हैदराबाद से कोरोना वायरस के मरीज के इलाज में कथित तौर पर लापरवाही का एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसे देखने के बाद किसी का भी दिल दहल सकता है। शुक्रवार को यहां एक 35 वर्षीय मरीज की कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई थी। इस मरीज ने मरने से ठीक पहले एक वीडियो बनाकर अपने पिता को भेजा था, जिसमें वो यह कहते हुए दिख रहा है, "मैंने उन्हें बताया कि मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं, फिर भी उन्होंने मेरा वेंटिलेटर हटा दिया है। मैं परेशान हो गया हूं। डैडी तीन घंटे हो गए हैं। ऐसा लग रहा है मेरे दिल की धड़कनें रुक गई हैं। बाय डैडी, सबको बाय" ये वीडियो 26 जून को रिकॉर्ड किया गया बताया जा रहा है। पीड़ित परिवार ने वीडियो को दिखाते हुए इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने ऐसे आरोप से खुद को दूर रखते हुए बताया है कि मरीज की मौत कोरोना वायरस से नहीं, बल्कि हार्ट की बीमारी से हुई है।
आखिस क्यों इतना महत्वपूर्ण है वेंटिलेटर?
कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) ने लगभग पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। इस जानलेवा वायरस ने पहले चीन और उसके बाद पूरी दुनिया में तबाही का कारण बन रहा है। इटली, स्पेन, ईरान, अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस में मौतों का आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। जबकि, इन देशों में स्वास्थ्य सुविधाएं विश्वस्तरीय हैं, इसके बावजूद यहां के हालात काफी बुरे हैं। दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि, कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों की जान बचाने में मास्क के साथ-साथ वेंटिलेटर अहम भूमिका निभा सकते हैं। मास्क आपको संक्रमित होने से बचाव करता है, जबकि वेंटिलेटर (Ventilator) संक्रमित गंभीर मरीजों की जान बचाता है। ऐसे में भारत के तमाम जानकार ये सवाल उठा रहे हैं कि यहां वेंटिलेटर और सुरक्षा उपकरणों को लेकर क्या तैयारी है?
अगर आपके मन में भी वेंटिलेटर को लेकर कुछ ऐसे सवाल हैं, कि वेंटिलेटर क्या है, वेंटिलेटर कैसे काम करता है और वेंटिलेटर को लेकर सरकार की क्या तैयारी है? तो आपके इन सवालों के जवाब जानने के लिए ये लेख पढ़ें।
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वेंटिलेटर क्या है: What Are Ventilators?
किसी संक्रमण के सबसे बुरे प्रभाव वाले रोगियों के लिए वेंटिलेटर मरीज के जीवित रहने का एक जरिया बन सकता है। दरअसल, जब कोरोना वायरस या अन्य रोग फेफड़ों को विफल (Lung Failure) कर देते हैं तो एक वेंटिलेटर शरीर की सांस लेने की प्रक्रिया को मैनेज करता है। इससे मरीज को संक्रमण से लड़ने और ठीक होने का समय मिल जाता है। विभिन्न प्रकार की चिकित्सा में वेंटिलेशन का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं कि मरीज की जान बचाई जा सकती है।
वेंटिलेटर कैसे काम करता है: How do Ventilators Work?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, कोविड-19 के लगभग 80% मरीज ऐसे हैं जो बिना अस्पताल में इलाज के ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन, छह में से एक व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो जाता है और उसे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
इन गंभीर मामलों में, वायरस फेफड़ों (Lungs) को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) इसका पता लगाती है और रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) का विस्तार करती है ताकि अधिक प्रतिरक्षा कोशिकाएं प्रवेश करें। लेकिन, इसके कारण द्रव (Fluid) फेफड़ों में प्रवेश कर सकता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और शरीर का ऑक्सीजन स्तर (Oxigen Level) गिर सकता है।
इसे कम करने के लिए, वेंटिलेटर का उपयोग हवा को धकेलने के लिए किया जाता है, जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है। वेंटिलेटर में एक ह्यूमिडिफायर (Humidifier) भी होता है, जो मरीज को हवा में गर्मी और नमी प्रदान करता है। यह मरीज के शरीर के तापमान से मेल खाता है। सांस की मांसपेशियों को आराम देने के लिए मरीजों को दवा दी जाती है ताकि उनकी सांस को मशीन द्वारा पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सके।
कोरोना वायरस के मरीज के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर?
फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली के कॉडियोलॉजिस्ट व जनरल फिजिशियन डॉक्टर शैलेंद्र भदोरिया का कहना है "कोरोना वायरस में मौत का सबसे बड़ा कारण फेफड़ों की विफलता है, और जब लंग्स फेल हो जाते हैं, उनमें एयर की जगह पानी भर जाता है, ऐसे में ऑक्सीजन बॉडी में नहीं पहुंचती है। इसी वजह से हमें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। ये लंग्स के काम को सरल बनाता है, वह हमारी बॉडी को ऑक्सीजन देता है और कार्बन डाई ऑक्साइड निकालने का काम करता है, इसके साथ ही वह हार्ट और दूसरे ऑर्गन को भी आराम पहुंचाता है। इसीलिए, करोना के जो 5 से 10 प्रतिशत गंभीर मामले होते हैं उनमें आईसीयू केयर और वेंटिलेटर की जरूरत होती है। इसलिए, तमाम देश वेंटिलेटर की व्यवस्था कर रहे हैं।"
वेंटिलेटर और अन्य चिकित्सा उपकरणों को लेकर सरकार की तैयारी?
विशेषज्ञों की मानें तो यदि लॉकडाउन से कोरोना वायरस का संक्रमण काफी हद तक रूक जाता है तो हमें वेंटिलेटर की अधिक आवश्यकता शायद न पड़े। मगर यह संक्रमण बढ़ा तो ऐसी स्थिति में वेंटिलेटर जरूरी हो सकता है। हालांकि, सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया, नोएडा की एक चिकित्सा उपकरण बनाने वाली कंपनी को हर माह दस हजार वेंटिलेटर निर्माण का ऑर्डर दिया जा चुका है। 2 अप्रैल से सप्लाई शुरू होने की उम्मीद है। देशभर के हॉस्पिटल्स में 14 हजार मौजूदा वेंटिलेटर कोरोना वायरस के मरीजों के लिए रखे गए हैं।
वहीं भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) से अगले दो महीने में स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर 30 हजार वेंटिलेटर बनाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा भारत की ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनियां भी वेंटिलेटर बनाने की तैयारी कर रही हैं। इसके अलावा सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर जैसी जरूरी चीजों की उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
Inputs: BBC, Aaj Tak
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