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क्या डायलिसिस के साथ नॉर्मल जिंदगी जी सकते हैं? डॉक्टर से जानें

किडनी की बीमारियां आजकल आम होती जा रही हैं और इनके इलाज में डायलिसिस एक अहम प्रक्रिया बन चुकी है। यहां जानिए, क्या डायलिसिस के साथ नॉर्मल जिंदगी जी सकते हैं?
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क्या डायलिसिस के साथ नॉर्मल जिंदगी जी सकते हैं? डॉक्टर से जानें


आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान की खराब आदतें, तनाव और अनियमित दिनचर्या के कारण कई लोग किडनी संबंधी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। किडनी का मुख्य कार्य शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालना होता है, लेकिन जब किडनी सही तरीके से काम करना बंद कर देती है, तो कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। किडनी की बीमारी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके लक्षण तब तक सामने नहीं आते जब तक किडनी 90% तक खराब नहीं हो जाती। शुरूआत में हल्की थकान, पैरों और चेहरे पर सूजन, भूख में कमी, पेशाब में बदलाव और हाई ब्लड प्रेशर जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन लोग अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जब स्थिति गंभीर हो जाती है, तो डॉक्टर डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। इस लेख में फरीदाबाद के अमृता हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभाग के सीनियल कंसल्टेंट डॉ. कुणाल राज गांधी से जानिए, क्या डायलिसिस के साथ नॉर्मल जिंदगी जी सकते हैं?

क्या डायलिसिस के साथ नॉर्मल जिंदगी जी सकते हैं? - Can A Person Live A Normal Life On Dialysis

डॉक्टर कुणाल गांधी बताते हैं कि किडनी डायलिसिस के बाद मरीज की दिनचर्या में कई बदलाव आ सकते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि डायलिसिस के दौरान शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए कई घंटों का समय लगता है, इसलिए यह मरीज की शारीरिक स्थिति पर असर डाल सकता है। डायलिसिस के दौरान और उसके बाद मरीज को थोड़ी थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है, जो उनके सामान्य कार्यों को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा डायलिसिस प्रक्रिया को नियमित रूप से हर हफ्ते कुछ दिनों में किया जाता है, जो कि मरीज की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डाल सकता है। हर सप्ताह तीन से चार बार अस्पताल जाना पड़ता है, इस कारण से मरीज को रोजमर्रा के कामों को व्यवस्थित करना पड़ता है। कामकाजी लोगों के लिए यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

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1. डायलिसिस का शरीर पर असर

डायलिसिस से शरीर में कमजोरी आना एक सामान्य बात है। डायलिसिस के दौरान शरीर से न केवल अतिरिक्त पानी और टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं, बल्कि शरीर में मौजूद जरूरी मिनरल्स भी प्रभावित हो सकते हैं। इस कारण से शरीर की एनर्जी में कमी आती है, जिससे मरीज को थकान और कमजोरी महसूस होती है। इससे न केवल शारीरिक कार्यों में बाधा आती है, बल्कि मानसिक स्थिति भी प्रभावित हो सकती है।

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2. चेहरे और त्वचा पर बदलाव

डायलिसिस के लंबे समय तक चलने के कारण चेहरा मुरझा सकता है। डॉक्टर बताते हैं कि लगातार डायलिसिस करवाने से त्वचा की रंगत भी प्रभावित हो सकती है और त्वचा पर ड्राईनेस या खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, चेहरे पर सूजन और कमजोरी का अनुभव भी हो सकता है, जो व्यक्ति के आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकता है।

किडनी डायलिसिस के कारण मरीज को भावनात्मक रूप से भी तनाव का सामना करना पड़ सकता है। लंबे समय तक डायलिसिस करवाने से लाइफ क्वालिटी में कमी आ सकती है, जिससे मरीज डिप्रेशन या मानसिक दबाव महसूस कर सकता है। खासकर जब मरीज को हर सप्ताह डायलिसिस के लिए समय निकालना पड़े और शरीर की कमजोरी के कारण वह सामान्य कार्यों को सही तरीके से न कर पाए।

निष्कर्ष

किडनी डायलिसिस व्यक्ति की लाइफस्टाइल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। डायलिसिस से व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी, थकान और समय की कमी का सामना करना पड़ता है। यदि व्यक्ति की किडनी की स्थिति गंभीर है और डायलिसिस से स्थायी राहत नहीं मिल रही है, तो किडनी ट्रांसप्लांट एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके माध्यम से व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और वह नॉर्मल जीवन जीने में सक्षम हो सकता है।

All Images Credit- Freepik

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