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महिलाओं और पुरुषों की फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है हाइपोगोनाडिज्म, डॉक्टर से जानें

खानपान और कई बीमारियों के चलते महिला व पुरुष की फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। इस लेख में जानते हैं कि हाइपोगोनैडिज्म किस तरह से महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है?
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महिलाओं और पुरुषों की फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है हाइपोगोनाडिज्म, डॉक्टर से जानें

सेहतमंद रहने के लिए आपको हेल्दी डाइट लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन, क्या आपको मामूल है कि आपके शरीर में बनने वाली हार्मोन भी आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति के शरीर में यौन स्वास्थ्य से जुड़े हार्मोन का स्तर कम हो जाता है तो इस स्थिति को हाइपोगोनैडिज्म (Hypogonadism) कहा जाता है। यह स्थिति पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकती है और अक्सर इनफर्टिलिटी  (infertility) का एक बड़ा कारण बनती है। इस लेख में अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, कानपुर के ऑब्सट्रिक्स और गाइनेकोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. वसुधा बुधवार से जानते हैं कि हाइपोगोनैडिज्म क्या है, यह महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है? 

हाइपोगोनैडिज्म क्या है? - What is Hypogonadism In Hindi 

हाइपोगोनैडिज्म एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें गोनैड्स (testes और ovaries) पर्याप्त यौन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाते। पुरुषों में यह टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) की कमी से जुड़ा होता है। जबकि, महिलाओं में यह एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) की कमी से संबंधित होता है। इस स्थिति के दो प्रकार होते हैं जिसमें प्राथमिक हाइपोगोनैडिज्म (Primary Hypogonadism) और माध्यमिक हाइपोगोनैडिज्म (Secondary Hypogonadism) को शामिल किया जाता है। प्राथमिक हाइपोगोनैडिज्म में अंडकोष या अंडाशय सीधे तौर पर डैमेज हो जाते हैं। जबकि, दूसरे प्रकार में मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथि से हार्मोन संकेत ठीक से नहीं मिलते।

How does hypogonadism affect fertility in both men women

पुरुषों में हाइपोगोनैडिज्म फर्टिलिटी पर पड़ने वाले प्रभाव - How Does Hypogonadism Affect Fertility In Men In Hindi 

स्पर्म कम बनना - टेस्टोस्टेरोन की कमी से शुक्राणु (sperm) का उत्पादन घट जाता है, जिससे पुरुषों की फर्टिलिटी की क्षमता प्रभावित होती है।

नपुंसकता (Erectile Dysfunction) - टेस्टोस्टेरोन की कमी से पुरुषों के प्राइवेट पार्ट को उत्तेजना और तनाव बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है।

शारीरिक बदलाव होना - मांसपेशियों में कमी, शरीर पर बालों का झड़ना, और स्तनों का विकास (Gynecomastia) भी देखा जा सकता है।

महिलाओं में हाइपोगोनैडिज्म से प्रजनन क्षमता पर पड़ने वाले प्रभाव - How Does Hypogonadism Affect Fertility In Women In Hindi 

पीरियड्स साइकिल अनियमितता होना - एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की कमी से पीरियड्स बंद हो सकते हैं या अनियमित हो सकते हैं, जिससे ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है।

एग्स के उत्पादन में कमी - हार्मोनल असंतुलन के कारण एग्स समय पर विकसित नहीं होते या ओवरी से बाहर नहीं आते, जिससे गर्भधारण में मुश्किल हो सकती है।

गर्भधारण में परेशानी - हाइपोगोनैडिज्म के कारण ओवरी ठीक से कार्य नहीं करती, जिससे फर्टिलाइजेशन (fertilization) की संभावना कम हो जाती है।

योनि में ड्राईनेस - एस्ट्रोजन की कमी से योनि की परत पतली और शुष्क हो जाती है, जिससे शारीरिक संबंध बनाते समय अधिक समस्या हो सकती है। 

हड्डियों की कमजोरी - एस्ट्रोजन की कमी से महिलाओं की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जो लंबे समय के बाद सेहत को प्रभावित कर सकती है।

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हाइपोगोनैडिज्म एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य समस्या है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। समय रहते निदान और उपचार से न केवल हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि संतान प्राप्ति की संभावना भी बढ़ाई जा सकती है। अगर आपको प्रजनन से जुड़ी कोई समस्या लग रही है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। 

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