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घी और आयुर्वेद: सेहत के लिए क्यों जरूरी होता है घी? आयुर्वेदाचार्य से जानें इसके फायदे और सेवन का सही तरीका

शुद्ध देसी घी को लेकर आजकल कई तरह की भ्रांतियां फैल रही हैं। यहां जानिए, आयुर्वेद के अनुसार सेहत के लिए क्यों जरूरी होता है घी?
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घी और आयुर्वेद: सेहत के लिए क्यों जरूरी होता है घी? आयुर्वेदाचार्य से जानें इसके फायदे और सेवन का सही तरीका


वर्तमान समय में शुद्ध देसी घी को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, जिसके कारण लोगों ने घी का सेवन करना कम कर दिया है। जब कि असल में शुद्ध देसी गाय का घी पोषक तत्वों से भरपूर होता है और व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभदायक साबित होता है। दरअसल बीते कुछ सालों मे लोगों ने घर में नेचुरल तरीकों से गाय के दूध से शुद्ध घी बनाना बंद कर दिया है और बाजार में मिलने वाले घी का सेवन करते हैं। बाजार में मिलने वाले ज्यादातर देसी घी में कई तरह के केमिकल्स और अन्य तेलों का प्रयोग होता है और यही वजह है कि आजकल बाजार में शुद्ध घी सस्ता मिलता है। वहीं अगर आप बिना केमिकल वाला शुद्ध गाय का घी बाजार से खरीदते हैं तो इसकी कीमत 15 सौ से 3 हजार रुपए लीटर हो सकती है। ऐसे में अगर आप सस्ता मिलावटी घी खरीदते हैं तो इससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इसके लिए घी को नुकसानदायक बोलना गलत है। आयुर्वेद में शुद्ध देसी गाय के घी को अमृत के समान बताया गया है, जिसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए ओन्लीमायहेल्थ  ने 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) स्पेशल सीरीज शुरू की है। इस सीरीज में हम अपने पाठकों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से जानकारी देगें और इसके साथ ही रियल लाइफ स्टोरीज भी शेयर करेंगे, जिससे लोगों का रुझान आयुर्वेद के प्रति बढ़े। घी के बारे में आयुर्वेद में क्या लिखा है, यह जानने के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से बात की-

घी और आयुर्वेद

डॉक्टर श्रेय ने बताया कि शुद्ध देसी गाय का घी, सदियों से भारतीय संस्कृति और चिकित्सा का अभिन्न हिस्सा रहा है। घी न केवल भोजन को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि इससे सेहत को भी अनेक लाभ मिलते हैं। आयुर्वेद में, घी की गिनती सर्वोत्तम औषधि के रूप में होती है। शुद्ध देसी गाय के घी में मौजूद फैटी एसिड्स, विटामिन्स और एंटीऑक्सिडेंट्स हमारे शरीर को न केवल पोषण प्रदान करते हैं बल्कि कई बीमारियों से भी बचाते हैं। घी का नियमित उपयोग त्वचा को नमी बनाए रखता है, जिससे त्वचा सॉफ्ट और ग्लोइंग नजर आती है। आयुर्वेद में, घी को बुद्धि और स्मरणशक्ति बढ़ाने वाला माना गया है। यह मस्तिष्क को पोषण देता है और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। गाय के घी का सेवन हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। 

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शुद्ध देसी गाय के घी की तासीर क्या है?

आयुर्वेद में घी को शीतवीर्य बताया गया है यानी इसका प्रभाव या तासीर ठंडक प्रदान करने वाली होती है। कई लोगों को घी पचता नही हैं, ऐसे में लोग इसे गर्म मानने लगते हैं, जो कि गलत है। दरअसल, अगर व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म सही नहीं होगा तो घी पचने में समस्या हो सकती है। ऐसे व्यक्तियों को अपने पाचन से जुड़ी समस्या का डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए।

facts about ghee

घी कब और कैसे खाना चाहिए?

आयुर्वेद के अनुसार घी कैसे खाएं? इस बारे में डॉक्टर ने बताया कि शुद्ध गाय के घी का सेवन दाल, सब्जी में ऊपर से डालकर किया जाना चाहिए। इसके अलावा तड़के में और रोटी पर लगाकर भी घी का सेवन किया जा सकता है। डॉक्टर का कहना है कि आजकल लोग घी में खाने की चीजें फ्राई करते हैं, पराठे और पूड़ियां बनाते हैं, जो कि गलत है। डॉक्टर ने बताया कि लोगों को पैकेट में मिलने वाला मिलावटी सस्ता देसी घी नहीं खाना चाहिए, बल्कि शुद्ध देसी गाय का घी ही खाना चाहिए। शुद्ध घी भले ही महंगा होगा लेकिन आपकी सेहत के लिए बेहद लाभदायक साबित होगा। 

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क्या घी ताकत बढ़ाता है?

डॉक्टर ने बताया कि घी शरीर की ताकत बढ़ाने में सहायक होता है। आयुर्वेद में घी को शरीर में पुष्टि करने वाला और वात-पित्त शामक बताया गया है। खासतौर पर जो लोग बहुत दुबले-पतले हैं उनके लिए घी सबसे अच्छा रसायन या अमृत है।

ताकत के लिए घी कैसे खाएं?

जो व्यक्ति ताकत बढ़ाने के लिए घी का सेवन करना चाहते हैं, वह अश्वगंधा के साथ घी का सेवन कर सकते हैं। इसका सेवन व्यक्ति को अपने शरीर के वजन और तासीर के अनुसार करना चाहिए। ध्यान रखें कि घी ज्यादा खाते हैं तो एक्सरसाइज जरूर करें।

घी कब नहीं खाना चाहिए?

डॉक्टर ने बताया कि जिन व्यक्तियों का लिपिड प्रोफाइल बढ़ा रहता है या जिनकी हार्ट की सर्जरी हुई है उन्हें घी डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं खाना चाहिए। डॉक्टर ने बताया कि ग्रीष्म और वर्षा ऋतुओं में घी का सेवन थोड़ा कम मात्रा में करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन मौसमों में अनाज का सेवन भी कम करने की सलाह दी जाती है तो इसके साथ घी का सेवन भी कम ही करना चाहिए। वहीं सर्दियों में घी का सेवन बढ़ाया जा सकता है। 

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क्या घी खाने से पेट की चर्बी बढ़ती है?

जो व्यक्ति घी खाते हैं लेकिन वर्कआउट नहीं करते हैं उनके शरीर में चर्बी बढ़ सकती है। डॉक्टर ने बताया कि सबसे पहले इस बात का ख्याल रखें कि आजकल शुद्ध घी के नाम पर मिलावटी घी बाजार में मिलता है, जिससे पेट की चर्बी तो बढ़ती ही है साथ ही साथ कई अन्य बीमारियां भी होने लगती हैं। ऐसे में घी प्योर यानी शुद्ध ही लें। 

कैसे पता चलेगा कि घी शुद्ध है?

डॉक्टर ने बताया कि लोगों को असली घी की पहचान कम होती है, ऐसे में कई अच्छे ब्रांड्स हैं जो शुद्ध घी बेचते हैं आप उनका सेवन कर सकते हैं। कैसे पता चलेगा कि घी शुद्ध है या नहीं? इसके बारे में डॉक्टर ने बताया कि घर में आसानी से टेस्ट करके ये जाना जा सकता है कि घी में मिलावट हुई है या नहीं। इसके लिए घी में सल्फ्यूरिक एसिड के 2-3 ड्रॉप्स डालें, इसके बाद अगर घी का रंग गुलाबी हो जाता है तो इसका मतलब है कि घी में मिलावट हुई है। 

घी न केवल स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है, बल्कि इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ भी हैं। आयुर्वेद में इसे 'सर्वश्रेष्ठ पोषक तत्व' माना गया है, इसके नियमित सेवन से शरीर स्वस्थ और मजबूत रहता है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। लेकिन अगर आप किसी खास बीमारी से जूझ रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसका सेवन करें।

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