बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन ने हालही में एक बड़ी बीमारी का खुलासा किया है। अभिषेक बच्चन ने बताया कि वह जब 9 साल की उम्र के थे, तब उन्हें डिस्लेक्सिया से जूझ रहे थे। इस बीमारी के कारण अभिषेक बच्चन को अक्षरों को पहचानने, लिखने और बोलने में परेशानी होती है। डिस्लेक्सिया के कारण ही अभिषेक बच्चन पढ़ाई में काफी कमजोर थे। अभिषेक बच्चन ने कहा, "9 साल की उम्र में मुझे डिस्लेक्सिया रोग का पता चला और मुझे एक यूरोपीय स्कूल में भेज दिया गया, लेकिन ग्रेजुएशन होने के बाद ही मुझे पता चला कि मैं डिस्लेक्सिक हूं। शिक्षा के क्षेत्र में इस समस्या को पहचानना महत्वपूर्ण है और धीमी गति से सीखने वाले बच्चों के प्रति दिखाए जाने वाले गैप को भी रोकना चाहिए।"
अभिषेक बच्चन ने कहा कि उन्होंने सही इलाज, थेरेपी और दवाओं के जरिए डिस्लेक्सिया पर जीत पाई और बीमारी को पीछे छोड़कर, दुनिया के सामने नई मिसाल बनें। अभिषेक बच्चन द्वारा इस बीमारी का खुलासा करने के बाद हर कोई जानना चाहता है कि आखिरकार डिस्लेक्सिया क्या है (Actor Abhishek Bachchan on fighting dyslexia at the of 9 report in hindi) और इसके लक्षण क्या हैं? आज इस लेख में हम इसी विषय पर बात करने वाले हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने दिल्ली के एबीबीएस डॉक्टर व जनरल फिजिशियन डॉ. सुरिंदर कुमार से बात की।
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डिस्लेक्सिया क्या है?
डॉ. सुरिंदर कुमार के अनुसार, डिस्लेक्सिया (Dyslexia) एक न्यूरोलॉजिकल विकार है। इस विकास के कारण व्यक्ति को पढ़ने, लिखने, शब्दों को समझने और किसी अन्य व्यक्ति की बातों पर गौर करने में परेशानी आती है। डिस्लेक्सिया से जूझ रहे व्यक्ति को सीखने में परेशानी जरूर आती है, लेकिन यह उनकी बुद्धि को प्रभावित नहीं करता है।
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डिस्लेक्सिया के लक्षण- Symptoms of dyslexia
डिस्लेक्सिया एक ऐसा विकार है, जो बच्चों और व्यस्क दोनों को ही प्रभावित कर सकता है। लेकिन डिस्लेक्सिया के लक्षण व्यक्ति की उम्र और स्थिति के अनुसार बदल सकते हैं। आइए जानते हैं डिस्लेक्सिया के लक्षणों के बारे में...
- अक्षरों और शब्दों को उल्टा या गड़बड़ तरीके से पढ़ना।
- पढ़ने में असामान्य धीमापन नजर आना
- वर्तनी में बार-बार गलतिया।
- शब्दों और ध्वनियों के बीच कनेक्शन बनाने में मुश्किल।
- पढ़ने, लिखने और बोलने में आत्मविश्वास की कमी महसूस होना।
- गणित से जुड़ी चीजों को पढ़ने में परेशानी होना।
डिस्लेक्सिया का प्रभाव कहां तक पड़ता है?- How far does dyslexia affect?
डॉक्टर के अनुसार, डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति को सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि समाज और परिवार में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस विकार से पीड़ित व्यक्ति में आत्म-सम्मान में कमी देखी जाती है। आत्म-सम्मान की कमी के कारण सोचने-समझने और दूसरों तक अपनी बात समझाने में भी परेशानी होती है।
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डिस्लेक्सिया का इलाज क्या है?- What is the treatment for dyslexia?
डिस्लेक्सिया के इलाज के लिए वर्तमान में कई प्रकार की थेरेपी, दवाएं मौजूद हैं। बाल मनोवैज्ञानिक, भाषा विशेषज्ञ और न्यूरोलॉजिस्ट इस बीमारी का इलाज करते हैं। हालांकि इस विकार से कोई व्यक्ति पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है।
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डिस्लेक्सिया के प्रति समाज और जागरूकता की भूमिका- The role of society and awareness towards dyslexia
डॉ. सुरिंदर कुमार का कहना है कि डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति के प्रति समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है। समाज के आम लोग आज भी डिस्लेक्सिया से जूझ रहे व्यक्ति को एक हीन भावना से देखते हैं। लेकिन इसे "कमजोरी" या "असफलता" के रूप में देखने के बजाय, इसे एक अलग प्रकार की सोचने की शैली के रूप में समझा जाना चाहिए।
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निष्कर्ष
डिस्लेक्सिया एक चुनौती हो सकती है, लेकिन यह व्यक्ति की क्षमता और प्रतिभा को सीमित नहीं करता। सहानुभूति, समझ और सही मदद के साथ डिस्लेक्सिया से जूझ रहे व्यक्तियों को एक साधारण जिंदगी दी जा सकती है।
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