आज के समय में लाइफस्टाइल में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसमें पुरुषों के फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं भी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। कई मामलों में ब्रेन से जुड़ी समस्याएं भी पुरुषों की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती हैं। इसमें आप हाइपोथैलेमस डिसऑर्डर को भी शामिल कर सकते हैं। यह एक ग्लैंड होता है, जब यह ग्लैंड अपना कार्य सही से नहीं कर पाता है तो ऐसे में व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अनुवांशिक, इंफेक्शन, ट्यूमर और हार्मोनल अनियंत्रण के कारण यह डिसऑर्डर हो सकता है। हाइपोथैलेमस शरीर के कई जरूरी कार्यों को नियंत्रित करने वाला भाग है, और इसका संबंध पुरुष प्रजनन क्षमता से भी गहरा है। इस लेख में अपोलो अस्पताल सीनियर कंसल्टेंट जनरल मेडिसिन डॉ. भरत अग्रवाल से जानते हैं कि हाइपोथैलेमस क्या है, इसका पुरुषों की प्रजनन क्षमता से क्या संबंध है और इसके विकार कैसे प्रजनन पर असर डालते हैं?
हाइपोथैलेमस क्या है? - What is hypothalamus in Hindi
हाइपोथैलेमस मस्तिष्क का एक छोटा लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण भाग होता है, जो हार्मोन संतुलन, शरीर के तापमान, भूख, नींद और यौन गतिविधियों को नियंत्रित करता है। यह पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland) को नियंत्रित करता है, जो शरीर में विभिन्न हार्मोन का निर्माण करती है। पुरुष प्रजनन क्षमता में हाइपोथैलेमस की भूमिका विशेष रूप से इसके द्वारा रिलीज किए जाने वाले हार्मोन GnRH (Gonadotropin-Releasing Hormone) के कारण होती है।
हाइपोथैलेमस और पुरुष की फर्टिलिटी के बीच कनेक्शन - Connection Between Hypothalamus And Male Fertility in Hindi
हाइपोथैलेमस से निकलने वाला GnRH हार्मोन पिट्यूटरी ग्रंथि को स्टिम्युलेट करता है जिससे दो मुख्य हार्मोन — LH (Luteinizing Hormone) और FSH (Follicle-Stimulating Hormone) रिलीज होते हैं। ये हार्मोन पुरुषों के टेस्टिकल्स (Testes) को टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणु उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करते हैं। यदि हाइपोथैलेमस में कोई विकार होता है, तो GnRH का उत्पादन कम हो सकता है, जिससे LH और FSH के बनने की प्रक्रिया में कमी आ सकती है और इसका सीधा असर टेस्टोस्टेरोन के स्तर और शुक्राणु के बनने पर पड़ता है।
हाइपोथैलेमस डिसऑर्डर का पुरुष प्रजनन पर पड़ने वाला प्रभाव - How Hypothalamus Disorder Affects Male Fertility In Hindi
हाइपोथैलेमस डिसऑर्डर पुरुषों की प्रजनन क्षमता को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित करता है-
- शुक्राणु में कमी: जब GnRH का स्तर कम होता है तो FSH और LH का बनना भी कम होता है, जिससे अंडकोष (टेस्टिकल्स) में शुक्राणु उत्पादन बाधित होता है।
- टेस्टोस्टेरोन का कम स्तर: LH हार्मोन टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में सहायता करता है। इसकी कमी से यौन इच्छा में कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है।
- कामेच्छा में कमी: टेस्टोस्टेरोन की कमी से कामेच्छा और प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं।
- बांझपन (Infertility): लंबे समय तक हाइपोथैलेमिक विकार बने रहने से पुरुष पूरी तरह से निःसंतान हो सकता है।
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हाइपोथैलेमस विकार पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह केवल हार्मोनल असंतुलन तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति की संपूर्ण यौन और मानसिक सेहत को प्रभावित कर सकता है। समय रहते इसके लक्षणों की पहचान और उचित जांच तथा उपचार से पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बचाया जा सकता है। जागरूकता और सही जीवनशैली अपनाकर हाइपोथैलेमस को स्वस्थ बनाए रखना और प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखना संभव है।