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बच्चे को पढ़ने-लिखने में समस्या हो सकती है डिस्लेक्सिया, जानें कैसे होता है इन बच्चों का इलाज

Dyslexia Treatment For Kids: पढ़ने, लिखने और कई बार बोलने में भी समस्या का कारण डिस्लेक्सिया डिसऑर्डर हो सकता है, जिसके लिए जरूरी है कि आप समय रहते अपने बच्चे को सही ट्रीटमेंट देना शुरू करें।
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बच्चे को पढ़ने-लिखने में समस्या हो सकती है डिस्लेक्सिया, जानें कैसे होता है इन बच्चों का इलाज

How To Treat Dyslexia in A Child in Hindi: कई बार छोटे बच्चों को पढ़ने, लिखने यहां कि बोलने में भी समस्या होती है। अक्सर पेरेंट्स अपने बच्चे की इस समस्या को आम समझकर या पढ़ने लिखने में कमजोर समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन, पढ़ने और लिखने में कठिनाई होना (What is a reading and writing disorder) डिस्लेक्सिया डिसऑर्डर का कारण हो सकता है। डिस्लेक्सिया एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो व्यक्ति के लिखने वाली भाषा को प्रोसेस करने और डिकोड करने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह किसी व्यक्ति में की लिखित भाषा को प्रोसेस करने और डिकोड करने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह व्यक्ति के खराब बुद्धि या कोशिश करने की कमी के कारण नहीं होता है, बल्कि दिमाग के जानकारी प्रोसेस करने के तरीके में अंतर के कारण होता है। डिस्लेक्सिया हर उम्र के बच्चों को प्रभावित कर सकता है। तो आइए गुरुग्राम के पारस हेल्थ के सीनियर कंसल्टेंट और पीडियाट्रिक्स डॉ. राकेश तिवारी से जानते हैं डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चे का इलाज कैसे करें? (how to treat a child with dyslexia in Hindi)

बच्चों में डिस्लेक्सिया का इलाज कैसे करें? - How To Manage Dyslexia in Children in Hindi?

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश तिवारी के अनुसार, "डिस्लेक्सिया एक सीखने से जुड़ा डिसऑर्डर है, जो बच्चे के पढ़ने, लिखने और बोलने की क्षमता को प्रभावित करता है, लेकिन जल्दी इसका पता लगाकर और सही इलाज की मदद से बच्चों के सामने आ रही समस्याओं को मैनेज किया जा सकता है।" आगे जानकारी देते हुए डॉ. राकेश तिवारी ने बताया कि, "इसके इलाज में मल्टी डिसिप्लिनरी अप्रोच शामिल है, जिसमें कई तरह के पढ़ने के तरीके और प्रोग्राम शामिल हैं। इसमें फोनिक साउंड, संरचित साक्षरता निर्देश और मल्टी-सेंसरी सीखने की तकनीकों पर फोकस किया जाता है। स्पीच और लैंग्वेज थेरेपी बच्चों में भाषा को प्रोसेस करने में मदद करता है, जबकि ऑक्यूपेशनल थेरेपी लिखने में होने वाली मुश्किलों को दूर करने या ठीक करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, डिस्लेक्सिया से प्रभावित बच्चों में आत्मविश्वास की कमी को दूर करने और आत्म-सम्मान को बढ़ाने के लिए इमोशनल और साइकोलॉजिकल सपोर्ट भी बहुत जरूरी है। इसलिए, माता-पिता और उनके शिक्षणों को बच्चे की सही जरुरतों के अनुसार वातावरण बनाने और सही एक्सपर्ट के साथ मिलकर काम करना बहुत महत्वपूर्ण है।"

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डिस्लेक्सिया के कारण क्या हैं? - What is The Main Cause Of Dyslexia in Hindi?

  • डिस्लेक्सिया ब्रेन स्ट्रक्चर और फंक्शन में अंतर के कारण हो सकता है।
  • डिस्लेक्सिया के लिए जेनेटिक कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
  • प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, या डिलीवरी के दौरान होने वाली कुछ समस्याएं, डिस्लेक्सिया के जोखिम को बढ़ा सकती है।
  • पर्यावरणीय कारक, जैसे कि शिक्षा की कमी या घरेलू समस्याएं भी डिस्लेक्सिया के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
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डिस्लेक्सिया के लक्षण - Symptoms Of Dyslexia in Hindi

डिस्लेक्सिया डिसऑर्डर की समस्या को ठीक करने के लिए इसके शुरूआत में ही इलाज शुरू करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए जरूरी है कि आप डिस्लेक्सिया के लक्षणों को पहचाने और इसका इलाज शुरू करवाएं। डिस्लेक्सिया होने पर आपके बच्चे में ये लक्षण नजर आ सकते हैं जैसे-

  • डिस्लेक्सिया वाले बच्चों को पढ़ने में परेशानी हो सकती है, जैसे कि शब्दों को पहचानने में समस्या होना या बहुत धीरे-धीरे पढ़ पान।
  • डिस्लेक्सिया वाले बच्चों को लिखने में भी परेशानी हो सकती है, जैसे कि शब्दों को सही तरह से लिखने में परेशानी होना।
  • डिस्लेक्सिया वाले बच्चों को मैथ यानी गणित पढ़ने में भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें संख्या को पहचानने में परेशानी हो सकती है।
  • डिस्लेक्सिया वाले बच्चों को फोकस करने में भी समस्या हो सकती है, जिससे लिखने और पढ़ने के लिए फोकस करना मुश्किल हो जाता है।
  • डिस्लेक्सिया वाले बच्चों में आत्मविश्वास में कमी हो सकती है।

निष्कर्ष

डिस्लेक्सिया, पढ़ने, लिखने और समझने में होने वाली एक समस्या है, जिसका समय पर इलाज किया जाए तो बच्चे को इस डिसऑर्डर से बाहर निकाला जा सकता है, जिसके लिए आप उन्हें स्पीच थेरेपी के साथ अन्य कई तरह की थेरेपी दिला सकते हैं। इसलिए, अगर आपके बच्चे को भी पढ़ने, लिखने और बोलने में समस्या आ रही है तो डॉक्टर से कंसल्ट करें।
Image Credit: Freepik

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