
कोरोना वायरस महामारी कब खत्म होगी और कैसे खत्म होगी? कोविड-19 की वैक्सीन कब तक लोगों को मिल जाएगी? क्या भारत में कोरोना वायरस महामारी का पीक टाइम खत्म हो चुका है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो हमारे मन में पिछले 7 महीने से हर दिन उठते हैं, लेकिन इसका कोई उचित जवाब नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि ओनलीमायहेल्थ ने HealthCare Heroes Awards 2020 फंक्शन में भारत के 5 टॉप एक्सपर्ट्स के बीच इन सवालों को रखते हुए एक पैनल डिस्कशन आयोजित किया। जागरण न्यू मीडिया की हेल्थ एंड लाइफस्टाइल बिजनेस हेड मेघा ममगेन ने इस पैनल डिस्कशन में बतौर एंकर एक्सपर्ट्स से सवाल-जवाब किए। आइए आपको बताते हैं एक्सपर्ट्स ने क्या कहा।
कब तक आएगी कोविड-19 के लिए वैक्सीन
नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की डायरेक्टर प्रोफेसर प्रिया अब्राहम ने अपनी बात रखते हुए बताया कि कोविड-19 की वैक्सीन आने की उम्मीद अगले साल यानी 2021 के जून-जुलाई से पहले नहीं करनी चाहिए। फिलहाल दुनियाभर में 180 से ज्यादा वैक्सीन कैंडिडेट्स हैं, जिनमें लाइसेंस के लिए प्रतिस्पर्धा है। लेकिन बिना सभी ट्रायल्स के वैक्सीन को मान्यता नहीं दी जा सकती है। इसलिए लोगों को अभी लंबे समय तक सर्तकता बरतने की जरूर है। सर्दियों का मौसम आते ही फ्लू के मामेल भी बढ़ जाएंगे। इसलिए दूसरे इंफेक्शन्स को ध्यान में रखते हुए सावधानी बहुत जरूरी है।
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वायरस का म्यूटेशन हो रहा है, तो वैक्सीन काम कैसे करेगी?
प्रोफेसर प्रिया से जब ये पूछा गया कि वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है या साधारण भाषा में बदल रहा है, तो वैक्सीन कितनी प्रभावपूर्ण होगी, तो उन्होंने इसका बहुत सटीक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वायरस का म्यूटेशन बहुत ज्यादा नहीं है। दुनियाभर में कोरोना वायरस के हजारों स्ट्रेन्स मिले हैं, लेकिन ये सभी 99.95% तक एकरूप हैं। वैक्सीन को इस्तेमाल से पहले टेस्ट किया जाएगा।
पैनल डिस्कशन को पूरा सुनने के लिए नीचे दिए गए यूट्यूब वीडियो को प्ले करें।
कोविड के 70% मरीज वायरस नहीं फैलाते
कार्यक्रम में बोलते हुए Center For Disease Dynamics, Economics and Policy वाशिंगटन के डायरेक्टर प्रोफेसर लक्ष्मीनारायण ने कोरोना वायरस संक्रमण पर हुए अध्ययनों के आधार पर बताया कि संक्रमित होने के बाद भी 70% मरीज वायरस को नहीं फैलाते हैं। दुनियाभर में आए 60% से ज्यादा कोविड मामलों को फैलाने के पीछे सिर्फ 8% संक्रमित लोग हैं। हम इस वायरस के बारे में रोज नया सीख रहे हैं। उन्होंने बताया कि मास्क पहनना इसलिए जरूरी है क्योंकि मास्क ही कोरोना वायरस महामारी से बचने का फिलहाल सबसे प्रभावी उपाय है। उन्होंने कहा कि बंद जगहों पर वायरस के फैलने का खतरा ज्यादा होता है, जबकि खुली जगह पर ये खतरा कम है।
डेंगू-मलेरिया और दूसरे इंफेक्शन के साथ कोविड से लड़ाई है बड़ी चुनौती
BLK Hospital दिल्ली में चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के डायरेक्टर और हेड डॉ. संदीप नायर ने कहा कि ये वायरस बिल्कुल नया है और अलग तरह से व्यवहार कर रहा है। इस वायरस से लड़ाई में गलत सूचनाएं, डर और फेक न्यूज की वजह से तमाम मुश्किलें भी आई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस के साथ रहने की आदत हमें डाल लेनी चाहिए क्योंकि अगले कितने समय तक ये महामारी हमारे बीच रहेगी, इसका पता किसी को नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में डेंगू, मलेरिया भी एक बड़ा खतरा हैं। अगर किसी को कोरोना के साथ डेंगू या मलेरिया की समस्या हो गई, तो उस स्थिति में इलाज में कई तरह की समस्याएं सामने आ सकती हैं।
डॉ. नायर ने बाता कि लोग लगातार गलतियां कर रहे हैं। मास्क ऐसे पहनते हैं कि नाक और मुंह नहीं ढके होते हैं। बाजार में फैशनेबल मास्क आ गए हैं, जिनमें सुरक्षात्मक मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है, बहुत सारे हैंड सैनिटाइजर्स स्डैंडर्ड मानक पर खरे नहीं उतरते हैं। ऐसे में लोगों को सावधान और सतर्क रहना बहुत जरूरी है। अगर सभी नियमों का सही से पालन किया जाए तो व्यक्ति के वायरस की चपेट में आने का खतरा 90 से 95 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
हार्ट के मरीजों को सावधानी की ज्यादा है जरूरत
PSRI हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. टी. एस, क्लेयर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कोरोना वायरस से उन लोगों को ज्यादा खतरा है, जिन्हें हार्ट की बीमारी है। जो स्वस्थ लोग भी कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं, उनमें हार्ट से जुड़ी कुछ समस्याएं देखी जा रही हैं। जिन मरीजों को ब्लॉकेज की समस्या है, उन्हें कोविड-19 के कारण ब्लड क्लॉटिंग हो सकती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए किसी भी तरह की असुविधा होने या कोरोना के टाइम पर हार्ट से संबंधी परेशानी होने पर डॉ. के पास जरूर जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने हेल्थ केयर इंडस्ट्री को बदल दिया है। महामारी ने टेलीमेडिसिन की अहमियत को समझाया है।
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घरेलू नुस्खों और काढ़े का ओवरडोज हो सकता है खतरनाक
पैनल डिस्कशन में इंटरनैशनल स्पोर्ट्स डायटीशियन और पब्लिक हेल्थ न्यूट्रीशनिस्ट स्वाती बाथवाल ने बताया कि कोरोना के आने के बाद से इम्यूनिटी पर बहुत ज्यादा चर्चा हो रही है। लोगों ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काढ़े को वरदान मान लिया है। लेकिन काढ़े सहित किसी भी तरह के घरेलू नुस्खे का बहुत ज्यादा प्रयोग करना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने बताया कि काढ़ा बनाते समय हर हर्बल चीज नहीं डाल देनी चाहिए, बल्कि रोज बदल-बदलकर हर्ब्स के इस्तेमाल से बने काढ़े का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा इम्यूनिटी बढ़ाने के कुछ तरीके बिल्कुल फ्री हैं, जिनकी तरफ लोगों का ध्यान नहीं जाता है, जैसे- सूरज की धूप से विटामिन डी लेना, अच्छी नींद लेना, योग और ध्यान के द्वारा तनाव कम करना आदि।
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