दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से फैलता जा रहा है, जिसके कारण अब तक लाखों लोगों की मौत हो गई है और लगातार हजारों लोग रोजाना इसका शिकार हो रहे हैं। कोरोना के इस काल में आए दिन चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं और कई चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला दिल्ली से सामने आया है जिसमें कोरोना वायरस को मात देने के बाद मरीज के दिमाग में खून के थक्के बनने लग गए। ये एक ऐसा मामला है जिसकी वजह से डॉक्टर्स भी हैरान हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक, मरीज जम्मू का रहने वाला शख्स है जिसे कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद तबीयत बिगड़ती जा रही थी। जिसके बाद पीड़ित को जम्मू से दिल्ली लाया गया और मरीज को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कोरोना वायरस के बाद कोमा की स्थिति में पहुंचा मरीज
कोरोना वायरस के कारण मरीज की हालत काफी खराब होती जा रही थी, जिसकी वजह से सांस लेने में काफी मुश्किल पैदा हो रही थी। डॉक्टरों ने स्थिति को खराब होता देख वेंटिलेटर पर रखा जिसके बाद कोरोना वायरस के लक्षणों में कमी आने लगी। डॉक्टरों की मानें तो मरीज कोरोना वायरस से स्वस्थ होने के बाद एन्सेफलाइटिस का शिकार हो गया और कोमा की स्थिति में पहुंच गया। डॉक्टरों के मुताबिक, जिसे कोविड एन्सेफलाइटिस के रूप में जाना जाता है और इस कोरोना काल से पहले इस स्थिति को ल्यूकोएन्सेफलाइटिस के रूप में जाना जाता था। इस दौरान मरीज को एक बैक्टीरियल संक्रमण के द्वारा मस्तिष्क और रीढ़ में सूजन पैदा होने लगती है।
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नवंबर में कोरोना वायरस की हुई थी पुष्टि
जम्मू में रहने वाले 55 साल के मिथिलेश लाबरू नाम के शख्स को नवंबर महीने में कोरोना वायरस के लक्षण दिखाई दिए और जांच में इसकी पुष्टि की गई। जिसके बाद मिथिलेश ने खुद को कुछ दिनों के लिए होम आइसोलेशन में रखा, लेकिन धीरे-धीरे उनकी हालत बिगड़ने लगी और सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। जिसके बाद उन्हें पास के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में जांच के दौरान ये पाया गया कि वायरस के संक्रमण से उनके फेफड़े खराब होने लगे थे और उन्हें निमोनिया का शिकार होना पड़ा था। जिसके बाद गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली रेफर किया गया।
'दिमाग में 400 से ज्यादा पाए गए खून के थक्के'
अपोलो अस्पताल में श्वसन रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर राजेश चावला ने जानकारी दी की मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए अस्पताल में वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया और उनकी स्थिति की निगरानी की जा रही थी। जब मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ने लगी तो उस दौरान वेंटिलेटर से हटा दिया गया, लेकिन इसके बाद ही मरीज कोमा की स्थिति में चला गया। हालांकि, डॉक्टर राजेश चावला का कहना है कि जब किसी भी मरीज को वेंटिलेटर से हटाया जाता है तो उसके कुछ घंटों बाद ही उसे होश आता है। लेकिन इस स्थिति में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
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वहीं, दूसरी ओर अपोलो अस्पताल में न्यूरोसाइंसेस के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर विनीत सूरी ने भी बताया कि वेंटिलेटर से किसी भी मरीज को हटाने के बाद कुछ घंटों के बाद ही होश आता है लेकिन इस मरीज के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिसके बाद उनकी जांच की गई और रिपोर्ट में ये सामने आया कि उनके दिमाग में 400 से ज्यादा खून के थक्के पाए गए। डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज की स्थिति को देखते हुए इलाज शुरू किया गया और उन्हें पुनर्जीवित करने की कोशिशें की गई जिसके बाद उनकी जांच में 50 प्रतिशत तक का सुधार देखा गया। हालात सुधरते देख डॉक्टरों ने मरीज को पिछले शनिवार को छुट्टी दे दी।
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