
हमारे शरीर में कई ग्रंथियां (glands) होती हैं जो हार्मोन्स का निर्माण करती हैं, और इन हार्मोन्स के माध्यम से शरीर की कई कार्य नियंत्रित होते हैं। इन्हीं में से एक पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland) होती है, इसे “Master Gland” भी कहा जाता है, क्योंकि यह अन्य एंडोक्राइन ग्रंथियों जैसे थायरॉयड, एड्रिनल और प्रजनन ग्रंथियों के कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करती है। जब यह पिट्यूटरी ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन नहीं बनाती, तो उसे पिट्यूटरी इंसफिशिएंसी या हाइपोपिट्यूटेरिज़्म (Hypopituitarism) कहा जाता है। यह स्थिति शरीर के अनेक कार्यों को प्रभावित कर सकती है और इसके लक्षण धीरे-धीरे या अचानक उभर सकते हैं। इस लेख में यशोदा अस्पताल के इंटनरल मेडिसिन सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एपी सिंह से जानेंगे कि पिट्यूटरी इंसफिशिएंसी क्या है, इसके मुख्य लक्षण क्या होते हैं, और यह शरीर को कैसे प्रभावित करती है।
पिट्यूटरी इंसफिशिएंसी क्या है? - What is Pituitary Insufficiency in Hindi
पिट्यूटरी इंसफिशिएंसी एक ऐसी स्थिति है जिसमें पिट्यूटरी ग्रंथि से एक या अधिक हार्मोन्स का निर्माण सामान्य से कम मात्रा में होता है। यह स्थिति आंशिक भी हो सकती है (कुछ हार्मोन की कमी) या पूरी तरह से भी (सभी हार्मोन की कमी) हो सकती है। यह विकार किसी भी उम्र में हो सकता है और इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं, जिनको आगे बताया गया है।
- ब्रेन ट्यूमर
- सिर पर चोट
- ब्रेन सर्जरी या रेडिएशन थेरेपी
- ऑटोइम्यून रोग
- जन्मजात विकार, आदि।
पिट्यूटरी ग्रंथि से निकलने वाले मुख्य हार्मोन कौन से होते हैं?
पिट्यूटरी ग्रंथि कई महत्वपूर्ण हार्मोन बनाती है, जैसे-
- एसीटीएच (ACTH -Adrenocorticotropic hormone) – यह हार्मोन एड्रिनल ग्रंथि को सक्रिय करता है।
- टीएसएच (TSH-Thyroid Stimulating Hormone) – थायरॉयड हार्मोन को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
- गोनाडोट्रोपिन्स (LH & FSH) - प्रजनन हार्मोन नियंत्रित करते हैं।
- ग्रोथ हार्मोन (Growth Hormone) – वृद्धि और शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करता है।
- प्रोलैक्टिन (Prolactin) – स्तनपान के लिए जरूरी हार्मोन माना जाता है।
- एडीएच और ऑक्सिटॉसिन (ADH & Oxytocin) – प्रसव से संबंधित हार्मोन माना जाता है।
जब इनमें से कोई या कई हार्मोन्स कम हो जाते हैं, तो शरीर में अनेक तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।
पिट्यूटरी इंसफिशिएंसी (Hypopituitarism) के प्रमुख लक्षण - Symptom Of Pituitary Insufficiency in Hindi
यह लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कौन-से हार्मोन की कमी हुई है। आगे जानते हैं इनके लक्षणों के बारे में।
थकान और कमजोरी
सबसे सामान्य लक्षणों में अत्यधिक थकान और ऊर्जा की कमी है। रोगी को रोज़मर्रा के काम करने में भी मुश्किल हो सकती है। यह ACTH, TSH और GH की कमी के कारण होता है।
वजन बढ़ना या घटना
थायरॉयड हार्मोन की कमी (TSH की कमी) के कारण मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ने लगता है। वहीं, कुछ मामलों में भूख की कमी से वजन घट भी सकता है।
ठंड से संवेदनशीलता
थायरॉयड हार्मोन की कमी शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे रोगी को हमेशा ठंड लगती है।
शारीरिक संबंध की इच्छा कम होना(Low Libido) और प्रजनन समस्याएं
गोनाडोट्रोपिन हार्मोन्स (LH और FSH) की कमी के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है। इससे यौन इच्छा कम हो जाती है और महिलाओं में अनियमित पीरियड या पीरियड बंद हो सकते हैं।
कम ऊंचाई (बच्चों में)
बच्चों में यदि ग्रोथ हार्मोन (GH) की कमी होती है, तो शारीरिक वृद्धि रुक जाती है। वे अपनी उम्र के अनुसार लंबाई में पिछड़ जाते हैं।
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पिट्यूटरी इंसफिशिएंसी की वजह महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, हाइपोग्लाइसीमिया, मूड में बदलाव और अवसाद से जुड़ी समस्या हो सकती है। पिट्यूटरी इंसफिशिएंसी एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य स्थिति है। इसके लक्षण सामान्य थकान से लेकर गंभीर प्रजनन समस्याओं तक हो सकते हैं। समय रहते पहचान और इलाज से जीवन की क्वालिटी को बेहतर बनाया जा सकता है। अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें।
FAQ
पिट्यूटरी डिसफंक्शन क्या है?
पिट्यूटरी विकार तब होते हैं जब पिट्यूटरी ग्रंथि किसी विशेष हार्मोन का बहुत अधिक या बहुत कम उत्पादन करती है।पिट्यूटरी ग्लैंड को एक्टिव कैसे करें?
मैंगनीज से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से आपकी पिट्यूटरी ग्रंथि क्षमता पर बनी रहती है और इसे महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट लाभ मिलते हैं।पिट्यूटरी रोग क्या हैं?
पिट्यूटरी रोग अक्सर आपकी पिट्यूटरी ग्रंथि में वृद्धि के कारण होते हैं। ये हार्मोन संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं। ये गांठें आमतौर पर कैंसर नहीं होती हैं।
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