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प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए अपनाएं ये 8 आयुर्वेदिक उपाय, दूर होंगी कई समस्याएं

Pollution prevention  tips : इन दिनों पूरी दिल्ली में एयर क्वालिटी इनडेक्स बहुत खराब है। ऐसे में आप कुछ आयुर्वेदिक उपायों से, प्रदूषण के खतरे से खुद का बचाव कर सकते हैं।
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प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए अपनाएं ये 8 आयुर्वेदिक उपाय, दूर होंगी कई समस्याएं

दिवाली के बाद से ही दिल्ली और इसके आस-पास के शहरों की हवा (delhi air pollution) काफी प्रदूषित हो गई है। पिछले कुछ दिनों से यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार पहुंच गया है, इसे बेहद खराब स्थिति मानी जाती है। बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों में कई तरह की समस्याएं होने लगी हैं। इसका सबसे ज्यादा असर फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं वाले लोगों पर पड़ रहा है। 

दिल्ली में हवा प्रदूषित होने से फेफड़ों, हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ रहा है। अगर इसे समय पर ठीक नहीं किया गया तो स्थिति गंभीर हो सकती है। यही वजह है कि दिल्ली सरकार ने अगले एक हफ्ते के लिए ऑनलाइन क्लासेज और कार्यालयों में वर्क फ्रॉम होम के निर्देश दिए हैं। लेकिन सभी कार्यालयों ने वर्क फ्रॉम होम की सुविधा अपने कर्मचारियों को नहीं दी है, ऐसे में घर से बाहर निकलना उनकी मजबूरी हो गई है। इसके अलावा कई लोगों को अपने स्वास्थ्य या अतिरिक्त जरूरी कामों की वजहों से भी घर से बाहर निकलना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है प्रदूषित हवा से अपना बचाव किया जाए। प्रदूषित हवा से अपना बचाव करने के लिए आप कुछ आयुर्वेदिक उपायों को अपना सकते हैं। इससे प्रदूषित हवा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर पाएगी, आप कई समस्याओं से दूर रहेंगे और स्वस्थ रहेंगे। आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर श्रेय शर्मा से जानें प्रदूषण से बचाव के लिए बेहतरीन आयुर्वेदिक उपाय-

प्रदूषण से बचाव के लिए आयुर्वेदिक उपाय (ayurvedic tips to prevent from pollution)

अपने फेफड़ों, हृदय और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रदूषण से अपना बचाव करना बहुत जरूरी है। इसके लिए एक्सपर्ट घर पर अधिक समय बिताने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन किसी न किसी कारणवश घर से बाहर निकलना ही पड़ता है। ऐसे में आप खुद को बचाने के लिए इन आयुर्वेदिक उपायों का आजमा सकते हैं। 

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1. पिप्पली

प्रदूषित हवा सबसे अधिक फेफड़ों को प्रभावित करता है। ऐसे में दम घोंटू हवा से अपने फेफड़ों को बचाने के लिए पिप्पली का उपयोग किया जा सकता है। पिप्पली एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो अस्थमा और फेफड़ों के रोगों को दूर करने में मदद करती है। पिप्पली फेफड़ों की सफाई करता है, सांस लेने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। आप डॉक्टर की सलाह पर पिप्पली का सेवन कर सकते हैं। पिप्पली एक बेहद फायदेमंद जड़ी-बूटी है

2. नीम की पत्तियां

प्रदूषण से खुद को बचाने के लिए नीम की पत्तियां एक बेहतरीन घरेलू उपाय है। प्रदूषित हवा में रहने से अस्थमा के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में नीम की पत्तियां फायदेमंद हो सकती है। इसके अलावा प्रदूषण अन्य कई सांस संबंधी बीमारियों का भी कारण बनता है। नीम की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर को बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है। यह खून को भी साफ करने में मदद करता है। प्रदूषण से बचाव के लिए आप रोज सुबह खाली पेट 3-4 नीम की पत्तियां चबा सकते हैं। आप चाहें तो इन पत्तियों का जूस भी पी सकते हैं। 

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(image : ayurcentre.sg)

3. नस्य

आयुर्वेद के अनुसार नाक में घी या तेल डालने से सांस की नली साफ रहती है, जिससे दूषित तत्व फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाते हैं। नाक में तेल डालने की प्रक्रिया को नस्य कहा जाता है। दरअसल, प्रदूषित हवा में मौजूद कण नाक के माध्यम से फेफड़ों और शरीर तक पहुंचते हैं। ऐसे में अगर नियमित रूप से नाक में तेल  या घी डाला जाए, तो इससे दूषित कण नाक से फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाएंगे। ये दूषित कण नाक में ही चिपक जाते हैं और बाहर निकल जाते हैं। नस्य विधि को करने के लिए आप गाय का देसी घी या सरसों के तेल का उपयोग कर सकते हैं। नस्य पंचकर्म का तीसरा चरण है

4. भाप लेना है फायदेमंद

आयुर्वेद में भाप लेने को हमेशा से महत्व दिया गया है। भाप लेने से शरीर से प्रदूषित कणों को बाहर निकलने में मदद मिलती है। साथ ही भाप लेने से फेफड़ों की भी सफाई होती है। प्रदूषण की इस स्थिति में अगर नियमित रूप से भाप लिया जाए, तो काफी हद तक फेफड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसके लिए आप पानी गर्म करें, इसमें पेपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदें मिला लें। अब चेहरे को तौलिये से ढककर इसके भाप को सांस के माध्यम से शरीर के अंदर जाने दें। अगर आप घर से बाहर जाते हैं, तो दिन में दो बार भाप ले सकते हैं।

5. आहार में शामिल करें देसी घी

घी का सेवन करने से शरीर पर प्रदूषण का असर काफी कम हो जाता है। दरअसल, घी का सेवन करने से प्रदूषित हवा में मौजूद लेड और मर्क्यूरी जैसे कैमिकल्स का शरीर पर असर काफी कम हो जाता है। इसलिए आपको घी को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। आप शुद्ध देसी घी का ही सेवन करें।

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6. तुलसी-अदरक काढ़ा

प्रदूषण से बचाव के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आप तुलसी और अदरक का काढ़ा पी सकते हैं। तुलसी और अदरक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इस काढ़े को रोजाना  पीने से गले और प्रदूषण के कारण होने वाली सर्दी-खांसी से आराम मिलता है। साथ ही इससे आप अपने शरीर को प्रदूषण के खिलाफ लड़ने के लिए भी तैयार कर सकते हैं। इसके लिए आप एक गिलास पानी में कुछ तुलसी की पत्तियां और अदरक को कूटकर डालें। इसे अच्छी तरह से उबलने दें और छानकर पी लें। तुलसी का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है।

7. दूध में हल्दी और तुलसी

प्रदूषित हवा के कणों से श्वसन तंत्र, फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए शरीर की इम्यूनिटी अच्छी होना बहुत जरूरी है। इसलिए अपने शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए आप हल्दी वाला दूध पी सकते हैं। आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध को काफी फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा प्रदूषण के प्रभाव को रोकने के लिए आप दूध में तुलसी, अदरक, लौंग या काली मिर्च भी मिला सकते हैं। इसका नियमित सेवन करने से प्रदूषित कण शरीर से आसानी से बाहर निकल जाएंगे।

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(image : epipaleolithic-ankus-gimmer.xyz)

8. जलनेति

प्रदूषित हवा से बचाव के लिए जलनेति एक बेहतरीन आयुर्वेदिक उपाय है। प्रदूषण को रोकने में जलनेति बहुत कारगर है। जलनेति करने के लिए एक टोंटी लगा लोटा लें, इसमें गुनगुना पानी डालें। अब इस लोटे की मदद से पानी को नाक के एक नथुने में डालें और दूसरे से निकाल लें। जलनेति का अभ्यास करने से नाक और श्वसन पथ पर चिपके प्रदूषित कण आसानी से बाहर निकल जाते हैं। जलनेति करने से दम घोंटू हवा के कण मुंह या नाक के माध्यम से फेफड़ों तक भी नहीं पहुंच पाते हैं। लेकिन इसे आपको किसी डॉक्टर या एक्सपर्ट की देखरेख में ही करना चाहिए। गलत तरीके से करने पर आपको नुकसान हो सकता है।  

प्रदूषित हवा या दम घोंटू हवा के प्रकोप से बचने के लिए आपको नियमित रूप से डिटॉक्स टी का सेवन करना चाहिए। साथ ही नियमित रूप से मेडिटेशन, कपालभाती, अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका के अभ्यास से शरीर को एनर्जेटिक बनाकर प्रदूषण के प्रभाव से खुद को बचाया जा सकता है।

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