सीओपीडी का आयुर्वेदिक उपचार: COPD और सांस के अन्य रोगों से बचाव के लिए आजमाएं आयुर्वेद के ये 12 उपाय

सीओपीडी और सांस लेने से जुड़ी परेशानियों से बचाव करने में आयुर्वेद आपकी मदद कर सकता है। जानते हैं कैसे?  
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सीओपीडी का आयुर्वेदिक उपचार: COPD और सांस के अन्य रोगों से बचाव के लिए आजमाएं आयुर्वेद के ये 12 उपाय


क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) फेफड़ों के समूहों से जुड़ी एक बीमारी है। इसकी वजह से सांसों में रुकावट पैदा होता है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वर्तमान में बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से कई लोगों को यह परेशानी हो रही है। बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस और फेफड़ों से जुड़ी परेशानी काफी ज्यादा बढ़ सकती है। सीओपीडी फेफड़ों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ उपचारों की मदद से इसके लक्षणों और आगे बढ़ने वाले खतरों को कम किया जा (Symptoms of COPD) सकता है। 

सिरसा के आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि सीओपीडी में सांस लेने में परेशानी के अलावा बलगम के साथ खांसी होना, छाती में संक्रमण होना, गले में खिच-खिच इत्यादि लक्षण दिखते हैं। इन लक्षणों का इलाज आयुर्वेदिक उपचारों की मदद से भी किया जा सकता है। आज हम इस लेख में सीओपीडी का आयुर्वेदिक उपचार बताएंगे। आइए जानते हैं सीओपीडी का आयुर्वेदिक (Ayurvedic Treatment for copd) इलाज?

सीओपीडी का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurveda Remedies for COPD in Hindi)

1. नाक में घी डालें

सीओपीडी से ग्रसित व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी का अनुभव होता है। आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा बताते हैं कि इस स्थिति से बचने के लिए रात में सोते वक्त नाक में  घी लें। आयुर्वेद में नाक में घी लेने के कई फायदे बताए गए हैं। इससे सर्दी-जुकाम के साथ-साथ बलगम की परेशानी भी दूर होगी। नाक में घी लेने से सीओपीडी में दिखने वाले लक्षणों को कम किया जा सकता है। हालांकि, सीओपीडी की शिकायत (COPD Problems) होने पर एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। 

2. गुड़ का सेवन

प्रूदषण की वजह से सीओपीडी की समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ने लगती हैं। ऐसे में गुड़ का सेवन आपके लिए लाभकारी हो सकता है। गुड़ के सेवन से हमारे शरीर में मौजूद दूषित पदार्थ दूर हो सकते हैं। ऐसे में सीओपीडी के मरीजों को प्रदूषण बढ़ने (Air Pollution) पर गुड़ का सेवन करना चाहिए। खासतौर पर सर्दियों के सीजन में गर्म दूध के साथ 1 टुकड़ा गुड़ जरूर खाएं। 

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3. तुलसी-अदरक की चाय

सीओपीडी के लक्षणों को कम करने के लिए आ तुलसी से तैयार चाय का सेवन कर सकते हैं। तुलसी और अदरक की चाय इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ-साथ रेस्पिरेटरी सिस्टम से प्रदूषण को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। हालांकि, अधिक मात्रा में तुलसी और अदरक की चाय का सेवन न करें। आप चाहे, तो दिन में 2 से 3 बार तुलसी और अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं। लेकिन इससे अधिक अदरक और तुलसी की चाय न पिएं।

4. मुलेठी

सीओपीडी से ग्रसित मरीजों को अक्सर सूखी खांसी की समस्या होती है। मुलेठी आयुर्वेद में एक ऐसी औषधि है, जिसका प्रयोग सूखी खांसी को दूर करने के लिए किया जा सकता है। जब रोगी के सीने से कफ नहीं निकलता है, तो मुलेठी फायदेमंद हो सकता है। यह सीने से पीली और हरी बलगाम को निकालने में सहायक् हो सकता है।

5. सीतोपालदी चूर्ण

सांस से जुड़ी परेशानियों और विकारों को दूर करने के लिए सीतोपालदी चूर्ण का काफी महत्व होता है। यह आपका श्वसन नलिकाओं की सूजन और जलन को दूर करता है। साथ ही सांस लेने की परेशानी को भी दूर करने में आपकी मदद करता है। इतना ही नहीं आयुर्वेद की इस औषधि का इस्तेमाल करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 

6. अकक (Adhatoda vasica)

श्वसन क्रिया को बेहतर करने के लिए आयुर्वेद में अकक का इस्तेमाल होता है। यह श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। साथ ही संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद कर सकता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के सलाहनुसार आप इसका सेवन कर सकते हैं। 

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7. पुष्करमूल  (Inula racemosa)

सीओपीडी के अलावा सांस से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए पुष्परमूल आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। यह सभी प्रकार के बलगम को निकालने में आपकी मदद करता है। साथ ही आयुर्वेद की यह दवा फेफड़ों में कफ के निर्माण को कंट्रोल करता है। श्वास लेने की क्रिया में सहयोग करने में (Ayurveda Herbs for COPD) असरदार हो सकता है।

8. अश्वगन्धा (Withania somnifera)

अश्वगंधा का इस्तेमाल कई परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में अश्वगंधा का विशेष महत्व होता  है। सांस से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए आप अश्वगंधा का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह शरीर की थकान को दूर करता है। साथ ही आपकी ताकत को लौटाने में मददगार होता है। 

9. अभ्रक भस्म

सीओपीडी में सबसे अधिक नुकसान फेफड़ों को होता है। आयुर्वेद में अभ्रक भस्म के इस्तेमाल से फेफड़ों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकात है। इससे फेफड़ों की स्थिति में काफी ज्यादा सुधार लाया जा सकता है। अगर आपको सीओपीडी की शिकायत है, तो एक्सपर्ट के सलाहनुसार इसका सेवन करें। यह फेफड़ों में जमा कफ को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। साथ ही सांस से जुड़ी अन्य समस्याओं को कम करने में भी असरदार होता है।

10. शृंग भस्म

फेफड़ों में जमा कफ और फेफड़ों को सुरक्षित रखने के लिए आप शृंग भस्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह काफी शक्तिशाली होती है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल अधिक कफ होने की स्थिति में किया जाता है। यह आपकी छाती से कफ को बाहर करने में असरदार होता है। सांस लेने में परेशानी और छाती के दर्द  को दूर करने के लिए आप इस भस्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

11. टंकण भस्म

सीओपीडी की समस्याओं से बचाव के लिए टंकण भस्म का इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुर्वेद में इस भस्म का इस्तेमाल गाढ़ी श्लेष्मा को फेफड़ों से निकालने के लिए होता है। एक्सपर्ट के सलानुसार आप इस भस्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

12. यूकेलिप्टस ऑयल (Eucalyptus oil) 

यूकेलिप्टस ऑयल के इस्तेमाल से भी सीओपीडी और अन्य परेशानियों को कम किया जा सकता है। आयुर्वेद के सलाहनुसार इसका इस्तेमाल आपके लिए लाभकारी हो सकता है। 

ध्यान रखें कि सीओपीडी का जड़ से इलाज संभव नहीं है। हालांकि, कुछ दवाइयों और बचाव के माध्यम से सीओपीडी के लक्षणों और समस्या बढ़ने के खतरों को कम किया जा सकता है।  सीओपीडी की परेशानियों से बचने के लिए दवाइयों के अलावा अपने खानपान और जीवनशैली पर भी ध्यान दें। ताकि आपकी समस्या ज्यादा गंभीर रूप धारण न करे। इसके अलावा आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन करने से पहले एक बार आयुर्वेदाचार्य और डॉक्टर से जरूर सलाह लें। ताकि आपको सही डोज पता चल सके।

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