
शहर की हवा हर दिन थोड़ी और जहरीली हो रही है और इसका सबसे बड़ा असर उन छोटे मासूमों पर पड़ रहा है, जिन्होंने अभी-अभी इस दुनिया में कदम रखा है। आप सोच भी नहीं सकते कि जिस हवा को हम सामान्य मानकर सांस लेते हैं, वही हवा नवजात शिशु के लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि अब ऐसे केस तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां बच्चा जन्म के समय पूरी तरह स्वस्थ होता है, लेकिन कुछ ही हफ्तों के भीतर उसे तेज खांसी, सांस फूलना और यहां तक कि निमोनिया जैसी गंभीर समस्या हो जाती है। यह सुनकर हैरानी होती है कि जन्म के तुरंत बाद, जब बच्चा बाहरी दुनिया को समझ भी नहीं पाता, तभी प्रदूषण उसके नाजुक फेफड़ों पर हमला करना शुरू कर देता है। इस लेख में यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद में वरिष्ठ सलाहकार नियोनेटोलॉजिस्ट और नवजात शिशु देखभाल सेवाओं के प्रभारी डॉ. निरंजन एन (Dr. Niranjan N is a Senior Consultant Neonatologist and Incharge of Newborn Care Services, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, वायु प्रदूषण नवजात शिशुओं को कैसे प्रभावित करता है?
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वायु प्रदूषण नवजात शिशुओं को कैसे प्रभावित करता है? - How does air pollution affect early child development
नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. निरंजन एन बताते हैं कि जन्म के कुछ ही हफ्तों में कई बच्चे निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और सांस से जुड़ी गंभीर समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। विशेष रूप से जिन बच्चों के परिवार में पहले से अस्थमा या एलर्जी का इतिहास होता है, उनमें यह खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। नवजात का फेफड़ों का सिस्टम बेहद नाजुक होता है और अभी पूरी तरह विकसित नहीं होता। ऐसे में जब उन्हें शुरुआत से ही जहरीली हवा मिलती है तो फेफड़ों में सूजन, इंफेक्शन और लंबे समय तक रहने वाली श्वसन समस्याएं जन्म ले सकती हैं। डॉ. निरंजन एन बताते हैं, ''PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कण नवजातों के शरीर में आसानी से अंदर चले जाते हैं। उनकी प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बहुत कम होती है, इसलिए ये हानिकारक कण फेफड़ों में जमा होकर बीमारियों का कारण बनते हैं।''
हाई लेवल के प्रदूषण के संपर्क में आने वाले नवजात शिशुओं का विकास अक्सर धीमा होता है और उन्हें दूध पीने और वजन बढ़ने में परेशानी हो सकती है। प्रदूषित हवा मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे बच्चे के बड़े होने पर ध्यान, सीखने और व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
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- डॉक्टर डॉ. निरंजन एन के अनुसार, भारत में कई राज्यों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ चुका है कि नवजात शिशु गर्भ से बाहर की हवा में आते ही खतरे में आ जाते हैं।
- जिन शिशुओं का वजन कम होता है, उनमें जोखिम दोगुना बढ़ जाता है।
- जिन परिवारों में माता या पिता को अस्थमा की समस्या होती है, उनमें बच्चे प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं।
- जन्म जल्दी होने (Preterm birth) के मामलों में, फेफड़े पहले से ही कमजोर होते हैं और प्रदूषण संक्रमण को और बढ़ाता है।
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नवजात शिशु को एयर पॉल्यूशन से कैसे बचाएं? - How to protect baby from air pollution
डॉ. निरंजन एन के अनुसार, कुछ आसान कदम नवजात को प्रदूषण से काफी हद तक बचा सकते हैं-
- घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, खासतौर पर शहरों में जहां प्रदूषण का लेवल ज्यादा है।
- बच्चे को बाहर ले जाने से बचें, खासकर तब जब AQI 200 से ऊपर हो।
- घर में धूल कम रखें, बार-बार पोछा और साफ-सफाई करें।
- धूम्रपान बिलकुल न करें, न घर में, न बच्चे के आस-पास किसी भी समय।
- मां का दूध पिलाएं, क्योंकि इससे बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ती है और इंफेक्शन से बचाव होता है।
निष्कर्ष
एयर पॉल्यूशन नवजात शिशुओं के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। डॉक्टर के अनुसार, जन्म के कुछ हफ्तों में ही प्रदूषण फेफड़ों पर हमला करके निमोनिया और अस्थमा जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। इसलिए माता-पिता को प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाने चाहिए ताकि बच्चे की सेहत सुरक्षित रह सके।
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FAQ
वायु प्रदूषण कैसे बढ़ता है?
वाहनों, फैक्ट्रियों, धूल, आग, कचरा जलाने और मौसम परिवर्तन के कारण वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।क्या वायु प्रदूषण से निमोनिया हो सकता है?
डॉक्टर के अनुसार PM 2.5 जैसे कण तेज खांसी, सांस फूलना और निमोनिया का खतरा बढ़ा देते हैं। परिवार में अस्थमा का इतिहास होने पर जोखिम और बढ़ जाता है।क्या नवजात शिशु मास्क पहन सकते हैं?
एक साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क नहीं पहनाना चाहिए क्योंकि इससे सांस लेने में रुकावट हो सकती है। छोटे शिशुओं को बाहर ले जाने से बचना और घर की हवा को साफ रखना जरूरी है।
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Nov 18, 2025 15:30 IST
Published By : Akanksha Tiwari