Medical Tests for Chronic Acidity: आजकल जिस तरह का खानपान हो गया है, उसे देखते हुए एसिडिटी या खट्टी डकारें आना आम बात है। शायद यही वजह है कि लोग इसे अक्सर हल्के में ले लेते हैं, लेकिन अगर किसी को एसिडिटी बार-बार हो रही है, तो उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। कई बार लगातार एसिडिटी होने की वजह सिर्फ पाचन में गड़बड़ी नहीं होती, बल्कि पेट की कोई गंभीर बीमारी होने की संभावना हो सकती है। इसलिए समय पर डॉक्टर की सलाह लेकर जरूरी टेस्ट कराना महत्वपूर्ण है। कौन से टेस्ट कराने चाहिए, इस बारे में हमने दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के जीआई सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांटेशन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. भूषण भोले (Dr. Bhushan Bhole, Senior Consultant, GI Surgery and Liver Transplantation, PSRI Hospital, New Delhi) से बात की।
लगातार एसिडिटी होने पर जरूरी मेडिकल टेस्ट
एंडोस्कोपी
डॉ. भूषण कहते हैं, “एंडोस्कोपी के जरिए पेट और भोजन की नली की पूरी जांच की जाती है। इस प्रोसेस में एक पतली ट्यूब में कैमरा लगाकर पेट और भोजन की नली (Esophagus) के अंदर देखा जाता है कि कहीं पेट में सूजन, घाव या अल्सर की समस्या तो नहीं है। इस टेस्ट के जरिए शुरुआती स्टेज में ही कैंसर या प्रीकैंसर का पता लगाया जा सकता है। अगर मरीज को लंबे समय तक सीने में जलन, खट्टी डकार और खून की उल्टियां हो रही हो, तो डॉक्टर से सलाह लेकर एंडोस्कोपी कराना बेहतर रहता है।”
इसे भी पढ़ें: किन गलतियों की वजह से टीनएजर्स को हो रही है GERD की समस्या, जानें डॉक्टर से
अल्ट्रासाउंड
डॉ. भूषण कहते हैं कि एसिडिटी की वजह सिर्फ पेट या भोजन की नली से जुड़ी नहीं हो सकती, बल्कि कई मामलों में देखा गया है कि लिवर और और गॉलब्लैडर में भी बीमारी हो सकती है। अल्टासाउंड से लिवर, गॉलब्लैडर और पैंक्रियास की जांच की जाती है। कई बार एसिडिटी का कारण पित्त में पथरी, फैटी लिवर या लिवर में सूजन होने की वजह से भी हो सकती है। अल्ट्रासाउंड के जरिए बिना किसी दर्द और आसानी से डायग्नोस किया जा सकता है।
एच पाइलोरी टेस्ट
डॉ. भूषण ने बताया कि आमतौर पर पेट में अल्सर या लगातार एसिडिटी का कारण Helicobacter pylori बैक्टीरिया हो सकता है। इस बैक्टीरिया का जानकारी एंडोस्कोपी बायोप्सी, ब्लड टेस्ट और स्टूल टेस्ट से की जाती है। अगर बैक्टीरिया किसी मरीज में मिलता है तो एंटीबायोटिक्स और एसिड कम करने के लिए दवाइयां दी जाती है। अगर इस बैक्टीरिया का इलाज समय पर न किया जाए, तो गैस्ट्रिक अल्सर और पेट के कैंसर तक का कारण बन सकता है।
पीएच मॉनिटरिंग टेस्ट
इस बारे में डॉ. भूषण ने कहा, “GERD (Gastroesophageal Reflux Disease) जानने के लिए PH मॉनिटरिंग टेस्ट किया जाता है। GERD में पेट का एसिड बार-बार भोजन की नली में चला जाता है और अगर इसका समय पर इलाज न हो, तो तेज जलन, खट्टी डकार और गले में जलन होने लगती है। इन मामलों में PH मॉनिटरिंग कराना फायदेमंद होता है। इसमें 24 घंटे पीएच मॉनिटरिंग टेस्ट से भोजन की नली में एसिड की मात्रा मापी जाती है। इस टेस्ट को कराने की सलाह हम उन मरीजों को देते हैं, जिन्हें लंबे समय से एसिडिटी और हार्टबर्न की शिकायत रहती है।”
इसे भी पढ़ें: एसिडिटी बढ़ा सकते हैं ये 5 हेल्दी फूड्स, न्यूट्रिशनिस्ट से जानें खाने का सही तरीका
ब्लड टेस्ट
डॉ. भूषण ने बताया कि मरीजों की एसिडिटी और शरीर के अन्य अंगों की जांच के लिए कुछ ब्लड टेस्ट कराने की सलाह भी दी जाती है।
- लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) - लिवर का फंक्शन चेक करने के लिए
- पैंक्रियास एंजाइम टेस्ट - इस टेस्ट में पैंक्रियास चेक किया जाता है कि यह अंग ठीक से काम कर रहा है या नहीं
- कम्प्लीट ब्लड काउंट (CBC) - इस ब्लड टेस्ट से एनीमिया और अन्य इंफेक्शन होने की जांच की जाती है।
लगातार एसिडिटी होने पर कौने से लक्षण नजर आते हैं?
डॉ. भूषण ने इन लक्षणों पर ध्यान देने को कहा है।
- अचानक वजन कम होना
- खून की उल्टी या ब्लैक कलर का स्टूल आना
- भूख न लगना और पेट भरा हुआ महसूस होना
- निगलने में दिक्कत
- तेज दर्द या कमजोरी
एसिडिटी से कैसे बचें?
डॉ. भूषण ने एसिडिटी से बचने के कुछ टिप्स बताए हैं।
- तेल, मसाले और जंक फूड से परहेज करें।
- छोटे-छोटे मील्स लें। एक ही टाइम में बहुत सारा खाना न खाएं।
- देर रात खाना खाने से बचें।
- बहुत ज्यादा चाय, कॉफी और शराब न लें।
- वजन कंट्रोल में रखें।
- रोजाना एक्सरसाइज करें।
- स्मोकिंग बिल्कुल न करें।
निष्कर्ष
डॉ. भूषण जोर देते हुए कहते हैं कि एसिडिटी को सिर्फ गैस की समस्या न समझें। कई बार यह समस्या खतरनाक भी हो सकती है। अगर किसी को लंबे समय तक एसिडिटी बनी रहती है, तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। समय पर किया इलाज न सिर्फ एसिडिटी से बचाता है, बल्कि भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों से भी बचाव करने में मदद करता है।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version
Oct 03, 2025 16:22 IST
Modified By : Aneesh RawatOct 03, 2025 16:22 IST
Published By : Aneesh Rawat