमण की चपेट में आ सकता है।

Can typhoid affect the baby during pregnancy in

प्रीमैच्योर डिलीवरी 

यदि तीसरी तिमाही में टाइफाइड होता है, तो समय से पहले प्रसव (preterm labor) की संभावना हो सकती है। इसमें बच्चा निर्धारित नौ माह के समय से पहले ही जन्म ले सकता है।

गर्भपात (Miscarriage)

गर्भ के शुरुआती महीनों में टाइफाइड संक्रमण गर्भपात का खतरा बढ़ा सकता है। तेज बुखार और संक्रमण गर्भ में पलने वाले बच्चे की ग्रोथ को बाधित कर सकते हैं।

इंट्रा यूटेरिन ग्रोथ रिटार्डेशन (IUGR)

संक्रमण के कारण गर्भ में बच्चे का विकास धीमा हो सकता है, जिससे जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है। ऐसे में बच्चे को अन्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है। 

महिला को होने वाली अन्य समस्याएं

प्रेग्नेंसी में टाइफाइड होने पर कुछ महिलाओं को डिहाइड्रेशन, ब्लड प्रेशर में गिरावट, आंतों में छेद (intestinal perforation) जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जो जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।

इसे भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी में टाइफाइड होने के क्या कारण होते हैं? डॉक्टर से जानें इसके लक्षण

इस दौरान महिलाओं को तेज बुखार, कमजोरी, सिरदर्द और भूख की कम हो सकती है। इस दौरान डॉक्टर महिलाओं को एंटीबायोटिक्स, हाइड्रेशन और आराम की सलाह देते हैं। टाइफाइड एक गंभीर बीमारी है, और गर्भावस्था के दौरान यह और भी अधिक संवेदनशील स्थिति बन जाती है। लेकिन समय पर पहचान, उचित इलाज और सावधानी से मां और शिशु दोनों की सुरक्षा संभव है।

FAQ

  • गर्भवती महिला को पेट में दर्द होने का क्या मतलब है?

    गर्भावस्‍था के दौरान बढ़ते भ्रूण की वजह से पेट के अंगों की पोजीशन बदलने के कारण पेट के ऊपरी हिस्‍से में दर्द हो सकता है। गैस और अपच की वजह से भी पेट के इस हिस्‍से में दर्द महसूस होता है।
  • प्रेगनेंसी में कहां-कहां पर दर्द होता है?

    प्रेग्नेंसी के दौरान कई जगहों पर दर्द हो सकता है, जिनमें पेट, पीठ, कूल्हे, पैर और स्तन शामिल हैं। ये दर्द गर्भाशय के बढ़ने, लिगामेंट्स के खिंचाव, और हार्मोनल बदलावों के कारण हो सकते हैं।
  • प्रेगनेंसी में हाथ पैर सुन्न होने के क्या कारण होते हैं?

    प्रेगनेंसी में हाथ-पैर सुन्न होना एक आम समस्या है, जो अक्सर गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव और रक्त परिसंचरण में बदलाव के कारण होती है। यह एक अस्थायी स्थिति है और आमतौर पर डिलीवरी के बाद अपने आप ठीक हो जाती है। 

 

 

 

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