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क्या शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बन रहे हैं इनफर्टिलिटी की वजह? डॉक्टर से जानें

शरीर में जमा टॉक्सिन्स कई बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं। यहां जानिए, क्या शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स इनफर्टिलिटी की वजह बन रहे हैं?
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क्या शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बन रहे हैं इनफर्टिलिटी की वजह? डॉक्टर से जानें


आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और बदलती लाइफस्टाइल में हमारा शरीर लगातार हानिकारक टॉक्सिन्स के संपर्क में आ रहा है। ये टॉक्सिन्स हमारे भोजन, पानी, हवा और यहां तक कि डेली इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। प्रोसेस्ड फूड, प्लास्टिक प्रोडक्ट्स और केमिकल युक्त कॉस्मेटिक्स टॉक्सिन्स के प्रमुख सोर्स होते हैं। शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स न केवल हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बनते हैं। यह टॉक्सिन्स शरीर में सूजन (इंफ्लेमेशन), हार्मोनल असंतुलन, और यहां तक कि प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख में सेपालिका फंक्शनल फर्टिलिटी क्लीनिक की एक्सपर्ट शारदा से जानेंगे कि कैसे टॉक्सिन्स इनफर्टिलिटी का कारण बन सकते हैं और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

टॉक्सिन्स और इनफर्टिलिटी के बीच संबंध

टॉक्सिन्स, जैसे कि प्रदूषण, केमिकल्स, डाइटरी एडिटिव्स और हानिकारक केमिकल्स शरीर में एंटीऑक्सिडेंट्स और जरूरी पोषक तत्वों के स्तर को कम कर सकते हैं। शरीर में टॉक्सिन्स जमा होने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें इनफर्टिलिटी भी शामिल है।

1. इंफ्लेमेशन और इंसुलिन रेजिस्टेंस

टॉक्सिन्स शरीर में इंफ्लेमेशन (सूजन) और इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकते हैं। यह स्थिति ओवुलेशन की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। ज्यादा इंफ्लेमेशन के कारण ओवरी के फॉलिकल्स डैमेज हो सकते हैं, जो कि एग्स की क्वालिटी को खराब कर सकते हैं। यह स्थिति महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याओं का कारण बन सकती है।

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2. माइट्रोकॉन्ड्रियल डैमेज

टॉक्सिन्स शरीर के माइट्रोकॉन्ड्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। माइट्रोकॉन्ड्रिया कोशिका के ऊर्जा का सोर्स होते हैं और प्रजनन प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभाते हैं। जब ये सही से फंक्शन नहीं करते, तो ओवरी की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिसके कारण अंडाणु की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है।

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शरीर में टॉक्सिन कैसे बढ़ते हैं?

  • वातावरण में मौजूद केमिकल्स जैसे कि पेस्टीसाइड्स, हेयर डाई, प्लास्टिक और अन्य सिंथेटिक पदार्थ शरीर में टॉक्सिन्स को जमा कर सकते हैं। इनके संपर्क में आने से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।
  • प्लास्टिक के बर्तन, पैकिंग और अन्य प्लास्टिक उत्पादों में बिस्फेनोल ए पाया जाता है, जो एक प्रकार का हार्मोनल डिस्टर्बर है। यह महिलाओं के प्रजनन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और अंडाणु की गुणवत्ता यानी एग्स की क्वालिटी में कमी ला सकता है।
  • हमारा भोजन भी टॉक्सिन्स से भरपूर हो सकता है। खासतौर पर ऐसे फूड्स जो रासायनिक खाद और कीटनाशकों से प्रभावित होते हैं।

टॉक्सिन्स से छुटकारा पाने के उपाय

डाइट में बदलाव करें

सबसे पहले, शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने के लिए अपनी डाइट में बदलाव करें। ताजे फल, सब्जियां और हरी पत्तेदार सब्जियां अधिक मात्रा में खाएं। यह डाइट शरीर में पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ाता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।

लिवर और कोलन का ध्यान रखें

लिवर और कोलन शरीर के प्राकृतिक डिटॉक्स अंग हैं। इन्हें स्वस्थ रखने के लिए पानी अधिक पिएं, फाइबर से भरपूर डाइट लें।

निष्कर्ष

टॉक्सिन्स का शरीर में अधिक मात्रा में जमा होना महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए खतरे का संकेत हो सकता है। इंफ्लेमेशन, इंसुलिन रेजिस्टेंस और माइट्रोकॉन्ड्रियल डैमेज के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए सही कदम उठाएं और डॉक्टर की सलाह लें।

 

 

 

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All Images Credit- Freepik

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