फिल्म 'तारे जमीन पर' में मानसिक बीमारी 'डिस्लेक्सिया' से पीड़ित था ईशान, जानें इसके लक्षण, कारण और उपा

साल 2007 में आई फिल्म तारे जमीन पर में ईशान का किरदार निभाने वाले बच्चे को डिस्लेक्सिया की समस्या होती है। आइये जानते हैं इसके बारे में।  
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फिल्म 'तारे जमीन पर' में मानसिक बीमारी 'डिस्लेक्सिया' से पीड़ित था ईशान, जानें इसके लक्षण, कारण और उपा


आज के समय में मेंटल डिसऑर्डर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। कुछ बीमारियां तो इतनी दुर्लभ होती हैं, जिनका डॉक्टर के पास भी कोई इलाज नहीं होता है। ऐसी ही बीमारी साल 2007 में आई फिल्म तारे जमीन पर के इशान को भी थी। दरअसल, ईशान डिस्लेक्सिया नामक मेंटल डिसऑर्डर था। जिसे समझ पाना काफी मुश्किल था। आइये जानते हैं विस्तार से जानते हैं इस बीमारी के बारे में। 

क्या है डिस्लेक्सिया? 

दरअसल, डिस्लेक्सिया एक प्रकार की लर्निंग डिसएबिलिटी है, जिसमें मरीज को सोचने-समझने में कठिनाई होने के साथ ही कुछ भी पढ़ने, लिखने में भी समस्या होती है। इस बीमारी से पीड़त मरीजों के लिए पढ़ना-लिखना किसी टार्गेट से कम नहीं है। आमतौर पर यह बीमारी लंबे समय तक व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ती है। इस समस्या में मरीज को इमोश्नली सपोर्ट करना काफी फायदेमंद साबित होता है। ऐसा करने से उनकी तकलीफें काफी आसान होती हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो यह एक दुर्लभ बीमारी है, जिससे दुनियाभर में केवल 7 प्रतिशत लोग ही पीड़ित हैं। 

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डिस्लेक्सिया के कारण 

  • आमतौर पर दिमाग में इंफेक्शन होना या फिर टॉक्सिन्स जमा होने को इसका आम कारण माना जाता है। 
  • यह जेनेटिक कारणों से भी होता है। अगर माता-पिता को यह समस्या है तो ऐसे में 30 से 50 प्रतिशत आशंका होती है कि बच्चे को भी यह समस्या हो सकती है।
  • ब्रेन फंक्शन्स का ठीक से काम नहीं करना भी इस बीमारी का कारण बन सकता है। 
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डिस्लेक्सिया के लक्षण 

  • आसान शब्दों को भी बोलने में कठिनाई होना
  • नए शब्दों को बोलने या फिर पढ़ने में समस्या 
  • क्लास या फिर लोगों के बीच में तेज नहीं बोल पाना 
  • आवाज को ठीक से नहीं समझ पाना 
  • बातें याद रखने में कठिनाई होना 

डिस्लेक्सिया से बचने के तरीके 

  • अगर आपके बच्चे को यह समस्या है और इसके लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। शुरूआती स्टेज में इससे बचा जा सकता है।
  • बच्चों पर पढ़ाई या फिर किसी भी काम को लेकर दबाव न बनाएं। 
  • बच्चों को मेंटली और इमोश्नली सपोर्ट करें। 
  • बच्चों को अकेला न छोड़ें उनसे बातचीत करते रहें। 
  • कुछ मामलों में जल्दी इलाज कराना समस्या को ठीक करने में कारगर हो सकता है। 

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