
आज से ठीक 1 साल पहले दुनिया में पहली बार किसी इंसान में उस कोरोना वायरस की पहचान की गई थी, जिसने 21वीं सदी के इतिहास को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। विकीपीडिया के अनुसार चीनी सरकार के एक गोपनीय दस्तावेज में बताया गया है कि दुनिया में पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज 17 नवंबर 2019 सामने आया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये कोरोना मरीज चीन के हुबाई प्रांत का 55 साल का बुजुर्ग था। इसके बाद नवंबर महीने में ही चीन में 4 पुरुषों और 5 महिलाओं में कोरोना वायरस के लक्षण देखे गए थे। लेकिन तब तक चीन ने इस वायरस की खबर किसी को नहीं दी थी। चीन ने दिसंबर में ये माना था कि उनके यहां कोई नया वायरस मिला है, जिसकी वजह से कुछ लोग बीमार हुए हैं। शुरुआत में चीन ने ये नहीं माना था कि कोरोना वायरस संक्रामक है और एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। जबकि 20 दिसंबर 2019 तक चीन में कोरोना वायरस के 60 मामले और 31 दिसंबर 2019 तक 266 मामले सामने आ चुके थे।
चीन ने नहीं माना था कि इंसान से इंसान में फैलता है कोरोना वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) अपने ऑफिशियल रिपोर्ट्स में यह मानता है कि दुनिया में कोरोना वायरस का पहला मामला 8 दिसंबर को सामने आया था। हालांकि दिसंबर 2019 की शुरुआत में चीन ने ये बात नहीं मानी थी कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में फैल सकता है। 24 जनवरी को The Lancent नामक मशहूर मेडिकल जर्नल ने ये बात छापी थी की कोरोना वायरस संक्रामक है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इसके बाद 30 जनवरी 2020 को WHO ने इस वायरस को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। इसके लगभग डेढ़ महीने बाद 11 मार्च को WHO ने कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित किया था।
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1 साल में 5.5 करोड़ लोग संक्रमित, 13.3 लाख लोगों की हुई है मौत
आज 17 नवंबर 2020 को दुनिया में कोरोना वायरस को आए हुए 1 साल हो चुके हैं। इस 1 साल में न तो कोरोना वायरस को रोकने का कोई ठोस तरीका खोजा जा सका है, न ही इसकी रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन ऑफिशियल वैक्सीन बनाई जा सकी है और न ही इसके फैलने की गति को रोका जा सका है। Worldometer द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तक ये कोरोना वायरस 5.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है। इस वायरस की वजह से बीते 1 साल में 1,333,000 (13 लाख 33 हजार) लोगों की जान गई है।
भारत में देर से आया कोरोना वायरस लेकिन मचाई भारी तबाही
भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को केरल में सामने आया था। कोरोना वायरस से भारत में पहली मौत 12 मार्च को कर्नाटक में हुई थी। इसके बाद कोरोना वायरस को रोकने के लिए 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू और 25 मार्च को 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी। लेकिन भारत की घनी आबादी और लॉकडाउन के दौरान लोगों के बहुत ज्यादा संख्या में प्रवास के कारण वायरस को फैलने से नहीं रोका जा सका। आज भारत अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। भारत में 88 लाख 74 हजार से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 1 लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है। भारत के सबसे प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु आदि शामिल हैं। दिल्ली में इन दिनों कोरोना वायरस की तीसरी लहर (3rd Wave of Coronavirus in Delhi) देखने में आ रही है।
कोरोना वायरस ने 1 साल में कैसे बदल दी हमारी दुनिया?
17 नवंबर 2019 को सामने आए कोरोना वायरस ने हमारी दुनिया को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया है। कोरोना वायरस अगर पूरी तरह खत्म भी हो जाए, तो दुनिया पहले जैसी शायद अब कभी नहीं रहेगी। इस वायरस ने आम लोगों की जीवनशैली से लेकर फैक्ट्रियों, ऑफिस में काम करने वाले लोगों, दुकानदारों, अस्पतालों की सुविधाओं और काम के तरीकों को काफी हद तक बदल दिया है। कोरोना वायरस से आम जनजीवन में होने वाले कुछ बड़े बदलाव, जो भविष्य में भी जारी रह सकते हैं, इस प्रकार हैं।
- सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का प्रयोग भले सब लोग न करें, लेकिन आने वाले दिनों में कोविड-19 के खत्म होने के बाद भी बहुत सारे लोग मास्क के साथ देखे जा सकते हैं।
- हैंड सैनिटाइजर आम लोगों खासकर उच्च और मध्यम वर्ग के लोगों के जीवन का हिस्सा बन सकता है।
- स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में ऑनलाइन क्लासेज का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वो भविष्य में भी कैंपस शिक्षा के साथ-साथ किसी न किसी रूप में जारी रह सकता है।
- स्वास्थ्य और सेहत को लेकर लोगों की कई धारणाएं पिछले कुछ महीनों में टूटी हैं, जिससे आने वाले समय में बहुत सारे लोग हेल्थ प्रोडक्ट्स पर, इम्यूनिटी बूस्टर्स पर, हेल्थ इंश्योरेंस पर पैसे खर्च करने में ज्यादा संकोच नहीं करेंगे।
- ऑफिसेज में ऑनलाइन काम करने की जो व्यवस्था फिलहाल बनाई गई है, वो रोजगार के नए विकल्प के रूप में उभरेगा। इसके कारण बहुत सारे लोगों को कम पैसे में उनकी इच्छाअनुसार जगह से ही ऑनलाइन काम करने का विकल्प दिया जा सकता है।
इसी तरह के और भी बहुत सारे बदलाव हैं, जो कोरोना वायरस का दौर खत्म होने के बाद भी जारी रह सकते हैं। कुल मिलाकर कोरोना वायरस या कोविड-19 वायरस 21वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में दर्ज हो चुका है। उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में ही मानव सभ्यता इस वायरस के खिलाफ एक प्रभावी और सुरक्षित वैक्सीन तैयार कर लेगी, जिससे अगले कुछ सालों में इस वायरस को पूरी तरह खत्म किया जा सके।
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