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Early Puberty: उम्र से पहले पीरियड्स आने का रिस्क बढ़ाती हैं ये 5 गलतियां, जानें डॉक्टर से

Premature Periods: आजकल छोटी उम्र में ही पीरियड्स होने लगते हैं, इसकी वजह लाइफस्टाइल से भी काफी हद तक जुड़ी हुई है। इस लेख में डॉक्टर ने कुछ ऐसी ही गलतियों के बारे में बात की है।

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Early Puberty: उम्र से पहले पीरियड्स आने का रिस्क बढ़ाती हैं ये 5 गलतियां, जानें डॉक्टर से


Premature Periods: जब भी लड़कियों को पीरियड्स शुरू होते हैं, तो उनमें शारीरिक और मानसिक कई तरह के बदलाव होते हैं। अगर यह बदलाव सही उम्र में आते हैं, तो लड़कियां इन बदलावों को सहज तरीके से ले लेती हैं और अगर शरीर में बदलाव उम्र से पहले दिखने लग जाए, तो यह उनकी मेंटल हेल्थ पर बहुत ज्यादा असर डालता है। शारीरिक और मानसिक बदलाव पीरियड्स शुरू होने पर दिखने लगते हैं। पीरियड्स आने का मतलब लड़कियों के रिप्रोडेक्शन सिस्टम का बनना है। आज के दौर में देखा जाए, तो लड़कियों को उम्र से पहले पीरियड्स आने की समस्या बहुत ही आम हो गई है। इससे न सिर्फ शरीर पर बल्कि मन पर भी गहरा असर पड़ता है। पैरेंट्स को उम्र से पहले पीरियड्स आने से बचाव के लिए क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए? इस बारे में हमने दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के डिपार्टमेंट ऑफ गायनेकोलॉजी एंड ऑब्सटेट्रिक्स का डायरेक्टर डॉ. साधना सिंघल विश्नोई (Dr Sadhna Singhal Vishnoi, Director- Deartment of Gynecology at and obstetrics at Cloudnine Group of Hospitals, Punjabi Bagh) से बात की।

उम्र से पहले पीरियड्स के रिस्क को कम करने के लिए 5 गलतियां न दोहराएं

डॉ. साधना कहती हैं, “पहले लड़कियों को 12 से 14 साल की उम्र में पीरियड्स आते थे, जो अब 8 से 10 साल की उम्र में होने लगे हैं। आमतौर पर यह बदलाव शरीर में हार्मोन बैलेंस न होने और पर्यावरणीय कारणों से होते हैं, लेकिन अगर कुछ आदतों पर समय रहते ध्यान दिया जाए, तो लड़कियों को जल्दी पीरियड्स आने से काफी हद तक बचाया जा सकता है।”

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ज्यादा मीठा न खिलाएं

डॉ. साधना ने बताया कि अगर लड़कियां ज्यादा शुगर खाती हैं, तो इससे एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ जाता है। अक्सर पैरेंट्स बच्चों को खुश करने के लिए कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट, कैंडी या पैकेज्ड जूस जैसी चीजें देने लगते हैं, लेकिन याद रखें कि यह मीठा उनके शरीर में इंसुलिन और एस्ट्रोजन हार्मोन को बढ़ा देता है। इस वजह से पीरियड्स समय से पहले शुरू हो सकते हैं। इसलिए पैरेंट्स को अपने बच्चों को फलों में मौजूद नेचुरल शुगर देनी चाहिए और साथ ही बच्चों को सादा पानी पिलाएं ताकि शरीर डिटॉक्स हो सके।

लैपटॉप गोद में रखकर इस्तेमाल न करें

आजकल छोटी ही क्लास से लैपटॉप पर काम करने का चलन काफी बढ़ गया है। ऐसे में कई बार देखा गया है कि लड़कियां पढ़ाई करने या गेम खेलने के दौरान लैपटॉप को गोद में रखकर इस्तेमाल करती हैं। इससे पेट और रिप्रोडेक्शन अंगों के आसपास लगातार गर्मी पहुंचने लगती है, जो हार्मोन बैलेंस न होने का कारण बनते हैं। कई रिसर्च में बताया गया है कि शरीर के निचले हिस्से में गर्मी और ब्लड फ्लो में बदलाव से जल्दी पीरियड्स आने की संभावना बढ़ जाती है। पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि लैपटॉप हमेशा टेबल पर रखकर ही काम करें और बीच-बीच में ब्रेक जरूर लें।

फलों-सब्जियों को सही तरीके से धोएं

डॉ. साधना कहती हैं कि आजकल मार्केट में जो फल और सब्जियां मिलती हैं, उनमें हार्मोन बढ़ाने वाले केमिकल्स, पेस्टीसाइड्स और ग्रोथ एजेंट्स का इस्तेमाल किया जाता है। कई वीडियो ऐसे आते हैं, जिसमें लोग फल-सब्जियों को ऊपर केमिकल्स छिड़के देते हैं। अगर इन फलों को सीधे खा लिया जाए, तो केमिकल शरीर में जाकर हार्मोनल असंतुलन कर सकते हैं। इस वजह से भी जल्दी पीरियड्स की शुरुआत हो सकती है। पैरेंट्स को चाहिए कि जब भी बच्चों को फल-सब्जियां दें, तो उसे सिरका या बेकिंग सोडा मिले पानी में कम से कम 15–20 मिनट तक भिगोकर रखें। इसके बाद साफ पानी से धोकर बच्चों को खाने के लिए दें।

केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स से बचें

डॉ. साधना ने कहा, “आजकल पैरेंट्स अपनी लड़कियों को बड़ी छोटी उम्र से परफ्यूम और मेकअप आइटम्स इस्तेमाल करने की परमिशन दे देते हैं। मार्केट में मिलने वाले शैम्पू, क्रीम, लोशन और मेकअप के सामान में ढेर सारे केमिकल्स होते हैं, जो शरीर में हॉर्मोन की नकल करते हैं। मेडिकल भाषा में इसे एंडोक्राइन डिसरप्टर (Endocrine Disruptors) कहा जाता है। ये केमिकल्स लड़कियों के शरीर में एस्ट्रोजन लेवल बढ़ा सकते हैं और इस वजह से भी जल्दी पीरियड्स हो सकते हैं। मैं पैरेंट्स को हमेशा सलाह देती हूं कि बच्चों की स्किन पर नेचुरल और ऑर्गेनिक स्किन प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करें और बच्चियों को मेकअप करने या परफ्यूम का इस्तेमाल न करने दें।”

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जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से परहेज

आजकल छोटी उम्र में ही बच्चे फास्ट फूड, पैकेज्ड स्नैक्स और प्रोसेस्ड फूड्स खाने लगते हैं। इसमें मौजूद ट्रांस फैट, एडिटिव्स और केमिकल प्रिजर्वेटिव्स शरीर में हार्मोन का बैलेंस बिगाड़ देते हैं और इससे जल्दी पीरियड्स का रिस्क बढ़ जाता है। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों को घर का बना पौष्टिक खाना दें और हेल्दी डाइट फॉलो करने की आदत डालें।

पैरेंट्स के लिए खास सलाह

डॉ. साधना ने पैरेंट्स को कुछ खास टिप्स दिए हैं।

  • बच्चों की डाइट और नींद पर ध्यान दें।
  • स्क्रीन टाइम को लिमिट करें
  • उन्हें खेलकूद और फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें।
  • अगर पीरियड्स बहुत जल्दी आ जाए, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।

निष्कर्ष

डॉ. साधना सिंघल विश्वोई ने बताया कि लड़कियों में जल्दी पीरियड्स आना हमेशा नॉर्मल नहीं होता। इसलिए पैरेंट्स को चाहिए कि अपनी बेटियों के खानपान और हार्मोनल बैलेंस पर ध्यान दें और उनके लाइफस्टाइल में सही आदतें अपनाने पर जोर दें ताकि Early Puberty से बचाया जा सके।

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  • Oct 14, 2025 07:05 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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